नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी को क्यों छोड़ा था > यह सवाल अधिकतर लोगों के ज़हन में आ ही जाता है, दोस्तों, संसार के हर एक व्यक्ति के जीवन में जो भी कुछ अच्छा या बुरा होता है उसके पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है। बुद्धजीवियों ने कहा है कि हर एक पिछले कारण से अगला कारण और उस अगले से उससे अगला कारण प्रभावित होता है लेकिन यहाँ पर सवाल यह है कि आखिर मोदी जी द्वारा अपनी पत्नी को छोड़ने के पीछे का क्या कारण था ? तो आइये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सब कुछ।
नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी को क्यों छोड़ा था
नरेंद्र मोदी की शादी कब हुई थी
नरेंद्र मोदी जब महज़ 17 वर्ष के थे तभी उनका विवाह 15 वर्षीय किशोरी जशोदाबेन के साथ हो गया था जो गुजरात के उंझा के ब्रह्मवाड़ा की रहने वाली थी। मोदी का विवाह गुजरती रीति-रिवाज के साथ बड़ी ही धूम-धाम से हुआ था और पुरे दो दिन तक उनका बारात ब्रह्मवाड़ा में रुका था।
नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी के साथ कितने साल रहे
नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी के साथ महज़ 3 साल ही रहे और उस बीच कभी भी वे उनके संपर्क में नहीं रहे क्योंकि मोदी जी ज्यादातर आरएसएस के कार्यालय में ही अपना समय व्यतीत करते थे और बाद में वे अपनी पत्नी और घर को छोड़कर अपने जीवन को एक अलग दिशा में ले जाने के लिए अपनी राह पर चल पड़ते हैं।
नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी को क्यों छोड़ा था
सच कहें तो नरेंद्र मोदी एक अलग किस्म के इंसान हैं वे कुंवारा ही रहना चाहते थे अर्थात विवाह करने की उनकी बिलकुल भी इच्छा नहीं थी लेकिन फिर भी उनके घर वाले नहीं माने और उनकी शादी कर दी। मोदी ने घर वालों की बात मानकर शादी तो कर ली लेकिन उनका मन वैवाहिक जीवन में लगा नहीं क्योंकि वे अपने जीवन को जिस दिशा में ले जाना चाहते थे उसके लिए उन्हें स्वतंत्रता चाहिए थी जो एक शादी-शुदा इंसान के लिए कठिन था।
आखिरकार मोदी ने यह फैसला लिया कि वे वैवाहिक जीवन से परे सन्यासी जीवन अपनाएंगे और वे अपना घर-परिवार तथा अपनी पत्नी को छोड़कर चले गए।
नरेंद्र मोदी सन्यासी से राजनीतिक कैसे बने
नरेंद्र मोदी ने जब अपना घर छोड़ा तो वे हिमालय गए थे सन्यासी बनने उन्होंने कई गुरुओं से भी संपर्क किया कि वे उन्हें दीक्षा दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि उन्हें यह कहकर वापिस भेज दिया गया कि वे किसी बड़े कार्य हेतु इस दुनियाँ में आये हैं और उन्हें उसी राह पर चलना चाहिए।
नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानन्द से बहुत प्रभावित थे वे उनके द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन के राजकोट (गुजरात) आश्रम भी गए थे लेकिन उस आश्रम के प्रमुख स्वामी आत्मसहजानन्द ने उन्हें यह कहकर वापिस कर दिया कि उनके जैसे लोगों को लोगों के बीच में रहकर लोगों के लिए काम करना चाहिए।
नरेंद्र मोदी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे इसलिए वे वहीं से देश सेवा की राह पकड़कर आगे बढ़े और आरएसएस के प्रचारक बन गए। धीरे-धीरे उनका कद बढ़ता गया और वे गुजरात की राजनीति में सक्रीय भूमिका निभाते हुए लगातार तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल सुपर हिट रहा और उन्हें केंद्र का जिम्मा सँभालने का अवसर मिला और 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों से विजय प्राप्त करके वे भारत के प्रधानमंत्री बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारत की जनता ने उनपे भरोसा किया और दोबारा फिर भारत के प्रधानमंत्री बने।
नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी को क्यों छोड़ा था
नरेंद्र मोदी की पत्नी कहाँ रहती हैं
नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन अपने मायके गुजरात के उंझा के ब्रह्मवाड़ा में अपने छोटे भाई अशोक के साथ रहती हैं जो उंझा में ही एक किराने की दुकान चलाते हैं। जशोदाबेन के एक और छोटे भाई कमलेश हैं जो उंझा में ही एक फैक्टरी में मजदूरी का काम करते हैं।
कमलेश कहते हैं कि हम लोग नरेंद्र मोदी पर बहुत गर्व करते हैं कि हमारे बहनोई देश के प्रधानमंत्री हैं अब चाहे भले ही उन्होंने हमारी बहन से रिस्ता तोड़ लिया है लेकिन फिर भी हम उन्हें अपना बहनोई मानते हैं और उन्होंने भी तो 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पर्चा भरते समय अपने पत्नी के नाम वाले कालम में हमारी बहन जशोदाबेन का नाम लिखा था जिससे हमारे परिवार में एक ख़ुशी की लहर देखने को मिली।
नरेंद्र मोदी की पत्नी क्या काम करती हैं
नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन सरकारी स्कूल में टीचर थीं लेकिन अब वह रिटायर हो चुकी हैं और अपने-आप को ज्यादातर धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त रखती हैं। वह पूजा-पाठ में अपना ज्यादातर समय बिताती हैं।
नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी से मिलते हैं या नहीं
नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी से किसी भी प्रकार का कोई भी रिस्ता अब नहीं रखते हैं क्योंकि वे अपने-आप को सन्यासी मानते हैं और एक सन्यासी का किसी भी महिला से किसी भी प्रकार का संपर्क उसके सन्यासी जीवन पर सवालिया निशान खड़ा करता है और नरेंद्र मोदी यह नहीं चाहते कि उनके जीवन भर की तपस्या पर किसी भी प्रकार की उंगली उठे इसलिए वे जशोदाबेन से बिलकुल भी नहीं मिलते हैं।
नरेंद्र मोदी को अपनी पत्नी की याद आती है या नहीं
इस सवाल का बिलकुल सही जबाब अगर कोई दे सकता है तो वह स्वयं नरेंद्र मोदी हैं लेकिन अगर मानवीय अवधारणा की बात करें तो पति और पत्नी का रिस्ता एक ऐसा रिस्ता होता है जिसे जीते जी कोई भी भुला नहीं सकता है।
अब मोदी भले ही भारत के प्रधानमंत्री बन चुके हैं लेकिन वह भी एक इंसान हैं और उनके भी सीने में एक दिल है चाहे वह कितना भी कठोर हो लेकिन मानवीय अवधारणा से परे नहीं जा सकता और तन्हाई के समय में कभी ना कभी वह जशोदाबेन को याद तो करते ही होंगे।
वैसे भी नरेंद्र मोदी और जशोदाबेन ने एक दूसरे को तलाक नहीं दिया है और 2014 के लोकसभा चुनाव में परचा भरते समय मोदी ने पत्नी के नाम वाले कालम में जशोदाबेन का नाम भरा था और इस खबर को सुनकर जशोदाबेन की आँखों में पानी भर गया था।
जशोदाबेन नरेंद्र मोदी से जुड़ी खबरों को अखबारों में बड़े चाव से पढ़ती हैं और जब लोग उनसे मोदी के बारे में कुछ बात करना चाहते हैं तो वे छोड़ो ना कहकर बात को टाल जाती हैं।
नरेंद्र मोदी का फैसला सही था या गलत
दोस्तों, कमजोर मानसिकता वाले लोगों को परिवार, रिस्तेदार, संगी-साथी दुनियाँ और समाज के लोग प्रभावित करते हैं लेकिन मजबूत मानसिकता वाले लोग अपने दृढ़ निश्चय और कठोर फैसलों से कुछ ऐसा कर जाते हैं कि एक दिन एक बहुत बड़ा तबका उनसे प्रभावित होने लगता है। हो सकता है कि नरेंद्र मोदी का वह फैसला (जब उन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ा था) लोगों को गलत लगा होगा लेकिन अगर वह शायद वह फैसला उस समय नहीं लेते तो आज वह जिस शिखर पर विराजमान हैं शायद नहीं होते।
अब यहाँ पर एक सवाल उठ सकता है कि नरेंद्र मोदी को अगर अपनी पत्नी को छोड़ना ही था तो उन्होंने शादी ही क्यों की। आपके इस सवाल पर मै भी आपका समर्थन करता हूँ, बल्कि मै तो यह भी कहूंगा कि उन्हें किसी की जिंदगी से इस तरह खेलने का कोई अधिकार नहीं था लेकिन दोस्तों इंसान को कभी-कभी अपने जीवन में बहुत से ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जिसका दूरगामी परिणाम बेहतर साबित होता है।
Conclusion (निष्कर्ष)
यहाँ पर जशोदाबेन की भूमिका काबिले-तारीफ है क्योंकि उन्होंने भी अपनी दूसरी शादी नहीं की और नरेंद्र मोदी द्वारा न स्वीकार किये जाने पर भी उन्हें ही अपना पति मानते हुए अपना पूरा जीवन अकेले ही गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन फिर भी उन्होंने यह चुनौती स्वीकार किया।
कोई कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो तय है कि जब भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्नी की चर्चा होगी तो जशोदाबेन का नाम तो लिया ही जायेगा क्या ये उनके लिए गर्व की बात नहीं होगी। वैसे भी कहते हैं ना कि “कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है” और अगर जशोदाबेन ने अपनी जिंदगी में पति का सुख खोया है तो उन्हें एक नाम भी तो मिला है प्रत्यक्ष ना सही लेकिन अप्रत्यक्ष तो मिला ही है।
आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा और इसे आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर भी करेंगे साथ ही लाइक और कमेंट भी करेंगे। वैसे भी आपका सुझाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे आप हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, इसलिए अपना बहुत-बहुत-बहुत ख़याल रखियेगा, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं।
आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक लिए…..जय हिन्द – जय भारत।
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com