What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है | मार्केटिंग (विपणन) की परिभाषा

मार्केटिंग को हिंदी भाषा में विपणन के नाम से जाना जाता है, वैसे भी आज के दौर में अंग्रेजी के बहुत से ऐसे शब्द हैं जो साधारण हिंदी की तरह ही बोले जाते हैं, बदलते जमाने के साथ ही शब्द विपणन भी कम बोला जाता है और आजकल इसका अंग्रेजी नाम मार्केटिंग ही ज्यादा प्रचलन में है इसलिये इस आर्टिकल में भी हम मार्केटिंग शब्द का ही इस्तेमाल करेंगे आइये अब पढ़ते हैं यह आर्टिकल >> “What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है | मार्केटिंग (विपणन) की परिभाषा” और जानते हैं मार्केटिंग के बारीकियों को स्पष्ट शब्दों में।

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है | मार्केटिंग (विपणन) की परिभाषा

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है

मार्केटिंग के अंतर्गत वह सभी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो उत्पादन केंद्र से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने के प्रयोग में लायी जाती हैं, जैसे एक पानी की बोतल पहले तैयार की जाती है, उसके बाद उसका मूल्य निर्धारित किया जाता है, उसके बाद वह बोतल कहाँ बिकेगी यह तय किया जाता है और फिर उसे बेचने के लिए आवश्यक कदमों का इस्तेमाल किया जाता है।

अब आप यह मत समझियेगा कि सिर्फ इतना ही जान लेने के बाद आप मार्केटिंग का मतलब समझ गए हैं पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त, ऊपर की लाइनों में आप ने जो जाना वाकई में मार्केटिंग उसी को कहते हैं लेकिन सिर्फ इतने में ही मार्केटिंग को समेटा नहीं जा सकता क्योंकि इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है और इस आर्टिकल में हम मार्केटिंग के उन सभी पहलुओं पर फोकस करेंगे जो आपको मार्केटिंग के गहराई तक ले जायेंगी तो आइये अब आगे बढ़ते है और मार्केटिंग को गहराई से समझते हैं।

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मार्केटिंग एक प्रबंधनीय प्रक्रिया (Management Process) है, जिसके अंतर्गत ग्राहकों के इच्छाओं और जरुरतों को समझते हुए वस्तुओं और सेवाओं द्वारा उन्हें संतुष्ट किया जाता है। इसमें ग्राहकों की इच्छा, जरुरत, पसंद और नापसंद का तो ख़याल रक्खा ही जाता है साथ ही उनके जेब का भी अंदाजा लगाया जाता है कि जो वस्तु या सेवा उन्हें प्रदान किया जाएगा वह उनके बजट में हो।

प्राचीन काल में मार्केटिंग को क्रय-विक्रय तक ही सीमित माना जाता था लेकिन बदलते जमाने के साथ इसमें बहुत सारे बदलाव और जुड़ाव हुए। पहले मार्केटिंग उत्पाद बाहुल्य क्षेत्र था लेकिन अब यह उपभोक्ता प्रधान हो गया है और उपभोक्ताओं के इच्छा से शुरू होकर उसकी संतुष्टि पर ही इसका समापन होता है।

Definition of Marketing | मार्केटिंग की परिभाषा

मार्केटिंग के बारे में संसार के धुरंधरों के अपने-अपने तर्क हैं, तो सबसे पहले हम उन तर्कों को जानेंगे जो निम्नलिखित हैं।

फिलिप कोटलर कहते हैं – किसी भी उत्पाद को सिर्फ ग्राहक को बेच देना ही मार्केटिंग नहीं है बल्कि ग्राहक के पैसे के बदले उसे वास्तविक मुल्य देना ही मार्केटिंग है।

प्रो. पाल मजूर कहते हैं – समाज की जरूरतों को समझते हुये उन्हें सही जीवन स्तर प्रदान करना ही वास्तविक मार्केटिंग है।

व्हीलर कहते हैं – मार्केटिंग एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के तहत वस्तुओं और सेवाओं को उत्पादन से उपभोक्ता तक पहुँचाया जाता है।

पायले कहते हैं – मार्केटिंग के अंतर्गत क्रय (Purchase) और विक्रय (Sale) दोनों ही महत्वपूर्ण क्रियायें सम्मिलित होती हैं।

हैंसन कहते हैं – संभावित ग्राहकों के जरूरतों को समझते हुए वस्तुओं और सेवाओं को उन तक पहुंचाकर उनकी जरूरतों को पूरा करके उन्हें संतुष्टि प्रदान करना ही मार्केटिंग है।

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है | मार्केटिंग (विपणन) की परिभाषा

Element of Marketing | मार्केटिंग के मूल तत्त्व

मार्केटिंग के मूल तत्वों में शामिल यह “4 P” हैं जिनसे मार्केटिंग शब्द को परिभाषित किया जा सकता है और यही “4 P” आपको मार्केटिंग के बारीकियों से अवगत करायेंगे तो आइये अब जानते हैं कि आखिर ये “4 P” क्या हैं…..?

  • उत्पाद (Product)
  • मुल्य (Price)
  • स्थान (Place)
  • पदोन्नति (Promotion)

आपने ऊपर दिए गए “मार्केटिंग के चार तत्वों” के बारे में जाना अब हम और आगे बढ़ेंगे और इन चारों तत्वों के गहराई में जाएंगे और यह जानेंगे कि आखिर यह तत्त्व कैसे मार्केटिंग में अपना योगदान देते हैं।

उत्पाद (Product) :

मार्केटिंग का सबसे पहला कदम होता है ग्राहक की पहचान करके उसके लिए एक उत्पाद (Product) बनाना एक ऐसा Product जो आपके ग्राहक की जरुरत को पूरा करता हो साथ ही उसको पसंद भी आता हो और उसकी इच्छाओं की पूर्ति करता हो।

मुल्य (Price) :

जब एक प्रोडक्ट तैयार होता है तो जाहिर सी बात है कि उसका एक मुल्य भी होगा और यही कदम होता है मूल्य निर्धारण का जो यह तय करता है कि आपका प्रोडक्ट ग्राहक क्यों ख़रीदे अब यहां पर आपको अपने प्रतिदंद्वी को पछाड़ना है अब कैसे पछाड़ना है यह आपका मुल्य निर्धारित करेगा।

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स्थान (place) :

आपका प्रोडक्ट तैयार हो गया, उसका मुल्य निर्धारण भी हो गया अब बारी आती है स्थान चयन की कि आपका प्रोडक्ट बिकेगा कहाँ और इसे खरीदेगा कौन इसके लिए आपको सोचना पड़ेगा और कुछ रणनीतियां बनानी पड़ेंगी।

पदोन्नति (Promotion) :

आपका Product तैयार है, मुल्य निर्धारण भी हो गया, स्थान चयन भी हो गया लेकिन कोई भी आपका Product क्यों खरीदेगा बहुत सारी कंपनियां हैं वह आपका ही Product क्यों ख़रीदे आखिर बात भी सही है। इसके लिए आपको अपने प्रोडक्ट का Promotion करना पड़ेगा और यह Promotion ही आपके प्रोडक्ट की जानकारी आपके ग्राहक को देगा जिसके कारण कोई भी आपका प्रोडक्ट खरीदेगा।

Features of Marketing | मार्केटिंग की विशेषताएँ

मार्केटिंग एक मानवीय क्रिया है :

मार्केटिंग एक मानवीय क्रिया है, क्योंकि यह मानव की इच्छा से शुरू होता है और मानव की संतुष्टि ही इसका मुख्य उद्देश्य है और इसी के साथ ही इसका समापन भी होता है साथ ही इसके बीच की सारी प्रक्रिया भी मानव द्वारा ही संचालित किया जाता है।

मार्केटिंग एक सामाजिक क्रिया है :

मार्केटिंग एक सामाजिक क्रिया है, क्योंकि यह सामाज में रहकर समाज के लोगों के लिए समाज के द्वारा संचालित किया जाता है।

मार्केटिंग एक आर्थिक क्रिया है :

मार्केटिंग एक आर्थिक क्रिया है, क्योंकि इसका मुख्य लक्ष्य लाभ कमाना है। क्योंकि इसमें शामिल लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए ही इसमें भाग लेते हैं। अगर उत्पादनकर्ता उपभोक्ता की इच्छाओं को समझकर उसकी जरूरतों को पूरा करते हुए उसको संतुष्ट कर देता है तो इसके फलस्वरूप वह लाभ को प्राप्त करता है।


What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है

What Is Marketing | मार्केटिंग क्या है | मार्केटिंग (विपणन) की परिभाषा

Importance of Marketing | मार्केटिंग का महत्व

जब बात मार्केटिंग की होती हैं, तब हमारे आँखों के सामने कोई उत्पाद, उस उत्पाद से सम्बंधित गतिविधियाँ और उसको खरीदने वाला उपभोक्ता नज़र आता है। लेकिन क्या मार्केटिंग की सीमा यहीं खत्म हो जाती है नहीं मार्केटिंग सिर्फ उत्पाद और उपभोक्ता तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका महत्व व्यापारियों और उपभोक्ताओं के साथ-साथ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी ख़ास है। तो आइये अब हम मार्केटिंग के महत्व का वर्गीकरण करते हैं।

व्यापारियों के लिए मार्केटिंग का महत्व :

व्यापारियों के लिए मार्केटिंग का महत्व बहुत ही ख़ास है, जीवन जीने के लिए भोजन जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी किसी भी व्यापार के लिए मार्केटिंग हैं क्योकि मार्केटिंग के अंदर वह सारी गतिविधियाँ समाहित होती है जो किसी भी व्यापार को चलाने में और उससे लाभ कमाने में सहायक होते हैं। जैसे-ग्राहक की पहचान, उत्पाद का चयन, मुल्य निर्धारण, परिवहन, भंडारण, विज्ञापन और विक्री।

  • बेहतर मार्केटिंग रणनीति उपभोक्ता को उत्पाद के करीब लाती है।
  • बेहतर मार्केटिंग रणनीति से उत्पाद की लागत में कमी लाया जा सकता है।
  • बेहतर मार्केटिंग रणनीति से उत्पाद की विक्री बढ़ने की संभावना होती है।
  • बेहतर मार्केटिंग रणनीति से व्यापार में अधिक लाभ की संभावना होती है।
  • बेहतर मार्केटिंग रणनीति व्यापार को शिखर पर ले जाती है।

उपभोक्ताओं के लिए मार्केटिंग का महत्व :

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मार्केटिंग उपभोक्ता प्रधान है, क्योंकि मार्केटिंग का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को समझते हुए उनकी जरूरतों को पूरा करना है क्योंकि उपभोक्ता राजा है और उसे ही ध्यान में रखकर मार्केटिंग की सारी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।

  • मार्केटिंग के मदद से ही उपभोक्ता की इच्छा को समझा जाता है।
  • मार्केटिंग के मदद से ही उत्पाद की जानकारी उपभोक्ता तक पहुँचती है।
  • मार्केटिंग के मदद से ही उत्पाद उपभोक्ता तक पहुँचता है।
  • मार्केटिंग की मदद से ही उपभोक्ता को उत्पाद चयन करने में आसानी होता है।
  • मार्केटिंग के मदद से ही उपभोक्ताओं के समस्या का समाधान किया जाता है।

समाज के लिए मार्केटिंग का महत्व :

मार्केटिंग का समाज से भी गहरा नाता है, क्योंकि इसकी सारी गतिविधियाँ समाज के बीच ही होती हैं बल्कि हम यह भी कह सकते हैं कि मार्केटिंग समाज और व्यापार के बीच की एक कड़ी है।

  • मार्केटिंग समाज को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करता है।
  • मार्केटिंग समाज के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही समाज के मांगो की पूर्ति की जाती है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही समाज को जागरूक किया जाता है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास किया जाता है।

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अर्थव्यवस्था के लिए मार्केटिंग का महत्व :

मार्केटिंग किसी भी देश की समूची अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, किसी भी देश की मार्केटिंग रणनीति उसको बहुत आगे या फिर बहुत पीछे ले जा सकती है।

  • मार्केटिंग किसी भी देश के सरकार की रीड की हड्डी होती है क्योंकि जो उत्पादन किया जाता है उसका कुछ हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप में दिया जाता है।
  • मार्केटिंग के अंतर्गत विदेशी व्यापार भी आता है, इसलिए निर्यात पर लगाया गया टैक्स देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही किसानों से फसल खरीद कर बाज़ार तक पहुंचाया जाता है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही देश के एक कोने से दूसरे कोने तक वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है।
  • मार्केटिंग के द्वारा ही उत्पादन की प्रक्रिया में सुधार करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाता है।

Marketing Is A Dynamic Process | मार्केटिंग एक गतिशील प्रक्रिया है

मानव जाति की उत्त्पत्ति के साथ ही वस्तुओं और सेवाओं का आदान प्रदान शुरू हो गया था जिसे विनिमय कहा जाता था, बदलते जमाने के साथ विनिमय ने विपणन (Marketing) का रूप धारण कर लिया। अतः मार्केटिंग एक गतिशील प्रक्रिया है, यह हमेशा चलता रहता है, इसमें समयानुसार बहुत सारे परिवर्तन भी होते रहते हैं।

मार्केटिंग उपभोक्ता प्रधान क्षेत्र है, इसलिए जब भी उपभोक्ताओं की इच्छायें और जरूरतें बदलती हैं तो उनका ध्यान रखते हुए मार्केटर को भी बहुत सारे परिवर्तन करने पड़ते हैं ताकि उपभोक्ताओं को पूर्ण संतुष्ट किया जा सके। मार्केटिंग की गतिशीलता ही उसे बेहतर बनाती है। अतः मार्केटिंग निरंतर चलने वाली एक गतिशील प्रक्रिया है।

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ThankingYou………………धन्यवाद………………..शुक्रिया………………..मेहरबानी…………………..

आज के लिए सिर्फ इतना ही अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए………

जय हिन्द…………जय भारत

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