चाणक्य नीति अध्याय-11 | चाणक्य के 17 अनमोल विचार

चाणक्य नीति अध्याय-11 | चाणक्य के 17 अनमोल विचार > वैसे तो चाणक्य नीति में कही गयी बातें लगभग 2300 वर्ष पुरानी हैं लेकिन ये आज भी उतनी ही कारगर हैं जितनी कि तब थीं। इसलिए चाणक्य नीति को आप हल्के में ना लें बल्कि इससे कुछ सीखते हुए अपने मानसिक ढांचे को पहले से ज्यादा मजबूत बनाएं और अपने आप को पहले से बेहतर पाएं। इसलिए बने रहिएगा हमारे साथ क्योंकि आज होगी सिर्फ और सिर्फ दिमाग को मजबूत बनाने की बात।

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चाणक्य नीति अध्याय 11
चाणक्य नीति अध्याय 11

चाणक्य नीति अध्याय-11

विचार : 1 >

आचार्य चाणक्य ने इंसान के पैदायसी गुणों की चर्चा करते हुए कहा है कि, दान देने की आदत, प्रिय बोलना, धीरज रखना, तथा उचित ज्ञान – ये चारों व्यक्ति के सहज गुण हैं, जो अभ्यास से नहीं आते बल्कि पैदायसी होते हैं।

विचार : 2 >

आचार्य जी कहते हैं कि, अपने वर्ग को छोड़कर दूसरे वर्ग का सहारा लेने वाला इंसान बिलकुल उसी प्रकार नष्ट हो जाता है, जैसे अधर्म से एक राज्य नष्ट हो जाता है।

विचार : 3 >

चाणक्य का कहना है कि, छोटा सा अंकुश एक विशाल हाथी को वश में कर लेता है, छोटा सा दीपक घने अंधकार को दूर कर देता है, छोटा सा वज्र विशाल पर्वत को गिरा कर चूर-चूर कर देता है। आशय यह है कि किसी व्यक्ति का मोटा-तगड़ा होने से कोई लाभ नहीं है बल्कि उसमे हिम्मत और साहस होना चाहिए।

विचार : 4 >

चाणक्य पंडित के अनुसार, कलियुग के 10 वर्ष बीत जाने पर भगवान पृथ्वी को छोड़ देते है। इसके आधे समय में गंगा अपने जल को छोड़ देती है। इसके भी आधे समय में ग्राम देवता पृथ्वी को छोड़ देते है।

विचार : 5 >

चाणक्य नीति में लिखा है कि, गृहासक्त को विद्या प्राप्त नहीं होती, मांस खाने वाले में दया नहीं होती, धन के लोभी में सत्य तथा स्त्रैण में पवित्रता का होना असंभव है।

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चाणक्य नीति

चाणक्य नीति अध्याय-11

विचार : 6 >

चाणक्य के अनुसार, दुष्ट को सज्जन नहीं बनाया जा सकता, दूध और घी से आमूल सींचें जाने पर भी नीम का वृक्ष मीठा नहीं बनता।

विचार : 7 >

चाणक्य कहते हैं कि, जैसे सुरापात्र अग्नि में जलाने पर भी शुद्ध नहीं होता। इसी प्रकार जिसके मन में मैल हो, वह दुष्ट चाहे जितने भी तीर्थ स्नान कर ले, वह कभी शुद्ध नहीं होता।

विचार : 8 >

आचार्य जी वस्तु की गुण ग्राहकता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि जो जिसके गुणों को जानता ही नहीं, वह यदि उसकी निंदा करे, तो इसमें आश्चर्य ही क्या है ! जैसे भीलनी हाथी के मस्तक की मोती को छोड़कर गुंजा की माला पहनती है।

विचार : 9 >

आचार्य जी मौन के बारे में चर्चा करते हैं कि, मौन रहना एक प्रकार की तपस्या है, जो व्यक्ति केवल एक साल तक मौन रहता हुआ भोजन करता है, उसे करोड़ों युगों तक स्वर्गलोक के सुख प्राप्त होते है।

विचार : 10 >

आचार्य जी ने यहाँ विद्यार्थियों के न करने योग्य कामों के बारे में चर्चा करते हुए कहा है कि, काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, श्रंगार, कौतुक, अधिक सोना, अधिक सेवा करना, इन आठ कामों को विद्यार्थी छोड़ दें, ये उनके भविष्य के लिए अच्छा होगा।

विचार : 11 >

आचार्य जी ने ऋषि मुनियों के बारे में चर्चा करते हुए कहा है कि, जो ब्राह्मण बिना जोति भूमि से फल, मूल आदि का भोजन करता है, सदा वन में रहता है तथ नित्य श्राद्ध करता है, उसे ऋषि कहा जाता है।

विचार : 12 >

चाणक्य के अनुसार, दिन में एक बार ही भोजन करने वाला, अध्ययन, तप आदि छः कार्यों में लगा रहने वाला तथा ऋतुकाल में ही पत्नी से सम्भोग करने वाला ब्राह्मण द्विज कहा जाता है।

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चाणक्य के विचार

चाणक्य नीति अध्याय-11

विचार : 13 >

चाणक्य के अनुसार, जो ब्राह्मण सांसारिक कार्यों में रत रहता है, पशु पालता है, व्यापार तथा खेती करता है, उसे वैश्य कहा जाता है। हालाँकि वर्तमान काल में अधिकांश ब्राह्मण खेती और पशुपालन करते हैं क्योंकि समय के साथ बहुत कुछ बदल चुका है।

विचार : 14 >

आचार्य चाणक्य कहते है कि, दूसरे का काम बिगाड़नेवाले, दम्भी, स्वार्थी, छली-कपटी , द्वेषी, मुँह से मीठा किन्तु ह्रदय से क्रूर मार्जार ( बिल्ला-बिलौटा ) कहा जाता है।

विचार : 15 >

आचार्य जी कहते है की बावड़ी, कुवें, तालाब, देवमंदिर आदि को निडर होकर नष्ट करने वाला ब्राह्मण म्लेच्छ कहा जाता है।

विचार : 16 >

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, जो ब्राह्मण देवताओं की या गुरुओ की वस्तुओं की चोरी करता है, परस्त्री से सम्भोग करता है और सभी प्राणियों के बीच में निर्वाह कर लेता है, उसे चांडाल कहा जाता है।

विचार : 17 >

यहाँ पर आचार्य जी दान के बारे में चर्चा करते हुए करते हैं कि, महापुरुष भोज्य पदार्थों तथा धन का दान करें। इसका संचय करना उचित नहीं है। कर्ण, बलि आदि की कीर्ति आज तक बनी हुई है। हमारा लम्बे समय तक संचित सहद, जिसका हमने दान या भोग नहीं किया, नष्ट हो गया है, यही सोचकर दुःख से ये मधु-मक्खियां अपने दोनों पावों को घिसती हैं।


आशा करता हूँ कि चाणक्य नीति में बतायी गयी बातें आपके जीवन में काम आयेंगी और आपको पहले से और ज्यादा चतुर और बुद्धिमान बनाएंगी। अगर आपको लगता हो कि वाकई में ये बातें लोगों के जीवन में काम की हैं तो इस आर्टिकल को अन्य लोगों के साथ भी शेयर करें। और लाइक बटन पर जाकर Like करें, साथ ही कुछ कहना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर Comment करें, क्योंकि आपका सुझाव हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जैसे आप हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए अपना बहुत-बहुत-बहुत खयाल रखियेगा। हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं।

आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिए…..जय हिन्द – जय भारत।

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आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com

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