गंगाजल | गंगा नदी का इतिहास और गंगाजल का महत्व

गंगा नदी का इतिहास और गंगाजल का महत्व क्या है क्या आप जानते हैं ? अगर हाँ तो अच्छी बात है लेकिन अगर नहीं तो बने रहिएगा हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी गंगा नदी के इतिहास से लेकर गंगाजल के बारे में विस्तार पूर्वक बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।

गंगाजल | गंगा नदी का इतिहास और गंगाजल का महत्व
गंगाजल | गंगा नदी का इतिहास और गंगाजल का महत्व

गंगा नदी का इतिहास और गंगाजल का महत्व

मानों तो गंगा माँ है ना मानों तो बहता पानी, सब मानने और ना मानने का खेल है, लेकिन हम तो मानते हैं और हमारा सारा हिन्दू समाज भी मानता है कि हमारे लिये गंगा सिर्फ एक नदी ही नहीं बल्कि हमारी माँ है, जिसके साथ हमारा आध्यात्मिक लगाव है इसलिए हम इस आर्टिकल में गंगा जी की कहानी को लेकर आये हैं तो आइये आगे बढ़ते हैं और गहराई से जानते हैं गंगा जी के बारे में।

गंगा नदी की उत्पत्ति और रहस्य

 

भगवान श्री राम के पूर्वजों के उद्धार के लिए उनके पूर्वज भागीरथ ने जो कि अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशीय सम्राट थे ने घोर तपस्या की थी जिसके कारण पृथ्वी पर गंगा का आगमन हुआ था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा जी भगवान विष्णु के पैरों के नखों से निकली हैं और ब्रह्मा जी के कमंडल में रहती हैं। स्वर्गलोक में गंगा मन्दाकिनी के नाम से भी जानी जाती हैं।

जैसा कि हमने पहले ही यह बताया कि गंगा जी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशीय सम्राट भागीरथ की कोशिश थी जिसमे वे सफल रहे। अब सवाल यह उठता है कि आखिर भागीरथ द्वारा गंगा को स्वर्ग पर लाने के पीछे का क्या कारण है तो आइये जानते हैं इसके बारे में…..

माना जाता है कि कपिलमुनि के श्राप से भस्म होकर इक्ष्वाकु वंश के साठ हज़ार पूर्वजों की भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए भागीरथ ने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या कर गंगा जी को पृथ्वी पर लाये थे।

यह भी माना जाता है कि पृथ्वी पर आने से पहले गंगा जी भगवान शिव जी की जटाओं में समां गयी थीं। उसके बाद भगवान शिव जी जटाओं में से निकलकर गंगा जी की धारा भागीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए बंगाल के गंगासागर तक गई जहाँ पर कपिलमुनि का आश्रम था।

भागीरथ के साठ हजार पूर्वजों की राख की ढेरियां जैसे ही गंगा जी का स्पर्श पाती हैं तुरंत ही वे सभी मृत आत्माएं जो भूत-प्रेत बनकर भटक रही थीं प्रेत योनि से छुटकारा पा जाती हैं।

गंगा नदी कहाँ से कहाँ तक

गंगा नदी की मुख्य धारा भारत के उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हिमनद से निकलती है जिसे भागीरथी नदी के नाम से जाना जाता है क्योंकि भागीरथ की घोर तपस्या से ही गंगा जी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था।

भागीरथी नदी आगे चलकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है जहाँ से गंगा नदी का निर्माण होता है और यह उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इस बीच गंगा नदी नेपाल और बांग्लादेश से भी गुजरती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2510 किलोमीटर है।

गंगा नदी की शुरुआत (उत्तराखंड) से लेकर अंत (पश्चिम बंगाल) के बीच में इस नदी से कितनी नदियां मिलती हैं और इसके किनारे कौन-कौन से शहर बसे हैं, आइये जानते हैं इसके बारे में…..

गंगा नदी में मिलने वाली मुख्य नदियां

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हिमनद से चलकर पश्चिम बंगाल के बंगाल की खाड़ी तक पहुँचने के बीच में गंगा के रास्ते में जो अन्य नदियां आती हैं और गंगा जी में मिलती हैं उनके नाम इस प्रकार हैं।

गंगा नदी सबसे पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हिमनद से निकली हैं जिसे भागीरथी नदी कहते हैं और आगे चलकर देवप्रयाग में अलकनन्दा से मिलकर गंगा नदी का निर्माण होता है। ऋषिकेश और हरिद्वार होते हुए गंगा जी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती हैं जहाँ से अन्य नदियां गंगा जी में एक-एक कर मिलती हैं, जैसे :

राम गंगा नदी : यह नदी हिमालय के दक्षिणी भाग नैनीताल के पास से निकलती है और उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से बहते हुए कन्नौज के पास गंगा जी में जाकर मिलती है।

यमुना नदी : यह नदी यमुनोत्री से निकलती है और दिल्ली, मथुरा और आगरा होते हुए उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा जी में मिलती है इससे पहले इटावा के पास चम्बल नदी और हमीरपुर में बेतवा नदी यमुना में मिल चुकी होती हैं।

करनाली नदी : यह नदी मप्सातुंग नामक हिमनद से निकलती है और उत्तर प्रदेश के अयोध्या होते हुए बलिया के पास जाकर गंगा जी में मिलती है। यह नदी पहाड़ी क्षेत्रों में कौरियाला तथा मैदानी क्षेत्र में सरयू के नाम से जाना जाता है।

गंडक नदी : यह नदी हिमालय से निकलती है और नेपाल में शालग्रामी नाम से बहते हुए मैदानी भाग में नारायणी नाम पाती है और बिहार में जाकर सोनपुर में गंगा जी में मिलती है।

कोशी नदी : यह नदी गोसाई धाम के उत्तर से निकलती है जो अरुण के नाम से जानी जाती है और यह आगे चलकर एवरेस्ट, कंचनजंघा शिखरों के बीच से निकलती है जिसमें सून कोशी और तामूर कोशी नामक नदियां मिलती हैं और आगे चलकर शिवालिक को पार करके यह मैदानी क्षेत्रों में कोशी नदी के नाम से जानी जाती है जो बिहार में गंगा जी में जाकर मिलती है।

सोन नदी : यह नदी मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले के अमरकंटक से निकलती है जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोतस्थल से पूर्व में स्थित है और उत्तर प्रदेश, झारखण्ड होते हुए बिहार के पटना में जाकर गंगा जी में मिलती है।

गंगा नदी के किनारे बसे मुख्य शहर

गंगा नदी भारत के पांच राज्यों से होकर गुजरती है जिनमे शामिल उनके शहरों के नाम हम आपको आगे बताने जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं।

  • उत्तराखंड : देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार।
  • उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी और गाज़ीपुर।
  • बिहार : चौसा, बक्सर, पटना, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर और मिर्जाचौकी।
  • झारखण्ड : साहिबगंज, महाराजपुर और राजमहल।
  • पश्चिम बंगाल : फरक्का, रामपुर हाट, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, कोलकाता और गंगासागर।

 

गंगाजल का महत्व

गंगा नदी भारत के लोगों के लिए सिर्फ एक नदी ही नहीं बल्कि आस्था भी है, क्योंकि इसकी उत्त्पत्ति ही जीवों के मोक्ष और उद्धार के लिए हुआ है। भारतीय संस्कृति में गंगा जी को माँ का दर्जा दिया गया है।

गंगा नदी के जल के बारे में अगर हम बात करें तो हिंदू धार्मिक क्रिया-कलापों में ईश्वरीय पूजन से लेकर जन्म और मृत्यु तक के बीच के लगभग सभी धार्मिक और कार्मिक अवसरों पर इसकी अपनी भूमिका होती है।

गंगाजल एक ऐसा जल है जिसे सालों-साल तक रखा जा सकता है इसमें किसी भी प्रकार के वैक्टीरिआ आदि के पैदा होने की कोई भी संभावना नहीं रहती यह जैसा आप रखेंगे सालों बाद भी बिलकुल वैसा ही रहेगा।

हिन्दू घरों में गंगाजल रखना पवित्रता को दर्शाता है। शुभ कार्यों में गंगाजल का छिड़काव करके वातावरण को शुद्ध किया जाता है। इंसानों के मृत्यु के पश्चात् उसके मुंह में गंगाजल डाला जाता है ताकि उसको मोक्ष की प्राप्ति हो।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके General Knowledge को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में ले जायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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