महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

धन – धन भोलेनाथ तुम्हारे कौड़ी नहीं खजाने में।

तीन लोक बस्ती में बसाये आप बसे वीराने में।।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

भगवान शिव की महिमा बड़ी ही निराली है, वह देवों के देव महादेव हैं, महाकाल हैं, और इससे बढ़कर जो बात है वह यह है कि वे अपने आप में एक बहुत बड़े सवाल हैं कि जो समस्त संसार को सब कुछ देने की क्षमता रखता हो वह खुद एक तपस्वी का जीवन बिता रहा हो यही बात उन्हें औरों से बिलकुल अलग रखती है, जितने निराले वे हैं उतने ही निराले उनके भक्त भी हैं, तभी तो उनके भक्त पूरे साल का इन्तजार करते हैं कि कब उनका त्योहार महाशिवरात्रि आये और वे अपने भगवान की उस महान रात्रि को और महान बना सकें । महाशिवरात्रि अर्थात “शिव की महान रात्रि” हर चंद्र मास का चौदहवाँ दिन अथवा हर अमावस्या से पहले का वो दिन जिसे शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक कैलेंडर वर्ष में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है जो हर साल फरवरी – मार्च महीने में आती है।

महाशिवरात्रि का महत्व :

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक बड़ा धार्मिक त्योहार है, इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। वैसे तो हर महीने में शिवरात्रि आती है लेकिन इस महाशिवरात्रि का सबसे अधिक महत्व माना गया है।

महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं, सुबह के वक्त नहा धोकर मंदिर जाते हैं और शिव लिंग पर दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, बेर, आदि का अभिषेक करते हैं और अगरबत्ती / धूपबत्ती जलाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। बहुत से लोग गंगाजल से भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इस दिन शिवभक्त मन्दिर में भगवान शिव का किर्तन – भजन करते हैं और श्रद्दालुओं को प्रसाद के रुप में भाँग की ठंढाई भी पिलायी जाती है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बहुत से जगह शिव बारात की झांकी भी निकाली जाती है जिसमें उनके भक्त अनोखे अंदाज़ में बारात में शामिल होकर बारात की शोभा बढ़ाते हैं।

कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और वे अपने भक्तों के सभी दुःख – दर्द हर लेते हैं और साथ में यह भी कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सभी भगवानों में यही एक भगवान हैं जो बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तभी तो इनके भक्त इन्हें भोलेनाथ के नाम से भी पुकारते हैं।

भोलेनाथ की महिमा :

भोलेनाथ की महिमा वाकई में बड़ी निराली है, भोलेनाथ इतने भोले हैं कि वे अपने किसी भी भक्त को निराश नहीं करते चाहे उन्हें इस बात का पता भी हो कि इसे मै जो वरदान देने वाला हूँ इससे यह मेरे लिए ही खतरा बन सकता है, इसका साक्षात् उदाहरण है भस्मासूर, जब भस्मासूर पर वे प्रसन्न होते हैं तो उसे वरदान देते हैं कि वह जिसके सिर पर भी हाथ रखेगा वह तुरंत भस्म हो जाएगा और यह वरदान पाते ही भस्मासूर भोलेनाथ को ही भस्म करने कोशिश में लग जाता है और उससे बचने के लिए भोलेनाथ को झाड़ियों के पीछे जाकर छिपना पड़ता है और अपने बचाव के लिए भगवान विष्णु पर आश्रित होना पड़ता है आखिर भगवान विष्णु जी स्त्री रूप धारण करके वहाँ पहुँच जाते हैं और भस्मासुर उनपे मोहित हो जाता है और फिर शुरू होता है नृत्य का खेल जिसमे भस्मासुर नृत्य करते समय अपने सिर पर अपना हाथ रखता है और स्वयं ही भस्म हो जाता है। तो दोस्तों कुछ ऐसे हैं हमारे भोलेनाथ।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है :

आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है…..? पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके भिन्न – भिन्न कारण बताये गए हैं जो नीचे दिए जा रहे है:

शिवलिंग की उत्पत्ति :

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन पहली बार शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। ज्योतिर्लिंग यानी इस शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्मा जी हंस के रूप में शिव लिंग के ऊपरी भाग तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो सके। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार यानी जहाँ से शिवलिंग शुरू हुआ है उस भाग को ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिली। क्योंकि इस शिवलिंग का न तो आदि था और न ही अंत, इसी के साथ यह भी माना जाता है कि इसी दिन से सृष्टि की शुरुआत हुई थी।

समुद्र मंथन : 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत के साथ – साथ जो विष उत्पन्न हुआ था उसमें पूरे ब्रह्माण्ड को नष्ट करने क्षमता थी इसलिये भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने कंठ में रख लिया। जहर इतना शक्तिशाली था कि उसके प्रभाव से शिव जी का कंठ नीला पड़ गया और तभी से उनका नाम नीलकंठ पड़ गया। माना जाता है कि जब उन्होंने विष का पान किया तब उन्हें बहुत गर्मी सता रही थी तब सभी देवताओं ने मिलकर उनके ऊपर जलाभिषेक किया और इससे उनकी गर्मी शांत हुई। मान्यता है कि इस दिन जब भक्तों द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है तो उन्हें इससे शितलता मिलती है और वे अपने भक्तों पर अति प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।

शिव – पार्वती विवाह :

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यह विवाह भी बड़ा ही अनोखा था, तो आइये भोलेनाथ के विवाह के बारे में चर्चा करते हैं।

माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन भगवान शिव अपना विवाह करना ही नहीं चाहते थे, सभी देवता लोग चाहते थे कि भगवान शिव विवाह कर लें, समस्या बड़ी गंभीर थी। देवतागण भी चाहते थे कि पर्वत राजकुमारी पार्वती का विवाह अगर भगवान शिव से हो जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। उन्होंने कोशिश भी की लेकिन भगवान शिव विवाह न करने पर अड़े हुए थे उन्होंने पार्वती को बहुत समझाने की कोशिश भी की कि वो किसी राजकुमार से अपना विवाह कर लें क्योंकि मै तपस्वी हूँ मेरे साथ जीवन निर्वाह करना आपको बहुत ही कठिन रहेगा लेकिन पार्वती नहीं मानी और वो घोर तपस्या करने लगीं इस कारण से सभी जगह हाहाकार मच गया पृथ्वी पर पर्वतों का डगमगाना शुरू हो गया तब जाकर भोलेनाथ ने पार्वती से विवाह करने की हामी भरी।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

दोस्तों, अब आता है विवाह का दिन और आप सब तो जानते ही हैैं कि शिव बारात कोई साधारण बारात नहीं था, इस बारात में भूत – प्रेत, सांप – बिच्छू, कीड़े – मकोड़े, राक्षस – चुड़ैल आदि थे और तो और खुद दूल्हे राजा भी अजीबो – गरीब वेशभूषा में थे, “शरीर पर भस्म रमाये हुए, गले में हड्डियाँ लटकाये हुए, सर्प की माला पहने हुए” जब इस तरह की बारात दरवाजे पर पहुँचती है तो लोग डर जाते हैं खासकर पार्वती की माता जी उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी कि मेरी बेटी इनके साथ कैसे अपना जीवन व्यतीत कर पायेगी उन्होंने अपनी बेटी का विवाह करने से मना कर दिया।

माता पार्वती ने स्थिति को बिगड़ते देख भगवान शिव से प्रार्थना किया कि वे वैवाहिक रीति – रिवाज के हिसाब से तैयार होकर आयें और फिर क्या था उन्होंने देवताओं को आदेश दिया और फिर देवता लोग उनको नहलाते – धुलाते हैैं और फूलों से सजाते हैं इसके बाद भगवान शिव अति सुन्दर दिखने लगे और फिर भगवान शिव का विवाह ब्रह्मा जी की उपस्थिति मेें सम्पन्न होता है भगवान शिव और माता पार्वती एक दूसरे के गले में माला पहनाते हैं और उसी दिन से वे एक दूसरे के हो जाते हैं, और यह दिन महाशिवरात्रि का ही दिन था।

अंतत : भोलेनाथ के भक्तों के लिए एक सन्देश, अधिकतर हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं कि भांग और गांजा का सेवन तो भोलेनाथ भी करते थे ये तो भोलेनाथ का प्रसाद है इसका सेवन करने में क्या हर्ज तो दोस्तों यहाँ पर मै आपको बताना चाहूंगा कि भोलेनाथ तो और भी बहुत सारे काम करते थे, वे तपस्वी थे, वे आत्मसंयमी थे, कठोर के लिए कठोर थे और उदार के लिए उदार थे, उन्होंने पृथ्वी की रक्षा के लिए विष का पान कर लिया था। क्या आप ये सब कर सकते हैं नहीं ना तो फिर भांग और गांजा में ही सारी भक्ति क्यों….? भांग और गांजे का सेवन आपकी बुद्धि और शरीर का नाश करते हैं इसके निरंतर सेवन से बचने की कोशिश करें। इसी में आपके और आपके परिवार की भलाई है, बाकी आप खुद समझदार हैं।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा तो सोच क्या रहे हैं अभी इसी वक्त इसे Like करेेेें, अपने दोस्तों के साथ Facebook, Whatsapp, Instagram, Twitter आदि पर Share करें, और अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो उसे नीचे Comment Box में लिखें।

आपकी अति कृपा होगी…..धन्यवाद / शुक्रिया / मेहरबानी

अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए……जय हिन्द……जय भारत……

आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर

7 thoughts on “महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

  1. Robertacugh says:

    I’m selling Aged 2012 Twitter accounts with verified email address only for 4$

    All accounts come with full access to the original email that was used to create the account!
    FAQ.

    Are the accounts aged? Yes, 7 years old

    What are the accounts like? with followers, following, bio or profile picture, all with a luxury name & username

    Only for today. buy 2 get 1 account for free

    If you’re interested Contact me via
    Email – congmmo@gmail . com

    https://sellaccs.net

    Discord : CongMMO#9766
    Skype & Telegram : congmmo
    ICQ : @652720497
    Thank you!

    Reply
  2. NeooImigo says:

    Здесь вы можете заказать копию любого сайта под ключ, недорого и качественно, при этом не тратя свое время на различные программы и фриланс-сервисы.

    Клонированию подлежат сайты как на конструкторах, так и на движках:
    – Tilda (Тильда)
    – Wix (Викс)
    – Joomla (Джумла)
    – WordPress (Вордпресс)
    – Bitrix (Битрикс)
    и т.д.
    телефон 8-996-725-20-75 звоните пишите viber watsapp
    Копируются не только одностраничные сайты на подобии Landing Page, но и многостраничные. Создается полная копия сайта и настраиваются формы для отправки заявок и сообщений. Кроме того, подключается админка (админ панель), позволяющая редактировать код сайта, изменять текст, загружать изображения и документы.

    Здесь вы получите весь комплекс услуг по копированию, разработке и продвижению сайта в Яндексе и Google.

    Хотите узнать сколько стоит сделать копию сайта?
    напишите нам
    8-996-725-20-75 звоните пишите viber watsapp

    Here you can order a copy of any site turnkey, inexpensive and high quality, while not wasting your time on various programs and freelance services.

    Cloning sites are subject to both designers and engines:
    – Tilda (Tilda)
    – Wix (Wicks)
    – Joomla (Joomla)
    – WordPress (WordPress)
    – Bitrix (Bitrix)
    etc.
    phone 8-996-725-20-75 call write viber watsapp
    Not only single-page sites like Landing Page are copied, but also multi-page sites. A full copy of the site is created and forms for sending requests and messages are set up. In addition, the admin panel is connected, which allows you to edit the site code, change the text, upload images and documents.

    Here you will get a full range of services for copying, development and promotion of the site in Yandex and Google.

    Do you want to know how much it costs to make a copy of the site?
    write to us
    8-996-725-20-75 call write viber watsapp

    Reply
  3. Rehab Near Me Alcohol says:

    Drug Rehabilitation http://aaa-rehab.com Drug Rehab Near Me http://aaa-rehab.com Free Rehabilitation Centres
    http://aaa-rehab.com

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *