उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ? पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ? हालाँकि सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं इस लिस्ट में बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के नाम भी शामिल हैं लेकिन फ़िलहाल इस आर्टिकल में हम उत्तर प्रदेश के बारे में ही बात करेंगे बाकि अन्य राज्यों के लिए हम एक आर्टिकल अलग से जल्द ही लेकर आएंगे।

हालाँकि इस आर्टिकल को लिखने का विचार मेरे मन में 2020 के lockdown के दौरान ही आया था जब मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की ओर लोगों का पलायन हो रहा था लेकिन उस समय मैंने इसे नहीं लिखा था और अब यह आर्टिकल आप लोगों के समक्ष लेकर आया हूँ, तो आइये अब शुरू करते हैं।

उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ?
उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ?

उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ?

बड़े ही अफ़सोस की बात है कि हमारे देश भारत में 543 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से अकेले उत्तर प्रदेश की ही 80 सीटें हैं अर्थात सबसे ज्यादा सांसद उत्तर प्रदेश से ही आते हैं, लेकिन यही उत्तर प्रदेश एक गरीब और पिछड़े राज्य के नाम से जाना जाता है।

हालाँकि इस लिस्ट में बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि जैसे और भी कई नाम आते हैं, लेकिन फ़िलहाल अभी इस आर्टिकल में हम सिर्फ उत्तर प्रदेश के बारे में ही बात करेंगे।

उत्तर प्रदेश भारत की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इसने भारत को अब तक कुल 9 प्रधानमंत्री दिए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं, पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, राजीव गाँधी, चंद्र शेखर, अटल बिहारी बाजपेयी और नरेंद्र मोदी।

ये सभी प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही लोकसभा की सीट जीतकर संसद भवन तक पहुंचे हैं। ये तो थी राजनीति की बात पर अगर धार्मिक स्थलों बात करें तो इसमें भी उत्तर प्रदेश अपने-आप में खाश है क्योंकि जगत के स्वामी भगवान विष्णु के अवतार भी उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं।

जैसे- त्रेतायुग में श्री राम (अयोध्या) में जन्म लिए और द्वापर युग में श्री कृष्ण (मथुरा) में जन्म लिए। काशी (वाराणसी) भोले बाबा की नगरी और प्रयाग (इलाहाबाद) गंगा-यमुना का संगम भी उत्तर प्रदेश में ही है।

इतना सब कुछ होने के बाद भी उत्तर प्रदेश का कायाकल्प नहीं हो पाया और यह राज्य गरीबों और मजदूरों के नाम से जाना जाता है। हालाँकि पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ी है लेकिन फिर भी इसकी पहचान अभी भी गरीब राज्य के रूप में होती है।

आखिर इसके पीछे क्या कारण रहा है जिसने इस राज्य को पनपने नहीं दिया और यहाँ के लोग रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली, मुंबई आदि जैसों शहरों का रुख करते हैं, आइये जानते हैं विस्तार पूर्वक इसके बारे में कि आखिर उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ?

बड़ी आबादी

(Image source : livelaw.in)

चाहे कोई देश हो या फिर राज्य अगर वहां की जनसँख्या बहुत ज्यादा है और उस हिसाब से प्रतिव्यक्ति आय बहुत ही कम है तो जाहिर सी बात है कि वहां पर गरीबी का ही निवास होगा जैसा कि उत्तर प्रदेश में है।

बड़ी आबादी के साथ बड़े रोजगार के अवसर भी तो होने चाहिये, और अगर रोजगार नहीं होंगे तो गरीबी, लाचारी और भुखमरी तो बढ़नी ही है इसमें कोई शक की बात नहीं है।

हालाँकि यह बीमारी सिर्फ उत्तर प्रदेश राज्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि हमारे देश भारत पर भी असर करती है लेकिन भारत के ही कुछ अन्य राज्यों की स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड जैसों राज्यों से तो बेहतर ही हैं।

जातिगत राजनीति

(Image source : abpnews.in)

जिस भी देश या राज्य में धर्म या जाति की घटिया टाइप की राजनीति होगी वहां के लोगों में एक-दूसरे के प्रति नफ़रत की भावना पैदा होगी जिसके कारण उस क्षेत्र में विकास की गति रुक जाती है और यही एक बड़ा कारण रहा है उत्तर प्रदेश की गरीबी का।

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ पर कई सारी राजनीतिक पार्टियां ऐसी हैं जिनका जनाधार ही जातिवाद पर टिका हुआ है। मै यहाँ पर किसी भी पार्टी का नाम नहीं लेना चाहूंगा और बस सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि ये जो जातिवाद का खेल है ना यह सिर्फ राजनीति को ही नहीं प्रभावित करता है बल्कि उस सूबे के साथ-साथ वहां की अर्थव्यवस्था को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

क्योंकि इससे लोगों का समय और ध्यान दोनों ही डिस्टर्ब होता है, आम जनता में एक दूसरे जाति के प्रति नफ़रत की भावना पनपती है समय और ध्यान किसी सकारात्मक काम में लगाया जा सकता है वह नकारात्मक दिशा पकड़ लेता है।

जिस कारण से मानव संसाधन का जो इस्तेमाल होना होता है वह नहीं हो पाता और जहाँ पर मानव संसाधन का सही इस्तेमाल नहीं होगा वहां पर गरीबी का वास होना लाजमी है।

माफ़ियाराज

(Image source : india.com)

उत्तर प्रदेश में माफियाराज होने के कारण उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में विकास नहीं हो पाया क्योंकि जहाँ पर माफियाराज होता है वहां व्यावसायिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं परिणामतः अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है।

उत्तर प्रदेश में माफियाराज होने के कारण बड़ी औद्योगिक कंपनियां अपना रुख वहां पर करने से डरती हैं क्योंकि ऐसी जगहों पर व्यापार करना काफी रिस्की होता है, पता नहीं कब और कौन सा माफिया गैंग उनसे जबरन अवैध वसूली की डिमांड करने लगे और उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचा दे।

सीधी सी बात है कि जहाँ पर उद्योग धंधे नहीं होंगे, व्यापार नहीं होंगे, तो नौकरी कहाँ से पैदा होंगे और लोगों को रोजगार कैसे और कहाँ से मिलेंगे। और ऐसी स्थिति में वहां बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही जिससे गरीबी का होना स्वाभाविक सी बात है।

निरक्षरता

(Image source : lekhakkilekhni.in)

शिक्षा जीवन का एक बहुमूल्य अंग है जिससे इंसान के अंदर की काबिलियत बाहर निकलकर उसके जीवन में चार-चाँद लगाने का काम करता है और अफ़सोस की बात यह है कि उत्तर प्रदेश की एक बड़ी आबादी इससे मरहूम है।

हालाँकि पिछले कुछ दशकों में इसमें काफी हद तक सुधार होते देखा और महसूस किया गया है लेकिन अभी भी बहुत सारी खामियों को दूर करने की जरुरत है तभी बात बन पायेगी।

क्योंकि जो लोग सक्षम है वे तो अपने बच्चों को पैसे खर्च करके दूसरे बड़े शहरों में भेजकर अच्छी पढ़ाई करवा कर डिग्रियां दिलवा लेते हैं लेकिन जो लोग कमजोर हैं वे अपने बच्चों को बुनियादी शिक्षा भी नहीं दिलवा पाते हैं।

इस मामले में सरकार को गहराई से चिंतन करके आवश्यक कदम उठाने चाहियें आखिर ये सूबे के भविष्य से जुड़ा मामला है। हमारे बच्चे ही हमारे कल हैं और इनको आज अगर सही खुराक नहीं मिली तो कल ये अपने जीवन के रंगमंच पर सही प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।

यहाँ पर सही खुराक से मेरा मतलब है उन्हें अच्छी शिक्षा देना जो कि उनके भविष्य को संवारने का काम करेगा क्योंकि “Education Is Most For Better Life” और इस पर अभी उत्तर प्रदेश सरकार को बहुत काम करना है।

बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश में जिस हिसाब से जनसँख्या है उस हिसाब से रोजगार नहीं है जिसके कारण बेरोजगारी की लाचारी है और लोगों को रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों में पलायन करना पड़ता है।

सीधी सी बात है कि जिंदगी चलती है पैसों से और पैसे आते हैं काम से, और जहाँ पर लोगों को करने के लिए काम ही नहीं होगा तो लोग उस जगह को छोड़कर अपना जीवन यापन करने के लिए रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की तरफ अपना रुख करेंगे।

उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों की तरफ अपना रुख करते हैं जबकि अगर उन्हें उनके ही क्षेत्र में रोजगार मिल जाए तो वे अपने घर-बार को छोड़कर दूसरे जगहों पर नहीं जायेंगे।

कृषि आधारित अर्थव्यवस्था

खेती में जितनी मेहनत और परिश्रम है उतनी आमदनी नहीं है, क्योंकि खेती में जो भी खर्च होता है उसे खर्च करने के बात मौसम और पशुओं के ऊपर बहुत कुछ निर्भर करता है और अगर मान लो कि फसल अच्छी भी हुई तो उसकी कीमत अच्छी होगी की नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है।

उत्तर प्रदेश की एक बड़ी आबादी खेतिहर है जिनका जीवन उनके खेतों में पैदा हुए अनाजों के ऊपर निर्भर होता है जिसकी पैदावार की कोई सटीक गारंटी नहीं होती है सबसे पहले उन्हें फसल उगाने की जद्दो-जहत उसके बाद उसे बेचने की और उसके बदले सही कीमत पाने की जद्दो-जहत करनी पड़ती है जो एक मुश्किल भरा काम होता है।

हालाँकि सरकार की तरफ से बहुत सारी योजनाएं किसानों की हितों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती रही हैं पर सच कहें तो उसका उन्हें कोई विशेष फायदा नहीं हो पाता है जिसके कारण किसान बेचारा था, बेचारा है और ऐसा लगता है कि हमेशा ही बेचारा रहेगा।

नकारात्मक माहौल

(Image source : achisoch.com)

दोस्तों, मै खुद उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि से ताल्लुकात रखता हूँ, और मेरा जो अनुभव रहा है उसी को मै यहाँ पर शेयर करना चाहूँगा और यह बताना चाहूँगा कि किसी भी स्थान के विकसित या अविकसित होने में वहाँ के लोगों की बहुत बड़ी भूमिका होती है अर्थात मानव संसाधन का जैसा इस्तेमाल होगा वह स्थान वैसा ही होगा।

माफ़ कीजियेगा दोस्तों, यहाँ पर मेरा मकसद किसी के भी भावनाओं को ठेश पहुँचाना नहीं है बल्कि उनके कमियों का आईना उन्हें दिखाना है और उन्हें यह महसूस कराना है कि हर जगह सरकार पर ही ठीकरा फोड़ना सही नहीं होता बल्कि वहां की जनता की भी कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं साथ ही यह भी कहना चाहूंगा कि जनता के बीच का ही कोई ना कोई व्यक्ति एक दिन सरकार में शामिल होता है।

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसकी 59.3 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है अर्थात उनका जीवन-यापन का जरिया कृषि ही है और फसल की बुआई और कटाई के बीच एक लंबे समय का अंतराल होता है जिसमे लोग लगभग खाली होते हैं जबकि उस समय का इस्तेमाल वे कोई अन्य काम करके उसके बदले धन का उपार्जन कर सकते हैं लेकिन उनका कहना होता है कि आखिर करें क्या कोई काम भी तो मिलना चाहिए।

और वह समय वहाँ के लोग कैसे बिताते हैं आइये जानते हैं इसके बारे में……….

  • सुबह उठकर कृषि सम्बन्धी, पशु सम्बन्धी और गृह सम्बन्धी कार्यों को निपटाना और लगभग 10 बजे तक फ्री हो जाना।
  • उसके बाद दोपहर का खाना और खाने के बाद या तो सो जाना या ताश खेलना या फिर लोगों के साथ जमघट लगाना।
  • शाम को चौराहे पर या बाजार में जाना, चाय या पान की दुकान पर सामाजिक या राजनीतिक विषयों पर एक-दूसरे से टकराना।
  • जो लोग सक्षम होते हैं अपनी सक्षमता को बरकरार रखने के लिए लोगों को चाय और पान अपने पैसों से कराते हैं।
  • जो लोग कमजोर होते हैं सक्षम लोगों की हाँ में हाँ मिलाते हुए अपने चाय और पान का जुगाड़ बनाते हैं।
  • दबंग लोग अपनी दबंगई का प्रभाव चमकाने के लिए कमजोर लोगो को अपना शिकार बनाते हैं।
  • अँधेरे की शुरुआत के साथ ही लोग अपनी-अपनी राह पकड़कर अपने घर की तरफ निकल जाते हैं।
  • इसके बाद जो बचते हैं, वे शराबी होते हैं और नशा चढ़ने के बाद पान वाले, चाट वाले या अंडे वाले को अपनी औकात दिखाते हैं।
  • जब से मोबाइल आया है लोगों की जीवनचर्या में काफी बदलाव हुआ है और घंटो उसी के साथ मनोरंजन में समय बिताते हैं।
  • रात हुई खाया, पिया, घर परिवार से थोड़ी-बहुत बकैती करते हुए मोबाइल लिया और अपने बिस्तर की ओर चल दिए।

यहाँ पर हमने आपको जो बातें बताई हैं वह हालाँकि सब पर लागू नहीं होती हैं लेकिन अधिकतर ऐसा ही होता है इसके अलावा जिन्हें तरक्की करनी होती है वे अपनी दिनचर्या अपने काम में ध्यान देकर लगाते हैं जैसे स्टूडेंट अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते हैं, व्यापारी अपने काम पर ध्यान देते हैं, समझदार और महत्वकांक्षी लोग गाँव छोड़कर शहर की ओर का रुख करते हैं।

अभी हमने उत्तर प्रदेश के गांवों में रहने वाले लोगों की दिनचर्या पर चर्चा किया था जिसमें यह पाया गया कि दोपहर के खाने के बाद से लेकर रात को सोने के बीच में आखिर उन्होंने ऐसा क्या लिया जिसके कारण उनके जीवन में कोई सकारात्मक बदलाव आये, अब वे यह कह सकते हैं कि जब कोई काम ही नहीं है तो आखिर करें क्या…..?

दोस्तों, यही होती है नकारात्मक मानसिकता जिसे हम कामचोरी भी कह सकते हैं, अगर इंसान चाहे तो वह एक पल भी खाली नहीं बैठ सकता काम करने वालों के लिए काम की कमी नहीं होती, लेकिन उसके लिए काम करने का पहले मन बनाना पड़ता है और अगर जिसने मन बना लिया तो उसे क्या करना है और कैसे करना है यह रास्ता भी दिख जायेगा लेकिन जिसे सिर्फ बहानेबाजी करना है उसके पास काम न करने के सैकड़ो बहाने मिल जाएंगे।

ऐसे लोगों के पास खाली समय बहुत होता जिसके कारण वे लोग अपने बारे में न सोचकर दूसरों के बारे में ज्यादा सोचते हैं, दूसरों की जिंदगियों में झांकते हैं, अपनी जिंदगी का तो कोई मकसद होता नहीं लेकिन दूसरों को क्या करना है और कैसे करना है के बारे में मुक्त सलाह देने में लगे रहते हैं जिसके कारण उनके आस-पास के लोग भी उनसे डिस्टर्ब ही रहते हैं।

ऐसे लोगों को मै इस आर्टिकल के माध्यम से सलाह देना चाहूँगा कि जितना समय वे दूसरों को जिंदगियों में झांकने में लगाते हैं उससे आधा भी समय अगर वे अपने जीवन के बारे में सोचने और समझने में लगाएं तो उनका जीवन भी बदलेगा और उनके आस-पास का माहौल भी सकारात्मक बनेगा जो उनके क्षत्र के साथ-साथ उनके राज्य को भी बेहतर बनाने में कारगर होगा।

निष्कर्ष

दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से हमने उत्तर प्रदेश में गरीबी के कारण के बारे में विस्तार पूर्वक जाना कि आखिर वे कौन से मुख्य कारण अब तक रहे हैं जो उत्तर प्रदेश के गरीब होने में अपनी भूमिका अदा करते रहे हैं।

जिसमें शामिल रही हैं वहां की बड़ी आबादी, जातिगत राजनीति, माफियाराज, निरक्षरता, बेरोजगारी, कृषि आधारित अर्थव्यवस्था तथा नकारात्मक माहौल और ऐसा भी नहीं है कि इन्हें सुधारा नहीं जा सकता, सुधारा जा सकता है और सभी कमियों को दूर करते हुये विकास की तीव्रधारा में बदला जा सकता है।

लेकिन इसकी सारी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी यह बात उत्तर प्रदेश वालों को अपने दिमाग से निकालना होगा क्योंकि सरकार का काम होता है नीतियों का निर्धारण करके जनता तक पहुँचाना अब जनता उसे किस रूप में स्वीकार करके उसका पालन करती है यह एक बड़ा सवाल है।

अब चाहे उत्तर प्रदेश हो या बिहार या फिर झारखण्ड राज्य कोई भी हो जितनी जिम्मेदारी किसी भी योजना को सफल बनाने में सरकार की होती है उससे कहीं और ज्यादा जिम्मेदारी और वफादारी वहां की जनता की भी होती है इसे सभी को समझना होगा।

जहाँ के लोग अच्छे होते हैं वह स्थान अपने आप अच्छा हो जाता है।

मुश्किल कुछ भी नहीं है यारों सब कुछ आसान हो जायेगा, गर तू चाहेगा और कोशिश करेगा तो तेरा राज्य भी महान हो जाएगा।

>>>>> अमित दुबे <<<<<

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल “उत्तर प्रदेश गरीब राज्य क्यों है ?” आपके General Knowledge को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में ले जायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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