चाणक्य नीति अध्याय 13 | चाणक्य के 19 सर्वश्रेष्ठ विचार > इस आर्टिकल में आचार्य चाणक्य के 19 सर्वश्रेष्ठ विचारों के बारें में बताया गया है जो मानव जीवन से गहरा सम्बन्ध रखते हैं। इसलिए बने रहिएगा हमारे साथ क्योकि आज होगी सिर्फ और सिर्फ आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ विचारों पर बात।
चाणक्य नीति अध्याय 13
विचार : 1 >
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, उज्ज्वल कर्म करने वाला मनुष्य क्षण भर भी जिए तो अच्छा है, किन्तु उसके विरुद्ध काम करने वाला मनुष्य का एक कल्प तक जीना भी व्यर्थ है।
विचार : 2
आचार्य जी यह भी कहते हैं कि, बीती बात पर दुःख नहीं करना चाहिए, भविष्य के विषय में भी नहीं सोचना चाहिए, बुद्धिमान लोग वर्तमान समय के अनुसार ही चलते है, .
विचार : 3 >
आचार्य जी यहाँ प्रसन्नता के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए कहते हैं कि, देवता, सज्जन और पिता, स्वभाव से, भाई-बंधु, स्नान-पान से तथा विद्वान मधुर वाणी से प्रसन्न होते हैं।
विचार : 4 >
आचार्य जी महापुरुषों की विनम्रता के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि, महापुरुषों का चरित्र भी विचित्र होता है। लक्ष्मी को मानते तो वे तिनके के समान है, किन्तु उसके भार से दब जाते हैं।
विचार : 5 >
आचार्य जी का कहना है कि, जिसे किसी के प्रति प्रेम होता है उसे उसी से भय भी होता है, प्रीति दुःखों का आधार है। स्नेह ही सारे दुःखों का मूल है, अतः स्नेह-बन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए।
विचार : 6 >
पंडित जी कहते हैं कि, जो व्यक्ति भविष्य में आने वाली विपत्ति के प्रति जागरूक रहता है और जिसकी बुद्धि तेज होती है, ऐसा ही व्यक्ति सुखी रहता है। इसके विपरीत भाग्य के भरोसे बैठा रहने वाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है।
विचार : 7 >
आचार्य जी यहाँ यथा राजा तथा प्रजा की उचित को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि राजा के पापी होने पर प्रजा भी पापी, धार्मिक होने पर धार्मिक तथा सम होने पर प्रजा भी सम हो जाती है। प्रजा राजा के समान बन जाती है।
चाणक्य नीति अध्याय 13
विचार : 8 >
आचार्य जी का कहना है कि, धर्म से हीन प्राणी को मै जीते जी मृत समझता हूँ। धर्म परायण व्यक्ति मृत भी दीर्घजीवी है। इसमें कोई संदेह नहीं है।
विचार : 9 >
चाणक्य ने व्यक्ति की सार्थकता के बारे में चर्चा करते हुए कहा है कि, धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष में से जिस व्यक्ति को एक भी नहीं मिल पाता, उसका जीवन बकरी के गले के स्तन के समान व्यर्थ है।
विचार : 10 >
चाणक्य के अनुसार, दुष्ट व्यक्ति दूसरे की उन्नति को देखकर जलता रहता है, वह स्वयं उन्नति नहीं कर सकता, इसलिए वह निंदा करने लगता है।
विचार : 11 >
चाणक्य नीति कहती है कि, बुराइयों में मन को लगाना ही बंधन है और इनसे मन को हटा लेना ही मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
विचार : 12 >
आचार्य जी समाधि अवस्था की चर्चा करते हुए कहते हैं कि परमात्मा का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान गल जाता है। तब मन जहाँ भी जाता है, वहीं समाधि लग जाती है।
विचार : 13 >
चाणक्य कहते हैं कि, मन के चाहे सारे सुख किसे मिलते हैं। क्योंकि सब कुछ भाग्य के अधीन है। अतः संतोष करना चाहिए।
विचार : 14 >
आचार्य जी का कहना है कि, जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माँ के पास जाता है, उसी तरह किया हुआ कर्म करता के पीछे-पीछे जाता है।
चाणक्य नीति अध्याय 13
विचार : 15 >
आचार्य जी चंचलता के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि, जिसका चित्त स्थिर नहीं होता, उस व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है वन में ही। लोगों के बीच में रहने पर उनका साथ जलाता है तथा वन में अकेलापन जलाता है।
विचार : 16 >
चाणक्य कहते है कि, जैसे फावड़े से खोदकर भूमि से जल निकाला जाता है, इसी प्रकार सेवा करने वाला विद्यार्थी गुरु से विद्या प्राप्त करते हैं।
विचार : 17 >
आचार्य जी विचार का महत्व प्रतिपादित करते हुये कहते हैं कि, यद्यपि मनुष्य को फल कर्म के अनुसार मिलता है और बुद्धि भी कर्म के अधीन है। तथापि बुद्धिमान व्यक्ति विचार करके ही काम करता है।
विचार : 18 >
चाणक्य नीति में लिखा है कि, जो एकाक्षर का ज्ञान देने वाले गुरु की वंदना नहीं करता, वह सौ बार कुत्ते की योनि में जन्म लेकर फिर चांडाल बनता है।
विचार : 19 >
आचार्य चाणक्य महापुरुषों के स्वभाव के बारे में कहते हैं कि, युग का अंत होने पर भले ही सुमेरु पर्वत अपने स्थान से हट जाए और कल्प का अंत होने पर भले ही सातों समुद्र विचलित हो जाएं, परन्तु सज्जन अपने मार्ग से कभी भी विचलित नहीं होते।
आशा करता हूँ कि इस आर्टिकल में आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई बातें आपको अच्छी लगी होंगी और आप इन्हें अपने जीवन में फॉलो करते हुए आगे बढ़ेंगे और शिखर पर चढ़ेंगे। अगर आपको ऐसा लगता हो कि इसे सभी लोगों को पढ़ना चाहिए तो आप अभी, इसी समय इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ Share करें तथा Like और Comment करें।
आपकी अतिकृपा होगी | धन्यवाद
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com