जब-जब भारत की राजधानी दिल्ली पर बाढ़ का खतरा मंडराता है, तो उसके पीछे सिर्फ एक ही नाम आता है जिसे हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज के नाम से जाना जाता है, आखिर ये है क्या बला……? सब कुछ बतायेंगे, इस दहशतगर्द बैराज से आपको रूबरू भी करायेंगे, बस बने रहियेगा हमारे साथ, क्योंकि हम नहीं करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं > हथिनीकुंड बैराज की कहानी
हथिनीकुंड बैराज की कहानी
हथिनीकुंड बैराज भारत की राजधानी दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर उत्तर की दिशा में हरियाणा राज्य के यमुना नगर में स्थित है। जिसे हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से आने वाले पानी को रोककर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के खेतों की सिंचाई सुविधा को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
हथिनीकुंड बैराज से ही राजधानी दिल्ली को लगभग 60 % पीने के पानी की सप्लाई की जाती है, लेकिन बरसात के मौसम में जब हिमाचल के पहाड़ी हिस्सों से नीचे की तरफ पानी का बहाव तेजी से और जरुरत से ज्यादा आता है तब ये बैराज उसको झेलने में नाकामयाब होता है, मजबूरन उस पानी को आगे छोड़ना पड़ता है जिसका सबसे बड़ा शिकार राजधानी दिल्ली होता है।
आखिर कब और क्यों बना यह बैराज, कहाँ-कहाँ से आता है इसमें पानी, और कहाँ-कहाँ को जाता है इसका पानी, क्यों इसके नाम से बरसात के मौसम में दहशत में आ जाती है देश की राजधानी दिल्ली और हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली के बीच यमुना के किनारे बसे हैं कौन-कौन से शहर, यह सब जानने के लिए इस आर्टिकल को कृपया पूरा पढ़ें,…..
हथिनीकुंड बैराज कब बना ?
हथिनीकुंड बैराज की आधारशिला 12 मई 1994, निर्माण कार्य 1996 में, और इसका उद्घाटन 1999 में तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री बंशीलाल द्वारा हुआ था जबकि इसका पूर्ण उपयोग 2002 से शुरू हुआ था।
इस बैराज से भारत के पांच राज्यों का सम्बन्ध है जिसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली हैं, इसके पानी का बंटवारा इन पांच राज्यों में किया जाता है, इसके आधारशिला के समय इन राज्यों के जो तत्कालीन मुख्यमंत्री थे, वे थे > हिमाचल प्रदेश से वीरभद्र सिंह, उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह यादव, हरियाणा से भजनलाल, राजस्थान से भैरो सिंह शेखावत और दिल्ली से मदनलाल खुराना,
हथिनीकुंड बैराज के निर्माण में कुल 168 करोड़ रूपये की लागत आई थी, , इसकी लम्बाई 360 मीटर है, इसमें फ़िलहाल वर्तमान में 18 गेट हैं, और अगर इसकी पानी रोकने की क्षमता की बात करें तो यह बैराज 10 लाख क्यूसेक पानी रोकने की क्षमता रखता है।
हथिनीकुंड बैराज क्यों बना ?
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया ताजेवाला बैराज 126 साल तक बरकरार रहा, तत्पश्चात उससे 4 किलोमीटर की दूरी पर हथिनीकुंड बैराज बनाने का फैसला हुआ, जिसका उद्देश्य था हिमाचल प्रदेश से आने वाला पानी एक जगह इकट्ठा करके जरुरत की हिसाब से अन्य राज्यों तक पहुँचान, जैसे – उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली।
हथनीकुंड बैराज में पानी कहाँ से आता है ?
हथिनीकुंड बैराज में जो पीछे से पानी आता है वह ज्यादातर हिमाचल की पहाड़ियों की तरफ से आता है, बरसात के मौसम में भारी बारिश के कारण हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र से नीचे की तरफ तेजी से आने वाला जल प्रवाह को हथिनीकुंड बैराज में रोका जाता है।
हथिनीकुंड बैराज से पानी कहाँ-कहाँ जाता है ?
हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों की तरफ से आने वाले पानी को हथिनीकुंड बैराज में रोककर जरुरत के हिसाब से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली को सप्लाई किया जाता है।
हथिनीकुंड बैराज से आगे पानी छोड़ने के तीन रास्ते हैं, पहला दिल्ली का जिसमें खुद यमुना नदी ही है जो आगे दक्षिण दिशा की तरफ जाती है, दूसरा रास्ता है उत्तर प्रदेश की तरफ जाने वाला पूर्वी नहर जिसके द्वारा सहारनपुर, बागपत और शामली के क्षेत्र तक पानी की पहुँचता है, और तीसरा रास्ता है पश्चिमी नहर जिसके द्वारा हरियाणा और राजस्थान की पानी की आपूर्ति की जाती है।
हथिनीकुंड बैराज दिल्ली को क्यों डराता है
मानसून के मौसम में जब ऊपरी पहाड़ी हिस्सों से जलस्तर का बहाव तेजी से नीचे की ओर आता है तो हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर उफान पर आ जाता है और इस बैराज की वाटर स्टोरेज क्षमता जितनी (10 लाख क्यूसेक पानी) है उससे ज्यादा रोकने में असमर्थ होने के कारण पानी यमुना के आगे की तरफ छोड़ना पड़ता है जिसका सीधा असर राजधानी दिल्ली पर पड़ता है।
हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी (जहाँ से दिल्ली 200 किलोमीटर है) लगभग 72 घंटे बाद दिल्ली पहुँचता है और जलस्तर अधिक होने के कारण दिल्ली में बहने वाली यमुदा नदी के किनारे के हिस्सों में बाढ़ का खतरा बन जाता है।
यमुना नदी पर बने कई पुल भी प्रभावित होने के कारण बंद कर दिए जाते हैं, दिल्ली का पुराना लोहे का पुल पूरी तरह से बन कर दिया जाता है, जिसके कारण पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन जाने वाली रेलवे लाइन भी प्रभावित होती है और कई ट्रेनों को भी रद्द कर दिया जाता है, जो दिल्ली वालों के लिए बड़े परेशानी का कारण बन जाता है।
हथिनीकुंड बैराज और दिल्ली के बीच कौन-कौन सा शहर आता है ?
हथिनीकुंड बैराज से बहकर आने वाला पानी हरियाणा के यमुना नगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत होते हुये दिल्ली पहुँचता है, इसके अलावा इसका पानी नहरों द्वारा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, बागपत और शामली तक पहुँचाया जाता है,
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही साथ आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी म लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द – जय भारत
लेखक परिचय
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