रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi

रतन टाटा भारत का एक ऐसा नाम है जिसे कौन नहीं जनता वह टाटा समूह के वह बेशकीमती हीरे हैं जिन्होंने टाटा समूह को तो बेहतर बनाया ही है साथ ही अपने देश के लिए भी बहुत कुछ किया है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम “रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi” को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं। तो आइये अब शुरू करते हैं।

यह भी पढ़ें…..ममता बनर्जी की जीवनी | Mamta Banerjee Biography In Hindi

रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi
रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi

रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi

टाटा परिवार का इतिहास

जमशेदजी टाटा

जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को दक्षिणी गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नुसीरवान तथा माता का नाम जीवन बाई टाटा था। उन्होंने मुंबई के एल्फिंसटन कालेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने पिता के साथ 1858 में उनके व्यापार में शामिल हुए जो एक निर्यात व्यापार कंपनी थी।

उस कंपनी के कार्यों के सिलसिले में उन्होंने विदेशों में भ्रमण किया और उससे उन्हें काफी अनुभव प्राप्त हुआ और उन्हीं अनुभवों के दम पर उन्होंने भारत में औद्योगिक विकास का सपना देखा जिसके तहत टाटा समूह की स्थापना की। उनके नाम पर ही बिहार में जो अब अलग राज्य झारखण्ड बन गया है में जमशेदपुर (टाटा नगर) बसाया गया है।

1872 में उन्होंने कपड़े की मिल लगाई। 1877 में नागपुर और उसके बाद मुंबई में मीलों की स्थापना की और भारत में कच्चे रेशम की भी शुरुआत की और मुंबई में पनबिजली संयंत्रों की भी योजना बनाई जो बाद में उनकी मृत्यु के बाद टाटा पावर कंपनी बनी।1901 में टाटा समूह ने बड़े पैमाने पर लोहे के क्षेत्र में कदम रखा जिसे 1907 में टाटा आयरन एन्ड स्टील के नाम से संगठित किया गया।

दोराबजी और सर रतनजी टाटा

उनके पुत्रों सर दोराबजी जमशेदजी टाटा (1859 – 1932) और सर रतनजी टाटा (1871 – 1932) के निर्देशन में टाटा इंडियन स्टील कंपनी भारत में इस्पात बनाने वाली निजी स्वामित्व की सबसे बड़ी कंपनी तथा ऐसे कंपनी समूह का केंद्र बन गई जो न सिर्फ कपड़ा,इस्पात और बिजली उत्पादन करती थी बल्कि रसायन,कृषि संयंत्र, ट्रक, रेल का इंजन और सीमेंट का निर्माण करती थी। टाटा परिवार की औद्योगिक इकाईयां ज्यादातर झारखण्ड के जमशेदपुर में स्थित हैं।

1932 में दोराबजी के मृत्यु के पश्चात् संस्थापक के भतीजों में से एक सर नौरोजी सकलातवाला टाटा कॉर्पोरेट समूह के अध्यक्ष बने। 1938 में उनकी मृत्यु के बाद जहांगीर रतनजी दादा भाई टाटा अर्थात जेआरडी टाटा (1904 – 1993) जिनके पिता आरडी टाटा जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई और रिस्तेदार थे वह अध्यक्ष बने।

जेआरडी टाटा

1932 में “जेआरडी टाटा” ने टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की जिसका 1953 में अन्तर्राष्ट्रीय करण हो गया और उसका विभाजन करके भारत की प्रमुख घरेलु और अंतर्राष्ट्रीय हवाई सेवा इंडियन एयरलाइन्स कारपोरेशन और एयर इंडिया का स्वरुप दिया गया। 1992 में “जेआरडी टाटा” को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न प्रदान किया गया।

रतन नवल टाटा

1962 में जेआरडी टाटा के भतीजे “रतन नवल टाटा” टाटा उद्योग समूह में शामिल होते हैं और 1991 में उन्होंने “जेआरडी टाटा” के उत्तराधिकारी के रूप में टाटा समूह की मुख्य कंपनी टाटा संस लिमिटेड का अध्यक्ष पद संभाला। भारतीय उद्योगों के विकास में उनकी भागीदारी के लिए रतन टाटा को भारत सरकार ने वर्ष 2000 में पद्म-भूषण से सम्मानित किया था।

रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत (गुजरात) में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा है जिन्हें नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद गोद लिया था। जब रतन टाटा 10 साल के थे और उनके छोटे भाई जिम्मी 7 साल के थे, तभी माता-पिता नवल टाटा और सोनू टाटा एक-दूसरे से अलग हो गये उसके बाद रतन टाटा और जिम्मी टाटा दोनों की परवरिश उनकी दादी नवजबाई ने किया। उनका एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है।

रतन टाटा का शैक्षणिक जीवन

रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से की और माध्यमिक शिक्षा कैथेड्रल एन्ड जॉन कानन स्कूल से प्राप्त किया। तत्पश्चात उन्होंने बीएस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री कार्नेल विश्वविद्यालय से पूरा किया। उसके बाद उन्होंने हॉर्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट की डिग्री ली।

रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की

रतन टाटा बताते हैं कि जब वे लॉस एंजेलिस (जो अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रान्त का सबसे बड़ा शहर है) में रह रहे थे तो उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था और वे उससे शादी भी करना चाहते थे लेकिन जब उनकी दादी नवजबाई की तबियत ख़राब हुई (जिन्होंने उनकी परवरिश की थी) उस समय उन्हें भारत आना था और जब उन्होंने उस लड़की से कहा कि मेरे साथ इंडिया चलो हम वहीं शादी कर लेंगे तो उस लड़की के माता-पिता उसे इंडिया भेजने के लिए राजी नहीं हुए और वे अकेले ही अपने देश वापिस आ गए।

कुछ समय बाद जब उन्होंने उस लड़की से शादी करनी चाही तो पता चला कि उसके माता-पिता ने उसकी शादी कहीं और कर दी। उसके बाद रतन टाटा ने शादी का ख़याल ही अपने दिमाग से निकाल दिया क्योंकि वह उस लड़की से दिल से मोहब्बत करते थे और उन्होंने उससे वादा भी किया था कि अगर वे शादी करेंगे तो सिर्फ उसी से वह तो अपना वादा तोड़ गयी लेकिन रतन टाटा जो अपने वादे के पक्के हैं उन्होंने अपना वादा निभाया और किसी और से शादी नहीं की। वे कहते हैं कि अच्छा हुआ जो मैंने शादी नहीं की अगर शादी कर लेता तो शायद जिंदगी और भी जटिल होती।

रतन टाटा का व्यावसायिक जीवन

  • 1961 में रतन टाटा ने अपने कैरियर की शुरुआत टाटा ग्रुप के स्टील के शॉप फ्लोर से शुरू किया उसके बाद वे टाटा ग्रुप के और कंपनियों से जुड़े।
  • 1971 में उन्हें राष्ट्रीय रेडिओ और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी नेल्को में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया।
  • 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष बनाया गया।
  • 1991 में जब जेआरडी टाटा ने अध्यक्ष पद को छोड़ा तब उन्होंने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
  • रतन टाटा के टाटा समूह को एक नया आयाम दिया और समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
  • उनके अगुआई में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया।
  • 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली भारतीय कार टाटा इंडिका को बनाया और बाजार में उतारा।
  • उसके बाद टाटा टी ने टेटली, टाटा मोटर्स ने जैगुआर, लैंड रोवर और टाटा स्टील ने कोरस का अधिग्रहण किया जिससे टाटा समूह की साख भारतीय उद्योग जगत में और ज्यादा बढ़ी।
  • उन्होंने कार जगत की दुनियाँ में एक और धमाका करते हुए दुनियाँ की सबसे सस्ती कार नैनो को लांच किया जो उनके बेहतरीन सोच परिणाम था।
  • 2012 में वे टाटा समूह के सभी कार्यकारी जिम्मेदारी से सेवानिवृत्त हुए और उनका स्थान साइरस मिस्त्री ने लिया।
  • रतन टाटा अभी भी चैन से नहीं बैठे हैं और अब वे कई कंपनियों में साइलेंट इन्वेस्ट कर रहे हैं, जैसे – स्नैपडील, क्सिओमी आदि।

यह पढ़ें…..व्लादिमीर पुतिन की जीवनी | Vladimir Putin Biography In Hindi

This image has an empty alt attribute; its file name is ratan-tata-1.jpg

रतन टाटा की जीवनी | Ratan Tata Biography In Hindi

रतन टाटा की खूबियां

रतन टाटा की कोशिश रहती है कि वे देश की बेहतरी के लिए अपनी तरफ से जो भी हो सके करते रहें तभी तो उन्होंने समाज के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए शिक्षा, विज्ञानं और तकनीक के क्षेत्र में बहुत सारे योगदान दिए हैं जो सराहनीय है।

रतन टाटा की संपत्ति

रतन टाटा की कुल संपत्ति 77000 करोड़ रूपये से ज्यादा है और जो सबसे अहम बात है वो यह है कि वे अपनी कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा दान में दे देते हैं जो उनकी महानता को दर्शाता है।

रतन टाटा का देश प्रेम

रतन टाटा देश प्रेम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जब भी देश पर किसी भी प्रकार का संकट आता है वह देश के लोगों के लिए सरकार के माध्यम से अपनी तरफ से बड़ी राशि देकर एक सच्चा देश भक्त होने का सबूत पेश करते हैं। कोरोना काल में भी उन्होंने देश हित के लिए बड़ी रकम का दान दिया था।

रतन टाटा को सम्मान और पुरस्कार

रतन टाटा को भारत सरकार द्वारा सन 2000 में पद्म भूषण सम्मान से और 2008 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया है। इसके अलावा उन्हें भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत सारे सम्मान और पुरस्कार मिले हैं और उनकी संख्या भी 30 से ऊपर ही होगी जिसका जिक्र अगर हम इस आर्टिकल में करेंगे तो आर्टिकल बहुत लम्बा हो जायेगा इसलिए उनका जिक्र नहीं कर रहे हैं।

टाटा समूह और उसकी शाखाएं

टाटा समूह एक निजी व्यावसायिक संगठन है जिसका हेड ऑफिस मुंबई में है वैसे तो इस समूह का नेटवर्क पुरे भारत में फैला है और इनकी बहुत सारी कंपनियां देश के अलग-अलग स्थानों पर हैं ही लेकिन इनका मुख्य औद्योगिक स्थान झारखण्ड का जमशेदपुर है जहाँ पर इनकी ज्यादातर औद्योगिक इकाइयां सक्रीय हैं और उस स्थान को टाटा नगर के नाम से जाना जाता है।

टाटा समूह नमक, से लेकर ट्रक तक का उत्पादन करता है इनकी कुल 100 से अधिक कंपनियां हैं जो पृथ्वी की 6 महाद्वीपों के 40 राज्यों में सक्रीय हैं। टाटा समूह दुनियां के 140 से भी ज्यादा देशों को अपना उत्पाद और सेवा निर्यात (Export) करता है। इस कंपनी में ढाई लाख के आस-पास कर्मचारी काम करते हैं।

टाटा समूह की उत्पाद और सेवाएं

टाटा समूह की कुल 100 से अधिक कंपनियां हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में उत्पादन से लेकर सेवा तक के माध्यम से भारत सहित पूरी दुनियाँ में सक्रीय हैं, जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित हैं।

टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा ऑयल्स, टाटा केमिकल्स, टाटा पावर, टाटा एयरलाइन्स, टाटा नमक, टाटा चाय, टाटा टेली सर्विसेज, टाटा नेट, टाटा घड़ी (Titan), टाटा एसी (Voltas), टाटा संचार (VSNL), टाटा इंफोटेक, टाटा टेक्नोलॉजिस, टाटा स्काई, टाटा टेलीग्लोब, टाटा पिगमेंट्स, टाटा कंसल्टेंसी, टाटा कम्युनिकेशन टाटा सीमेंट आदि।

टाटा रेल इंजन और बहुत सारे मशीनरी उत्पाद भी बनाता है, साबुन और डिटर्जेंट भी बनाता है, टाटा समूह शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्यरत है, जैसे – टाटा मैनेजमेंट ट्रेनिंग सेंटर (पुणे), और नेशनल सेण्टर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स। होटल के क्षेत्र में भी टाटा समूह शीर्ष पर है, जैसे होटल ताज ग्रुप।

टाटा समूह सरकारी संस्थानों में भी शामिल है , जैसे – भारतीय विज्ञानं संस्थान, टाटा समाज विज्ञानं संस्थान, टाटा मूलभूत अनुसंधान केंद्र, टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान आदि।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों, इंसान चाहे कितनी भी दौलत कमा ले लेकिन जिस दिन वह इस दुनियाँ को अलविदा कहता है वह सब कुछ यहीं छोड़कर चला जाता है, क्योंकि कफ़न में जेब नहीं होती है और अगर होगी भी तब भी सब-कुछ यहीं जलकर खाक हो जाना है लेकिन हाँ उसके जाने के बाद उसके कर्मों की चर्चा होती है और सच कहें तो वही इंसान की असली कमाई होती है।

रतन टाटा जैसे लोग अपने-आप में एक शख्सियत होते हैं और सच कहें तो दौलत का सही इस्तेमाल इन जैसे महापुरुषों को ही करना आता है। क्योंकि दौलत का सही इस्तेमाल तो लोगों का मदद करना ही होता है जो रतन टाटा जैसे लोग भली-भाँति जानते हैं और वे अपने-आप को भी पहचानते हैं कि मै कौन हूँ और मेरी औकात क्या है।

स्पष्ट शब्दों में कहें तो “क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाना है, मुट्ठी बांधे आये थे और हांथ पसारे जाना है”।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा, तो सोच क्या रहे हैं, इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करे, लाइक करें और अगर कुछ कहना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें। क्योंकि आपका सुझाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे आप हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए अपना बहुत-बहुत-बहुत ख़याल रखियेगा, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं,साथ हैं, साथ हैं।

आज के लिये सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिये…..जय हिन्द – जय भारत।

धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी

आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com

और पढ़ें…..मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी

और पढ़ें…..गौतम अडानी का जीवन परिचय | Gautam Adani Biography

और पढ़ें…..मुकेश अंबानी की दिनचर्या | Mukesh Ambani’s Daily Routine

और पढ़ें…..FEVICOL Success Story In Hindi | बलवंत पारेख की जीवनी

और पढ़ें…..Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *