Jain Community | जैन समुदाय के लोग अमीर क्यों होते हैं ?

Jain Community | जैन समुदाय के लोग अमीर क्यों होते हैं ? शायद यह सवाल कभी ना कभी आपके दिमाग में आया होगा और अगर नहीं तो इस आर्टिकल का टाइटल पढ़कर तो जरूर आया होगा क्योंकि अधिकतर जैन समुदाय के लोग आपको अमीर ही दिखे होंगे आखिर इसके पीछे का कारण क्या है ?

क्या आपने कभी भी किसी जैनी को भीख मांगते देखा है ? नहीं ना, मैंने भी नहीं देखा है आखिर क्यों ? इसके पीछे का क्या कारण हो सकता है ? कुछ तो कारण होगा, अगर कोई भीख मांगता है तो उसके पीछे भी कोई कारण होता है क्योंकि वह गरीब होता है लेकिन कोई जैनी भीख क्यों नहीं मांगता क्योंकि वह अमीर होता है, लेकिन वह अमीर क्यों होता है ?

इस आर्टिकल के माध्यम से हम जैन धर्म के इतिहास से लेकर उनके समुदाय के लोगों के अमीर होने तक के बारे में विस्तार पूर्वक बताएँगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ क्योंकि हम नहीं करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।

Jain Community | जैन समुदाय के लोग अमीर क्यों होते हैं ?
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Jain Community | जैन समुदाय के लोग अमीर क्यों होते हैं ?

जैन धर्म का इतिहास

जैन धर्म दुनियाँ के सबसे प्राचीन धर्मो में आता है जिसकी स्थापना ऋषभदेव के द्वारा किया गया था जो कि जैन धर्म के सबसे पहले तीर्थकर थे। ऋषभदेव भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। जैन धर्म श्रमणों का धर्म कहा जाता है।

अगर वेदों की बात करें तो उसमे भी ऋषभदेव का उल्लेख है, आर्यों के काल की बात करें तो उसमे भी ऋषभदेव और अरिष्टनेमि के परंपरा का उल्लेख मिलता है, दौपर युग में महाभारत के समय में जैन धर्म के प्रमुख नेमिनाथ थे।

ज्यादातर लोग जैन धर्म को 500 ईशा पूर्व भगवान महाबीर के काल से ही मानते हैं लेकिन इससे बहुत पहले ही जैन धर्म की स्थापना ऋषभदेव के द्वारा हो गयी थी जो कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर माने जाते हैं।

वैदिक दर्शन में भगवान ऋषभदेव को भगवान विष्णु का चौदहवां अवतार माना जाता है, शिव पुराण के अनुसार ऋषभदेव भगवान शिव के अवतार बताये गए हैं।

भगवान ऋषभदेव का जन्म हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थल अयोध्या में हुआ था उनके पिता जी का नाम महाराज नाभि और माता जी का नाम महारानी मरुदेवी था।

ऋषभदेव एक महान और प्रतापी राजा थे। उनका विवाह इंद्र की पुत्री जयंती से हुआ था माना जाता है कि उनसे उन्हें सैकड़ों संताने हुई जिनमे से एक भरत भी थे और उन्हीं भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा।

दोस्तों, हमारे पुराण अथाह सागर हैं हम इन्हें जितना ही खुरेदेंगे उतनी ही बातें निकल कर सामने आएँगी इसलिए हम ज्यादा गहराई में न जाकर अब और आगे बढ़ते हैं और जैन धर्म के बारे में बात करते हैं।

जैन धर्म के दो संप्रदाय हैं दिगम्बर और श्वेताम्बर। जैन धर्म के प्रार्थना स्थल को जिनालय या जैन मंदिर कहते हैं। जैन शब्द संस्कृत के जिन से बना है जि अर्थात जीतना जिन अर्थात जीतने वाला = जो इंसान अपने तन, मन, और वाणी को जीत ले और आत्मज्ञान की पूर्ण प्राप्ति कर ले उसे जिन या जिनेन्द्र कहते हैं। अर्थात जैन धर्म को जिन भगवान का धर्म कहते हैं।

पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर थे जो काशी के इच्छ्वाकु वंशीय राजा अग्रसेन के पुत्र थे वे 30 साल की आयु में अपना घर-बार छोड़कर सन्यासी बन गए और लोगों को यह संदेश दिया कि वे हिंसा ना करे, चोरी ना करें, झूठ ना बोलें और संपत्ति ना रखें।

भगवान महाबीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर थे। भगवान महाबीर का जन्म 540 ईशा पूर्व में वैशाली के क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था उनके बचपन का नाम वर्धमान था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ थे जो कि ज्ञातृक वंश के सरदार थे और माता त्रिशला लिच्छिवी राजा चेतक की बहन थी।

महाबीर की पत्नी का नाम यशोदा था और उनकी पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शिनी था। भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थकर हैं।

जो दूसरों पर विजय प्राप्त करते हैं वे वीर होते हैं लेकिन जो खुद पर विजय प्राप्त करते हैं वे महावीर होते हैं।

जैन धर्म की आबादी

भारत में जैन समुदाय के लोगों की कुल आबादी लगभग 0.37% (50 लाख) के आसपास है जो कि अन्य समुदायों के मुकाबले बहुत कम है। वैसे भी यह धर्म जितना पुराना है उस हिसाब से इसकी जनसँख्या नहीं है और इसके पीछे का कारण शायद यह हो सकता है कि ये लोग किसी के भी साथ किसी भी प्रकार का कोई जोर जबरदस्ती नहीं करते और ना ही किसी को अपने धर्म को अपनाने के बदले किसी भी प्रकार का लालच देते हैं।

जैन धर्म के लोग भारत में शायद बहुत कम हैं लेकिन जितने भी हैं लगभग सभी अपने आप में सक्षम ही होंगे क्योंकि हमने अपने जीवन किसी भी जैनी को कभी गरीब नहीं देखा है और अगर वह थोड़ा कमजोर भी है तो जैन समुदाय के लोग उसकी मदद करते हैं क्योंकि कहीं ऐसा ना हो कि उस व्यक्ति की गरीबी के कारण उनके समुदाय की बेइज़्ज़ती ना हो जाय।

जैन धर्म का योगदान

जैन समुदाय के लोग देश की अर्थव्यवस्था में बड़े भागीदार हैं क्योकि यह तबका अधिकतर उद्योग या व्यापार में लिप्त होता है जिसके कारण सरकार को अच्छा-खाशा टैक्स अदा करता है।

आपको यह जानकार बड़ी ही हैरानी हो सकती है कि इस समुदाय की आबादी भारत में महज 0.37% है लेकिन यह समुदाय कुल सरकारी टैक्स का 25 % अदा करने वाला अकेला ही हिस्सेदार है।

इस समुदाय के लोग एक बड़े करदाता तो हैं ही साथ ही सामाजिक कार्यों और दान देने में भी अन्य समुदायों के मुकाबले काफी आगे रहते हैं। ये लोग अपनी कमाई में से एक निर्धारित हिस्सा दान कर देते हैं।

जैन समुदाय के लोग अपने समाज में, मंदिर में और अन्य जगहों पर भी पैसे खर्च करने में नहीं चूकते हैं लेकिन ये लोग बिना सोचे-समझे पैसे को यूँ हीं नहीं लुटाते हैं बल्कि बहुत ही सोच-समझकर , नाप-तौलकर ही पैसे को सही समय पर और सही जगह पर ही खर्च करते हैं।

जैन समुदाय के लोग अमीर क्यों होते हैं ?

  • जैन समुदाय के लोग अपने समुदाय को बहुत सपोर्ट हैं, वे एक दूसरे की टाँग नहीं खींचते हैं बल्कि मदद करते हैं।
  • इस समुदाय के लोग अधिकतर व्यापारिक गतिविधियों में लिप्त होते हैं, नौकरी पर नहीं धंधे करने पर ध्यान लगाते हैं।
  • ये लोग बेकार के कामों और बातों में अपना समय नष्ट नहीं करते हैं, अपने काम पर ही ज्यादा फोकस करते हैं।
  • शाकाहारी भोजन करते हैं और संयमित जीवन जीते हैं, जिसके कारण इनकी आयु अन्यों के मुकाबले ज्यादा होती है।
  • इस समुदाय के लोगों के पास कितना भी पैसा हो दिखावा नहीं करते, बल्कि उन पैसों से और पैसा बनाने की कोशिश करते हैं।
  • पैसे के हिसाब किताब में जैन समुदाय के लोग बड़े ही माहिर होते हैं, इनकी मैथमैटिक बड़ी ही तेज और सटीक होती है।
  • ये लोग अपने काम से बहुत प्यार करते हैं, काम ही इनका जीवन है, इनका मानना होता है कि काम से ही इंसान की औकात बनती है।
  • जैनी लोग बड़े ही ठन्डे दिमाग के होते हैं, लड़ाई-झगड़े से दूर ही रहते हैं, निरंतर आगे बढ़ते रहने और उन्नति पर काम करते हैं।
  • अपने धर्म के प्रति, समुदाय के प्रति, व्यापार के प्रति और समाज के प्रति ईमानदार होते हैं, कर्मवीर और दानवीर प्रवित्ति के होते हैं।
  • ये लोग पैसे कमाने में और पैसे बचाने में दोनों में ही माहिर होते हैं, धन के मुल्य को समझते हैं उसे व्यर्थ के कामों में नहीं खर्चते हैं।
  • शिक्षित और संस्कारी के साथ ही सरल स्वभाव वाले भी होते हैं, लोगों से नरमी और इज़्ज़त से पेश आते हैं, गुस्से को पी जाते हैं।

 

 

भारत के 10 प्रसिद्द और अमीर जैन हस्तियाँ

 

1. गौतम अडानी (Adani Goup) जो इस समय भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं।

2. इन्दु जैन (Times of India) जो कि भारत की सबसे बड़ी News Paper कंपनी हैं जिसकी मालकिन हैं।

3. दिलीप शांघवी (Sun Pharmaceuticals) जिनकी कंपनी भारत की एक बड़ी दवाई बनाने वाली कंपनी है।

4. रुसेल मेहता (Rosy Blue Diomonds) जो कि भारत के एक बड़े और प्रसिद्द हीरा व्यापारी हैं।

5. मधुकर पारेख (Pidilite Industries) जिसे भारत में Fevicol के नाम से बच्चा-बच्चा जानता है।

6. मंगल प्रभात लोढ़ा (Lodha Group) यह भारत के एक बड़े Real State Businessman और Entrepreneur हैं।

7. भंवरलाल जैन (Jain Irrigation Systems Ltd) यह भारत के सबसे बड़ी Micro Irrigation Firm के मालिक हैं।

8. सुधीर और समीर मेहता (Torrent Group) ये दोनों भाई भी भारत के अमीर जैनी हैं जो चैरिटी जैसे कामो में आगे हैं।

9. मोतीलाल ओसवाल (Oswal Group) जो कि भारत में कपड़े के क्षेत्र में एक बड़ा ही प्रसिद्द नाम है के मालिक हैं।

10. नरेंद्र पाटनी (Patni Computers) जो कि भारत की एक बड़ी कंप्यूटर निर्माता कंपनी है के मालिक हैं।

निष्कर्ष

अब आपके मन में एक सवाल पैदा हो सकता है कि इस आर्टिकल में बताई गई बातों से अमीरी का भला क्या सम्बन्ध हो एकता है तो जबाब है कि जो लोग शिक्षित होंगे, संस्कारी होंगे, शाकाहारी होंगे, संयमित होंगे, साथ ही साथ एक मंझे हुए व्यापारी होंगे और पैसों कमाने के साथ साथ उसे बचाने के गुणों में माहिर होंगे तो ऐसे लोग अमीर नहीं होंगे तो भला कौन होगा और ये सभी बातें जैनियों के अंदर कूट-कूट कर भरी होती है जिसके कारण जैन समुदाय के लोग औरों के मुकाबले ज्यादा अमीर होते हैं।

अगर देखा जाए तो यह समुदाय देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है जिसने कभी भी अपनी माइनॉरिटी का रोना नहीं गाया अपने काम से ही अपनी इज़्ज़त और पहचान बनाई और अपने समुदाय के साथ-साथ देश की भी अर्थव्यवस्था और इज़्ज़त बढ़ाई। अन्य समुदायों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए लेकिन सीख लेगा कौन क्योंकि हमारे देश में लोगों को सीख लेना मुश्किल लगता है और भीख लेना आसान लगता है।

जिसे देखो फ्री, फ्री, फ्री के पीछे भाग रहा है कोई यह समझने की कोशिश नहीं कर रहा है कि फ्री में तो सबसे सस्ती चीज ही मिलती है अगर कोई भी महँगी चीज चाहिए तो उसके लिए अच्छे पैसे खर्चने होंगे जो कि आप कमा कर ही प्राप्त कर सकते हैं।

Jain Community अपनी मेहनत और काबिलियत से अपना व्यापार चलाता है और अपनी खुद की कमाई खाता है यह ना तो सरकार से अपनी माइनॉरिटी का रोना रोता है और ना ही किसी भी प्रकार का कोई सहयोग मांगता है बल्कि यह समुदाय तो लोगों को रोजगार देता है साथ ही साथ सरकार को भी सबसे ज्यादा टैक्स अदा करता है।

जो लोग अपने जीवन में निवेश करते हैं, वही एक दिन अमीरी की दुनियाँ में प्रवेश करते हैं।

अब वह चाहे जैन समुदाय का हो या फिर किसी भी अन्य समुदाय का, जो भी स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज, व्यापार और खुद के आकार पर निवेश करेगा वही भविष्य में अमीरी की दुनियाँ में प्रवेश करेगा, आप भी ऐसा कर सकते हैं, कोशिश करके तो देखें, आपके जीवन में क्रन्तिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके General Knowledge को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में ले जायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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