द्रौपदी मुर्मू की जीवनी | Draupadi Murmu Biography In Hindi

भारतीय जनता पार्टी एवं उसके घटक दलों (एनडीए) ने जुलाई 2022 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष के यशवंत सिन्हा के सामने अपने उम्मीदवार के रूप में ओडिशा राज्य के आदिवासी मूल की महिला द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारा है। आखिर कौन है ये आदिवासी महिला और क्या है इनके जीवन की कहानी, तो आइये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं “द्रौपदी मुर्मू की जीवनी” के बारे में विस्तार पूर्वक।

द्रौपदी मुर्मू की जीवनी
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी
(Image source : ommcomnews.com)

द्रौपदी मुर्मू की जीवनी

द्रोपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन

इनका जन्म 20 जून 1958 को भारत के ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक आदिवासी संथाल परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू था, जो कि गांव के प्रधान थे और द्रौपदी मुर्मू के दादा जी भी गांव के प्रधान रह चुके थे।

द्रौपदी मुर्मू का पारिवारिक जीवन

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि इनके पिता जी का नाम बिरांची नारायण टुडू था जो गांव के प्रधान भी रह चुके थे, द्रौपदी, मुर्मू संताल आदिवासी हैं। इनके पति का नाम श्याम चरण मुर्मू था जो अब इस दुनियां में नहीं है इनके साथ द्रौपदी के 3 बच्चे हुए थे जिनमे एक लड़की और दो लड़के थे लेकिन उनके पति और दोनों बेटे अब इस दुनियां में नहीं हैं क्योंकि उन तीनों की ही एक-एक करके अकाल मृत्यु हो गयी थी। इनके साथ सिर्फ इनकी एक बेटी है जिसका नाम इतिश्री मुर्मू ही जिसकी शादी गणेश हेम्ब्रन के साथ हो चुकी है जो भुवनेश्वर (ओडिशा) में रहती है।

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द्रौपदी मुर्मू का शैक्षणिक जीवन

इन्होने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव के पास के ही स्कूल से की थी तत्पश्चात वह आगे की पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर चली गयीं जहाँ के रामा देवी महिला कॉलेज में इन्होंने दाखिला लिया और वहीँ से ही स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

द्रौपदी मुर्मू का व्यावसायिक जीवन

इन्होने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने राज्य उड़ीसा में ही बिजली विभाग में नौकरी की जहाँ पर यह (1979 से 1983) 4 साल तक रहीं। इसके बाद इन्होंने (1994 से 1997) 3 साल तक ओडिशा के ही मयूरभंज जिले के रायरंगपुर के अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर काम किया।

टीचर के तौर पर काम करते हुए यह धीरे-धीरे राजनीति की तरफ अपना रुख करती हैं और पहली बार ओडिशा के मयूरभंज जिले के राइरंगपुर नगर पंचायत से 1997 में चुनाव लड़ते हुए पार्षद का चुनाव जीतती हैं जहाँ से इनके राजनैतिक कैरियार की शुरुआत होती है।

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(Image source : mixindia.com)

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन

2000 में पहली बार द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले के राइरंगपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ती हैं और जीत दर्जकर विधायक बनती हैं।

2000 से 2004 तक द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के राज्यमंत्री के रूप में वाणिज्य और ट्रांसपोर्ट विभाग तथा पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग में काम किया है उस समय नवीन पटनायक की बीजू जनतादल और भाजपा गठबंधन सरकार थी।

2002 से 2009 तक द्रौपदी भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रही हैं। 2006 से 2009 तक द्रौपदी मुर्मू भाजपा की एसटी मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रही हैं।

2009 में दोबारा से फिर यह ओडिशा के मयूरभंज जिले राइरंगपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ती हैं और जीत दर्जकर विधायक बनती हैं।

2013 से 2015 तक यह एसटी मोर्चा के साथ ही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रही हैं। 2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल की भूमिका को भी बखूबी निभाया है।

2022 में इन्हें भाजपा गठबंधन ने विपक्ष के राष्ट्रपति के उम्मीदवार टीएमसी नेता यशवंत सिंहा के सामने अपने राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में उतारा है और लोग इन्हें भारत के अगले राष्ट्रपति के रूप में देख रहे हैं।

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(Image source : thequint.com)

निष्कर्ष

दोस्तों, हमारे वेबसाइट पर जो भी आर्टिकल आपके समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं उनकी शुरुआत चाहे जहाँ से भी हो लेकिन आखिर में आते-आते मोटिवेशन मोड आ ही जाता है क्योंकि हमारा लक्ष्य ही है लोगों को जानकारियों के साथ-साथ मोटीवेट करना इसलिए इस आर्टिकल में भी हम आपको द्रौपदी मुर्मू के जीवनी के माध्यम से प्रेरित करने की कोशिश करेंगे।

द्रौपदी मुर्मू की जीवनी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि इंसान के जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आएं लेकिन अगर वह खुद टूटता नहीं है तो कोई भी उसे तोड़ भी नहीं सकता है।

जैसे – इनके पति के साथ-साथ इनके दोनों बेटे भी इस दुनियां को छोड़ गए, ऐसे में कोई भी महिला सिर्फ टूट ही नहीं जाती बल्कि पूरी तरह बिखर भी जाती है लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने हार नहीं मानी और जीवन पथ के रंगमंच पर अपने आप को प्रदर्शित करती रहीं और आगे बढ़ती रहीं।

परिणामतः आज यह भारत की सबसे बड़ी उपाधि पाने से महज कुछ कदम की दुरी पर हैं और इसके पीछे इनकी खुद की काबिलियत है जिसे हम तहे दिल से नमन करते हैं और आशा करते हैं की आप भी इनकी जीवनी से कुछ ना कुछ सीखने और समझने की कोशिश करेंगे।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके General Knowledge को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में ले जायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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