JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में

JNU ( जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ) हमेशा ही किसी ना किसी बात को लेकर चर्चा में बना ही रहता है। कभी यहां पर देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं तो कभी यहां पर छात्र राजनीतिक गुटों के बीच घमासान की ख़बरें चर्चा में रहती हैं। ऐसा लगता है जैसे यह कोई विश्वविद्यालय नहीं बल्कि देश की राजनीति का निर्मम अखाड़ा है जिसे राजनीतिक पार्टियां अपने मन मुताबिक इस्तेमाल करती रहती हैं और इस्तेमाल होने वालों में कोई और नहीं बल्कि देश का वह वर्ग होता है जो कल का भविष्य है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि > “JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में“।

JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में

JNU क्या है
JNU क्या है

JNU क्या है

इस विश्वविद्यालय में देश के कोने – कोने से बच्चे पढ़ने आते हैं और भविष्य में अपने आप को एक बेहतर इंसान बनाने के सपने को पालते हुए यहाँ पर शिक्षा प्राप्त करते हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमारे देश की राजनीतिक पार्टियाँ अपनी राजनीतिक रोटी को सेंकने के लिए यहाँ के छात्रों का इस्तेमाल करती हैं और उनसे विश्वविद्यालय में देश विरोधी गतिविधियाँ करवाती हैं।

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम JNU के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे कि आखिर यह विश्वविद्यालय कब और क्यों आस्तित्व में आया और इसके आस्तित्व में आने का क्या कारण था। साथ ही इस विषय पर भी चर्चा करेंगे कि जिस मकसद से यह विश्वविद्यालय आस्तित्व में लाया गया था क्या वह मकसद पूरा हो रहा है या नहीं और अगर हो भी रहा है तो कितना क्या जितना होना चाहिए था उतना हो रहा है और अगर नहीं हो रहा है तो इसके पीछे का क्या कारण है।

तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और JNU के बारे में गहराई से चर्चा करते हैं……………………….

JNU की स्थापना : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भारत का अग्रणी विश्वविद्यालय है तथा शिक्षण और शोध के लिए एक विश्व प्रसिद्ध केंद्र हैं। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है, इसकी स्थापना वर्ष 1966 में संसद के एक अधिनियम द्वारा हुई थी लेकिन यह आस्तित्व में 1969 में आया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की शक्ति, ऊर्जा और प्रतिष्ठा इस दूरदर्शिता से झलकता है कि इसके विचार साहस, प्रयोग और निरंतर खोज के क्षेत्र है,तथा यह कि विचारों की विविधता बौद्धिक अन्वेषण के आधार हैं। JNU बौद्धिक रूप से बेचैन, संतुष्ट न होने वाले जिज्ञासु, और मानसिक रूप से कठोर लोगों के लिए ऐसा स्थान है जो उन्हें रमणीय स्थल की शांति के बीच आगे बढ़ने का मौका देता है। यह रमणीय स्थल भारत की राजधानी की चहल – पहल और भीड़ भाड़ के बीच हरा – भरा क्षेत्र है।

JNU विदेशी भाषाओं में पांच वर्षीय एकीकृत एम.ए. पाठ्यक्रम संचालित करने वाला पहला विश्वविद्यालय था। स्नातकोत्तर स्तर पर जहां अधिकांश स्कूल अपने अकादमिक पाठ्यक्रम शुरू करते हैं, यहाँ प्रशिक्षण मुख्यत : एकल विषयों के अलावा एकल विषयों के बीच केन्द्रित है ( यद्यपि सभी एम.ए. छात्रों को अपने विषय के आलावा कुछ अन्य पाठ्यक्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ) परंतु शोध स्तर पर विषयी सीमाए और अधिक पारगम्य हो जाती हैं।

अतिव्यापी या सीमावर्ती क्षेत्रो – जैसे :

  • पर्यावरण
  • साहित्यिक अध्ययन
  • अर्थशास्त्र
  • विज्ञान
  • समाजशास्त्र
  • सौंदर्यशास्त्र
  • भाषाविज्ञान
  • जीवविज्ञान

JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में

JNU के पीएचडी छात्रों के बीच असामान्य नहीं है। न केवल शोध छात्रों को अपने विषय-क्षेत्र की अदृश्य दीवारों को पार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है , अपितु शिक्षा जगत और बाहरी दुनिया के बीच संबंधों पर भी बात चीत चलती रहती है। इससे प्राय : समाज ,संस्कृति और विज्ञान की समझ विकसित करने के लिए क्रॉसरोड बनाने वाले क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के परिणाम निकलते हैं।

JNU अपने शैक्षिक संरचना के अनुसार ही शिक्षक प्रक्रिया और मूल्यांकन पद्दति में भारत में ऐसा पहला विश्वविद्यालय हुआ है जिसमें अंतिम परीक्षा को उपलब्धि मापन के एकमात्र तरीके को गौड़ करके निरंतर सीखने की प्रक्रिया पर बल देकर उस परंपरागत मार्ग को छोड़ा है। यहाँ ग्रेडिंग पूरे सेमेस्टर के दौरान की जाती है। इसमें पाठ्यक्रम कार्य में छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है तथा कक्षा में ज्ञान पैदा करने की सहयोगात्मक प्रक्रिया पुनर्जीवित किया जाता है। एम.ए. स्तर के छात्रों को सीमित विषयों में स्वतंत्र शोध परियोजनाएं करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे अल्पकालिक पेपर तैयार होता है।

अपने नियमित संकाय सदस्यों के अलावा JNU ने पिछले वर्षों के दौरान विशिष्ट पीठ की स्थापना की है, जो निम्नलिखित हैं :

  • राजीव गाँधी पीठ
  • अप्पादुरई पीठ
  • नेल्सन मंडेला पीठ
  • डॉ. अम्बेडकर पीठ
  • आर. बी. आई. पीठ
  • एस. बी. आई. पीठ
  • सुखमय चक्रवर्ती पीठ
  • पर्यावरण विधि पीठ
  • ग्रीक पीठ
  • तमिल पीठ
  • कन्नड़ पीठ

कई संकाय सदस्यों और शोध छात्रों ने अपने अकादमिक काम के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य कई अकादमिक एसोसिएशनों के अध्यक्ष हैं। JNU की विशेषता की अत्यधिक मांग है तथा इसके संकाय सदस्यों ने विभिन्न पदों यथा – राजदूत / उच्चायुक्त और योजना आयोग जैसे महत्वपूर्ण निकायों के सदस्य के रूप में भारत सरकार की सेवा की है। विश्वविद्यालय के बहुत से संकाय सदस्यों ने अन्य विश्वविद्यालयों के बतौर कुलपति भी सेवा की है तथा कर रहे हैं।

JNU चार शोध पत्रिकाएं निकालता है : जो भारत और विदेशों में उच्च शैक्षिक जगत में देखी जाती है। उक्त शोध पत्रिकाएं स्टडीज इन हिस्ट्री, इंटरनेशनल स्टडीज, जेएसएल ( भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन की शोध पत्रिका, ) और हिस्पैनिक हॉरीजन्स है। JNU के कई संकाय सदस्य उपरोक्त चार के अलावा कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं का संपादन भी करते हैं।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने शोध परियोजनाओं, सम्मेलनों और प्रकाशकों में दुनियाँ भर के विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग किया है। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं तथा उनके साथ नियमित रूप से संकाय सदस्यों और छात्रों का आदान प्रदान करते हैं। यहाँ कुछ अंतर्राष्ट्रीय डिग्री पाठ्यक्रमों के भारतीय पाठ्यक्रम ( इंडियन सेगमेंट ) भी संचालित किये जाते हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) द्वारा विश्वविद्यालय के कई शैक्षिक केंद्रों को ‘उत्कृष्टता केंद्र’ घोषित किया गया है, उक्त केंद्र निम्नलिखित हैं :

  • ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र ( सीएचएस )
  • सामाजिक पद्दति अध्ययन केंद्र ( सीएसएसएस )
  • राजनितिक अध्ययन केंद्र ( सीपीएस )
  • आर्थिक अध्ययन एवं नियोजन केंद्र ( सीईएसपी )
  • क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र ( सीएसआरडी )
  • जाकिर हुसैन अध्ययन केंद्र

JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में

ये सभी केंद्र सामाजिक विज्ञान संस्थान में हैं। इसके अलावा तीन विज्ञान स्कूलों – भौतिक विज्ञान संस्थान, जीवन विज्ञान संस्थान तथा पर्यावरण विज्ञान संस्थान को भी यूजीसी द्वारा ‘उत्कृष्टता केंद्र’ के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संस्थान ( एसएलएल एन्ड सी एस ) के अंग्रेजी अध्ययन केंद्र को भी यूजीसी के विशेष सहायता कार्यक्रम के तहत विभागीय शोध सहायता हेतु चिन्हित किया गया है। JNU को भी यूजीसी द्वारा ‘University of Excellence’ का दर्जा दिया गया है।

JNU का राजनितिक कनेक्शन : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हमेशा से ही राजनीतिक संपर्क में रहा है और कहा जाता है कि यह विश्वविद्यालय वामपंथी विचारधारा से प्रभावित है इसका जीता जगता सबुत है कन्हैया कुमार द्वारा संचालित बीते वर्षों की गतिविधियॉं जिसमे केंद्र सरकार (BJP) के खिलाफ भड़काऊ भाषण और आतंकवादी अफजल गुरु के फांसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन साथ ही इस प्रकार के नारे जैसे – ‘हमें चाहिए आज़ादी – हम लेके आज़ादी’।

कन्हैया कुमार द्वारा जो विरोध प्रदर्शन हुआ था, उसके पीछे भी वामपंथी विचारधारा ही काम कर रही थी और इसका असर बाद में देखने को भी मिला जब CPI ने कन्हैया कुमार को 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार के बेगुसराय से टिकट देकर चुनाव लड़वाया वो बात अलग है कि कन्हैया कुमार वह चुनाव हार गये।

JNU का विवादों से कनेक्शन : अभी कुछ दिन पहले ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ नकाबपोशों ने छात्रों पर हमला किया और इसमें बहुत सारे छात्रों की बेरहमी से पिटाई की गयी यह मामला काफी चर्चा में भी रहा इस मुद्दे पर देश में काफी बवाल भी हुए दिल्ली पुलिस भी इसमें सवालों के घेरे में आई इस मामले में CPI और ABVP एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।

दोस्तों, कुछ भी हो लेकिन देश में जब भी कोई बड़ी घटना होती है तो उसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का अपना विचार शामिल हो जाता है और पुरे देश के विश्वविद्यालय भी उसमे अपना विचार शामिल करके JNU का समर्थन करने लगते हैं।

16 दिसंबर 2012 ( निर्भया कांड ) : का कैंपेन भी JNU द्वारा ही चलाया गया था भारत की राजधानी दिल्ली के ‘India Gate’ से शुरू हुआ वह कैंपेन पुरे देश में आग की तरह फ़ैल गया था। और इसका असर कुछ इस तरह हुआ कि पूरा देश इस कैंपेन में शामिल हो गया था।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्र शक्ति में इतनी ताक़त है कि वह देश की हवाओं का रुख बदल सकता है लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि कुछ राजनीतिक पार्टियाँ अपने निजी स्वार्थ के लिए इस छात्र शक्ति का इस्तेमाल कर रही हैं और जिन छात्रों के हाथों में भारत का भविष्य है उन्हें गलत दिशा में ले जाने का काम कर रहीं हैं।

दोस्तों, मै जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उन छात्रों को सलाह देना चाहूंगा कि वे इन राजनीतिक पार्टियों के चक्कर में न आकर अपने पढाई पर ध्यान दें क्योंकि अभी आपकी पढ़ने की उम्र है राजनीति करने के लिए पूरी उम्र पड़ी है। हाँ मै यह भी नहीं कहता कि आप राजनीति में बिलकुल भी इंट्रेस्ट ना लें, इंट्रेस्ट लें पर इतना भी नहीं कि आप पर राजनीति पूरी तरह से हावी पड़ जाए।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। और अगर पसंद नहीं आया है तो क्यों नहीं आया है इसका कारण comment box में लिखें मै अगले आर्टिकल में उसकी भरपाई करने की पूरी कोशिश करूँगा।

कृपया इस आर्टिकल के बारे में आपकी जो भी विचारधारा हो उसे comment box में लिखें, इसे Like करें और अपने दोस्तों के साथ Share करें………………………..धन्यवाद/ शुक्रिया/ मेहरबानी

अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाकात होगी…….तब तक के लिए………जय हिन्द…….जय भारत

आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर

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1 thought on “JNU क्या है || यह हमेशा चर्चा में क्यूं बना रहता है || जानिये Detail में

  1. LarryPleby says:

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