डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश

डेनमार्क उत्तरी यूरोप का एक ऐसा देश है जो दुनियाँ का सबसे खुशहाल देश है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि “डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश” आखिर इसके पीछे का क्या कारण है, सब कुछ बताएँगे, डेनमार्क से सम्बंधित हर एक पहलु से आपको रूबरू कराएँगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ, क्योंकि हम नहीं करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।

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डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश
                                              डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश

डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश

दोस्तों, सबसे पहले हम डेनमार्क के इतिहास और उसकी भौगोलिक स्थिति के बारे में जानेंगे, उसके बाद वहां के क्षेत्रफल और जनसँख्या के बारे में जानेंगे , तत्पश्चात वहां के कायदे-क़ानून और जीवन शैली के बारे में जानेंगे, और सबसे अंत में हम यह जानेंगे कि आखिर “डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश ?

डेनमार्क का इतिहास और भौगोलिक स्थिति

डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश
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डेनमार्क का इतिहास

Denmark का इतिहास बड़ा ही पुराना है, दसवीं शताब्दी के राजा हैराल्ड ब्लूटूथ (जिन्होंने 958 ईस्वी से 986 ईस्वी तक डेनमार्क पर राज किया) ने ईसाई धर्म को स्वीकार करते हुए पूरे डेनमार्क का ईसाईकरण कर दिया था। आपको जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि मोबाइल में इस्तेमाल होने वाला फंक्शन ब्लूटूथ का नाम डेनमार्क के राजा हैराल्ड ब्लूटूथ के नाम पर ही पड़ा है।

हैराल्ड ब्लूटूथ के बाद उनके पुत्र राजा स्वीन ने डेनमार्क का राज सिंहासन संभाला और 1013 में इंग्लैंड पर हमला कि करके उसे अपने अधीन किया अर्थात इंग्लैंड को जीत  लिया। राजा स्वीन के बाद उनके पुत्र कानौटोस ने सत्ता का बागडोर संभाला और डेनमार्क के साथ ब्रिटेन और स्कैंडिनेविया तक को मिलाकर उत्तरी यूरोप में एक बड़े साम्राज्य की स्थापना की।

 डेनमार्क की भौगोलिक स्थिति

डेनमार्क उत्तरी यूरोप में बसा दुनियाँ का एक ऐसा देश है जो पृथ्वी का सबसे खुशहाल देश माना जाता है, और अगर उसकी भौगोलिक स्थिति की बात करें तो वह जर्मनी से बिलकुल सटा हुआ है और उसका भू-भाग भी सिर्फ और सिर्फ जर्मनी से ही मिलता है । डेनमार्क एक समतल देश है जिसकी वजह से समुद्र तल से उसकी ऊँचाई बहुत ही कम है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां के सबसे ऊँचे पर्वत छोटी की Hight महज 170 मीटर है।

डेनमार्क बहुत सारे द्वीपों का एक द्वीप समूह है जिसमे कुल 444 द्वीप शामिल हैं लेकिन उनमें से 76 द्वीप ही पूर्ण रूप से आबाद हैं। वैसे आपको बताना चाहेंगे कि ग्रीनलैंड और फैरो द्वीपसमूह भी डेनमार्क के ही अधिकार क्षेत्र में आते हैं लेकिन कानूनी तौर पर डेनमार्क का उन पर कोई अधिकार नहीं है।

 

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डेनमार्क का क्षेत्रफल और जनसँख्या

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डेनमार्क का क्षेत्रफल

अगर हम डेनमार्क के क्षेत्रफल की बात करें तो डेनमार्क का क्षेत्रफल 42 हज़ार 926 वर्ग किलोमीटर है जिसकी तुलना अगर भारत के किसी भी क्षेत्र से करें तो हरियाणा से भी थोड़ा छोटा ही होगा क्योंकि भारत के हरियाणा राज्य का क्षेत्रफल 44 हज़ार 212 वर्ग किलोमीटर है।

डेनमार्क का ज्यादातर हिस्सा समुद्री किनारों से लगा हुआ है जिस कारण से डेनमार्क के समुद्री तट की लम्बाई 11771 किलोमीटर है। वहां की जो सबसे खाश बात है वह यह है कि डेनमार्क का कोई भी स्थान समुद्र तट से ज्यादा से ज्यादा 50 किलोमीटर की दूरी के अंदर ही है।

डेनमार्क की जनसँख्या

अगर हम डेनमार्क के जनसँख्या की बात करें तो डेनमार्क की जनसँख्या 58 लाख 30 हज़ार है। जिसमें डेनमार्क की राजधानी और सबसे बड़े शहर Copenhagen की जनसँख्या 6 लाख 2 हज़ार और डेनमार्क के दूसरे सबसे बड़े शहर आरहुस की जनसँख्या 3 लाख 36 हजार तथा तीसरे सबसे बड़े शहर आल्बेर्ग की जनसँख्या 2 लाख 12 हज़ार है।

अगर पूरे विश्व की जनसँख्या की दृष्टि से देखा जाए तो डेनमार्क 115 वें नंबर पर आता है। 

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डेनमार्क के कायदे कानून और जीवन शैली

 

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डेनमार्क के कायदे-क़ानून

अगर हम डेनमार्क के राजनीतिक पहलु की बात करें तो वहां की वर्तमान महारानी मारग्रेथे द्वितीय हैं और प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिक्सेन हैं जिनसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ महीने पहले ही मुलाकात करके आये हैं और उस मुलाकात के दौरान भारत और डेनमार्क के बीच कई अहम् मुद्दों पर चर्चा भी हुई।

डेनमार्क देश में सरकारी कायदे-कानून बड़े ही सख्त हैं, जैसे – डेनमार्क में महँगी कार की खरीद पर 150% का टैक्स है, मकान बनवाने के लिए सरकारी विभाग के नियमों का पूरा पालन करना होता है और बच्चों का नाम रखने के भी कुछ नियम हैं की निर्धारित नामों की लिस्ट में से ही माता-पिता अपने बच्चों का नाम रख सकते हैं।

डेनमार्क की सरकार अपने नागरिकों को मुक्त शिक्षा, मुक्त स्वास्थ्य सुविधा तो प्रदान करती ही है साथ ही बहुत सारे मामलों में Tax भी Free रखती है। वहां के लोग सप्ताह में 37 घंटे ही काम करते हैं जो कि अन्य बहुत से देशों के मुकाबले काफी कम होता है और मजे की बात तो यह है कि जो लोग कोई काम नहीं करते हैं उन्हें बेरोजगारी भत्ता मिलता है ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव का सामना ना करना पड़े।

डेनमार्क की जीवन शैली

डेनमार्क एक ऐसा देश है जहाँ के लोगों की जीवन शैली काफी उच्च स्तर की है क्योंकि वहां के लोगों को सरकार की तरफ से तो काफी मदद तो मिलती ही है साथ ही वहां की कृषिभूमि काफी उपजाऊ है और पशु-पालन तथा मत्स्य-पालन के काम से काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।

डेनमार्क की सरकार अपने नागरिकों का काफी अच्छे तरीके से ख्याल रखती है, ताकि वे अपने जीवन शैली को बेहतर तरीके से जी सकें। वहां की सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों का तो पूरा ख्याल रखती ही है लेकिन साथ में कर्तव्यों का पालन भी सख्ती से करवाती है।

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डेनमार्क के खुशहाली के पीछे का मुख्य कारण है वहां की भौगोलिक स्थिति, सरकारी नीतियां और डेनमार्क के लोग और इन तीनों का सही तालमेल क्योंकि अगर तीनों का सही तालमेल नहीं होता तो डेनमार्क एक खुशहाल देश नहीं होता।

डेनमार्क एक मात्र दुनियाँ का ऐसा देश है जहाँ पर उनके लोगों से ज्यादा साइकिलें हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन की कुल जनसँख्या जहाँ 6 लाख है वहीँ पर साइकिलों की संख्या 6 लाख 75 हज़ार है।

क्योंकि वहां की सरकार चाहती है कि वहां के लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का कम से कम इस्तेमाल करें, जिससे एक तो प्रदुषण का स्तर कम होगा दूसरा साइकिल चलाने से लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और इसी कारण से वहां पर कारों की खरीद पर 150% टैक्स है ताकि लोग कार को कम और साइकिल को ज्यादा तबज्जो दें।

वैसे भी डेनमार्क की जमीन ज्यादातर समतल है इसलिए सड़कों पर उतार-चढ़ाव जैसा किसी भी प्रकार का कोई समस्या नहीं है। वहां की एक बात और भी बड़े मजे की है कि सभी लोगों को तैरना आता है क्योंकि डेनमार्क में स्विमिंग सीखना सभी के लिए अनिवार्य है

डेनमार्क की भूमि काफी उपजाऊ है जिससे अच्छी-खासी फसलों की पैदावार भी हो जाती है, वहां के लोगों की नौकरी की भी बीमा होती है जिसके कारण नौकरी छूटने के बाद भी बीमा कंपनियां सैलरी देती हैं लेकिन उनकी कुछ शर्ते भी होती हैं जैसे कि कम से कम उस कंपनी में 3 साल तक नौकरी की हो और बीमे की क़िस्त कम से कम एक साल तक जमा की गई हो।

डेनमार्क में शिक्षा का स्तर काफी ऊँचा है, और पाठ्यक्रम भी कुछ इस तरह का होता है जिससे नौकरी मिलने में आसानी हो। और मजे की बात तो यह है कि शिक्षा बिलकुल मुक्त है एक पैसे भी खर्च नहीं करने होते हों, पढ़ाई का सारा खर्च वहां की सरकार ही उठाती है। वहां पर पढ़ने की कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है इसलिए बड़ी उम्र वाले भी उम्र के ज्यादा होने पर भी पढ़ाई करते रहते हैं।

डेनमार्क में कोई भी व्यक्ति बेघर नहीं है, सभी के पास अपना खुद का घर है, वहां पर बच्चा पैदा होने पर सरकार द्वारा निर्धारित नामों में से कोई एक नाम ही चुनना होता है, और अगर माता-पिता कोई दूसरा नाम रखना चाहते हैं तो उसके लिए उन्हें चर्च से परमिशन लेनी पड़ती है। वहां के अधिकांश नामों में अबसे ज्यादा नाम पुरुषों में पीटर और महिलाओं में एनी है।

वहां के लोगों की औसत आयु 75 साल है, लगभग सभी उम्र के लोग खुशहाल जीवन शैली जीते हैं। अगर अर्थव्यवस्था की बात करें तो जीडीपी अन्य देशों से बेहतर है, वहां की भाषा डैनिश और करेंसी क्रोन है।

दोस्तों, सीधी सी बात है कि जिस देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार समेत जनता की बहुत सारी जिम्मेदारियों का भार वहां की सरकार उठाने को तैयार हो, जहाँ पर ना ही कोई ज्यादा टैक्स और ना ही भ्रस्टाचार हो, वहां के लोगों का खुश रहना तो लाजमी है और इसीलिए “डेनमार्क है दुनियाँ का सबसे खुशहाल देश”

निष्कर्ष

डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश

                                                                                               डेनमार्क क्यों है सबसे खुशहाल देश

दोस्तों, एक कहावत है कि “जैसा राजा वैसी प्रजा” और यह कहावत सही भी है क्योंकि जो बड़े लोग करते हैं उन्हीं को छोटे लोग फॉलो करते हैं अब वह चाहे परिवार हो, समाज हो या फिर सरकार हो। आदत, नियत और हरकत ऊपर से नीचे की तरफ आते हैं।

अब आप के दिमाग में यह बात चल रही होगी कि आखिर लेखक कहना क्या चाहता है ? तो दोस्तों, अब आते हैं असली मुद्दे पर और बात करते हैं डेनमार्क के खुशहाली के कारणों पर तो सीधी सी बात है कि अगर सरकार अपनी जगह सही होगी तो वहां की जनता अपने-आप ही सही हो जायेगी।

डेनमार्क की सरकार के नियम और कायदे कानून बड़े ही सख्त और सुविधाजनक हैं, हमने यहाँ पर सख्त और सुविधाजनक दोनों ही शब्दों का प्रयोग इसलिए किया है कि आपको इनके बारे में सही से समझा सकें।

सख्त इसलिए कि जनता में सरकार के प्रति एक प्रकार का डर हो, और सुविधाजनक इसलिए कि आज अगर जनता सरकार के नियमों का सही से पालन करेगी तो कल यही सरकार वहां की जनता को अच्छी-खासी सुविधा भी प्रदान करेगी, और यही कॉम्बिनेशन डेनमार्क को खुशहाल बनाने में कारगर साबित हुई है।

डेनमार्क जैसे देश पूरी दुनियां के लिए एक मिशाल हैं, और अन्य देशों को भी सोचने पर मजबूर करते हैं कि जब डेनमार्क की सरकार और जनता एक-दूसरे का साथ देकर अपने देश को दुनियां का सबसे खुशहाल देश की किताब दिला सकते हैं तो आखिर अन्य देश क्यों नहीं ऐसा करते, यह एक सोचने का विषय है और इस पर सभी देशों को विचार भी करना चाहिए।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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