खुद को अपग्रेड नहीं किया तो ओवरडेट हो जाओगे, रामू, श्यामू ,पप्पू, गुड्डू जितना ही तुम पाओगे, अपने कौशल को निखराओ जीवन में रफ्तार बढ़ाओ, जितनी बार भी हो सकता है कुल्हाड़ी में धार लगाओ, “कुल्हाड़ी की धार में सफलता का सार” पाओ।
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कुल्हाड़ी की धार में सफलता का सार | Motivational Story In Hindi
नमस्कार दोस्तों, मै अमित दुबे आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ………………………………..
दोस्तों, हमें हमारा जीवन वैसे तो मुक्त में मिलता है, लेकिन धीरे-धीरे जब हम बड़े होते चले जाते हैं तो हमें इस बात का एहसास होने लगता है कि इस संसार में रहने के लिए हमें हर कदम पर कीमत भी अदा करनी पड़ती है और वह कीमत होती है हमारी जिम्मेदारियाँ जो हमें कदम-कदम पर निभानी पड़ती हैं।
अब यहाँ पर आप यह भी कह सकते हैं, कि हमने ऐसे बहुतों को देखा है जिन्होंने अपने जीवन में कभी भी कोई भी जिम्मेदारी कबूल नहीं की होगी तो ऐसे बिड़ले भी बहुत हैं और इस बात पर मै आपका पूरा समर्थन करता हूँ लेकिन साथ ही साथ मै यह भी कहना चाहुँगा कि ऐसे लोग इस धरती पर और इस समाज में साथ ही साथ अपने परिवार पर भी बहुत बड़े बोझ ही होते हैं और जहाँ तक मै समझता हूँ कि आप और आप जैसे अन्य लोग जो मोटिवेशनल आर्टिकल पढ़ने में रूचि लेते हैं कम से कम वह तो इस कैटेगेरी से बाहर ही होते हैं क्योंकि मोटिवेशन की तरफ आपका रुझान ही यह तय कर देता है कि आप खुद के प्रति एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं जो ज्ञान की गंगा में डुबकी लगा रहे हैं और जो व्यक्ति खुद के प्रति जिम्मेदार होगा वह दूसरों के प्रति भी जिम्मेदार हो सकता है।
दोस्तों, इस आर्टिकल में हमने एक कहानी के माध्यम से सीखने, समझने और जीवन में निरंतर आगे बढ़ने के बातों पर बल दिया है कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में यदि अपने बराबर वाले से आगे बढ़ता है तो इसके पीछे का कारण क्या होता है आखिर उसने ऐसा क्या किया कि वह औरों से आगे निकल गया जबकि उसके आस-पास के लोग आखिर वहीं के वहीं क्यूँ रह गये, तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और इस कहानी को पढ़ते हैं।
बनवारी लाल एक सरकारी ठेकेदार हैं, वह पेडों को काटने का ठेका लेते हैं उनके इस कंपनी में 100 से भी ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और वे सभी इस पेड़ काटने के काम में लगे रहते हैं, बनवारी लाल को जहाँ भी टेंडर मिलता वे जितने पेड़ काटने होते वे वहाँ पर उसी हिसाब से कर्मचारी भेज देते हैं। बनवारी लाल के कंपनी में काम करने वाला लगभग हर कर्मचारी एक दिन में 10 पेड़ काट पाता है। इसके लिये उन्हें हर पेड़ का 15 रुपये मिलता है इस हिसाब से हर कर्मचारी 150 रु प्रतिदिन की दिहाड़ी बना लेता है।
सब कुछ सामान्य चल रहा था, बनवारी लाल भी खुश थे और उनके कर्मचारी भी सभी की जिन्दगी अपने-अपने हिसाब से कट रही थी इसी बीच बनवारी लाल को एक बहुत बड़ा टेंडर मिलता है एक नया शहर विकसित हो रहा था और उसी के विस्तार के लिये उन्हे हजारों पेड़ काटने का टेंडर मिलता है। बनवारी लाल के और भी टेंडर के काम चल ही रहे थे ऊपर से अचानक इतना बड़ा टेंडर अब इसके लिये और कर्मचारियों की आवश्यकता महसूस हुई तो उन्होने कुछ और नये कर्मचारियों की भर्ती कर ली।
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कुल्हाड़ी की धार में सफलता का सार | Motivational Story In Hindi
नये भर्ती किये गये कर्मचारियों में एक लड़का जिसका नाम गुलशन था, वह पढ़ा-लिखा और समझदार मालूम पड़ रहा था लेकिन बेरोजगारी का मारा वह नवयुवक पेड़ों की कटाई के काम में लग गया। वैसे तो गुलशन ने कभी भी इस तरह का काम नहीं किया था क्योंकि वह पढ़-लिख कर कुछ बड़ा करना चाहता था लेकिन पापी पेट का सवाल था और वह बड़ी मेहनत से इस काम को करने लगा। साथ में दिमाग का इस्तेमाल भी करने लगा और अन्य लोगों के मुकाबले वह ज्यादा पेड़ काटने लगा।
दोस्तों, यहाँ पर आपके मन एक सवाल पनप सकता है, कि पेड़ की कटाई के काम में दिमाग का क्या इस्तेमाल जो गुलशन इस काम में दिमाग लगा रहा था तो दोस्तों यहाँ मै आप से एक बात जरुर कहना चाहुँगा कि दिमाग का इस्तेमाल तो जिन्दगी के हर मोड़ पर करना पड़ता है जिसने किया वह औरों से बेहतर जिया और जिसने नहीं किया वह वैसे तो वह भी जिया लेकिन गरीबी और लाचारी के दलदल में ही जिया।
तो आइये अब और आगे बढ़ते हैं, और इस आर्टिकल के मेन टापिक पर चर्चा करते हैं कि गुलशन बाबू आखिर कैसे पेड़ की कटाई के काम में दिमाग लगा रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं कुछ तो बात है जिसके कारण गुलशन के आस-पास के लोगों में इस बात की चर्चा है कि ये बन्दा प्रतिदिन 15 पेड़ों की कटाई कैसे कर लेता है जबकि अन्य कर्मचारी जो उससे ज्यादा ताकतवर और अनुभवी हैं वे लोग तो प्रतिदिन सिर्फ 10 पेड़ ही काट पाते हैं।
गुलशन ज्यादा पेड़ काटने की वजह से ज्यादा पैसे भी कमा रहा था, और यह बात उसके कंपनी के अन्य लोगों को रास नहीं आ रहा था इसी बीच एक और चौंकाने वाली खबर आती है कि गुलशन का प्रमोशन हो गया और उसे अब उस कंपनी का सुपरवाइजर बना दिया गया अब वह पेड़ काटेगा नहीं बल्कि कटवायेगा यह बात सुनते ही कुछ कर्मचारी आग बबूला होकर सीधे बनवारी लाल के पास पहुँचते हैं और कहते हैं की यह क्या हम आपकी कंपनी में सालों से काम कर रहे हैं और आपने कल के लौंडे को एकदम से प्रमोशन देकर हमारा सुपरवाइजर बना दिया यह आप ने सही नहीं किया, हम आपके इस फैसले का विरोध करते हैं।
इस बात पर बनवारी लाल थोड़ी सी जहरीली मुस्कान भरते हुए, अपने गुस्साये कर्मचारियों की तरफ देखते हुए कहते हैं कि मैंने माना कि आप लोग हमारे कंपनी में सालों से काम कर रहे हैं लेकिन आप लोग 10 साल पहले भी 10 पेड़ प्रतिदिन काटते थे और आज भी सिर्फ 10 पेड़ ही काटते हो जबकि गुलशन को आये सिर्फ कुछ ही महीने हुए हैं और वह प्रतिदिन 15 पेड़ काटता है और वह तो मुझसे यह भी कह रहा है कि आप सभी लोग भी प्रतिदिन 15 पेड़ काट सकते हैं और इसीलिए मैंने उसे कंपनी का सुपरवाइजर बनाया है ताकि वह तुम लोगों से भी प्रतिदिन 15 पेड़ कटवा सके और मै आप लोगों से बताना चाहूँगा कि कल आप सभी लोग लंच के बाद पेड़ों की कटाई न करके मीटिंग में हिस्सा लेंगे मै और गुलशन दोनों ही कार्यस्थल पर आएंगे और आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे।
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कुल्हाड़ी की धार में सफलता का सार | Motivational Story In Hindi
दूसरे दिन लंच के बाद कार्यस्थल पर बनवारी लाल और गुलशन साथ में आते है, अन्य कर्मचारी भी वहाँ पर उपस्थित होते हैं और फिर शुरू होता है एक प्रेरणादायक सभा जिसे गुलशन द्वारा सम्बोधित किया जाता है। इस सभा में गुलशन बताता है कि कैसे उसने अन्य लोगों से ज्यादा पेड़ काटे और उसकी इस उपलब्धि को देखकर बनवारी लाल ने उससे एक बंद कमरे में मीटिंग की और उसे सुपरवाइजर बनाने का फैसला किया तो आइये और आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गुलशन के सफलता का सार।
गुलशन कहता है…..मेरे प्रिय साथियों वैसे तो आप सभी मुझसे उम्र और तजुर्बे में बड़े हैं शायद आप लोग मुझसे ज्यादा परिश्रम भी करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी मै आप लोगों से ज्यादा पेड़ कैसे काट लेता हूँ इसके लिये मै सबसे पहले आप लोगों से एक सवाल पूछना चाहूंगा कि आप यह बताइये कि आप जिस कुल्हाड़ी से पेड़ को काटते हैं आपने उसमे पिछली बार धार कब लगाईं थी।
इस पर हर किसी ने अपने-अपने जबाब दिये, जबाब सुनने के बाद गुलशन ने बताया कि यही आप लोगों की सबसे बड़ी समस्या है कि आप परिश्रम तो पूरा कर रहे हैं लेकिन पेड़ काटने में ज्यादा कुल्हाड़ी की धार तेज करने में कम, जबकि अगर आप कुल्हाड़ी की धार को तेज करने में समय देते तो आपको पेड़ काटने में समय और परिश्रम दोनों ही कम लगाने पड़ते।
गुलशन कहता है कि साथियों अब मेरी सुनो, मै हर पेड़ को काटने के बाद अपनी कुल्हाड़ी की धार को तेज करता था जिसके कारण मुझे परिश्रम भी कम करनी पड़ती थी और मै पेड़ भी ज्यादा काट पाता था। हालाँकि आप लोगों में से कई लोगों ने मुझे कई बार इस पर टोका भी था कि मै अपनी कुल्हाड़ी में धार ही लगाता रहता हूँ और इस बात पर आप लोग मेरा मज़ाक भी उड़ाते थे कि ये काम तो घर पर ही कर लिया करो यहीं पर आकर ही तुम्हे सूझता है।
साथियों, बस यही फर्क है आपमें और मुझमे, कि आप यह समझते हो कि एक बार धार लग गयी तो कई दिनों की छुट्टी जबकि मेरा मानना है कि कुल्हाड़ी में धार तो जब मौका मिले लगालो अर्थात निरंतर लगाते रहना चाहिये और इसके परिणाम को देखने के लिये कल से ही आप इस पर विचार करें आपको कल शाम तक ही परिणाम मिल जाएंगे।
अगले दिन सभी लोगों ने इस बात पर विचार किया, और बिलकुल वैसा ही किया जैसा गुलशन ने कहा था हर एक कर्मचारी ने प्रत्येक पेड़ को काटने के बाद अपनी कुल्हाड़ी की धार को तेज किया और शाम तक जब एवरेज लगाया तो हर एक ने 13 से 15 पेड़ काटे थे, सभी बड़े खुश थे और इस बात के लिए सभी ने गुलशन को तहे दिल से धन्यवाद कहा।
दोस्तों, “कुल्हाड़ी की धार” को यहां पर एक प्रतीक रूप में लिया गया है, हमारा जो असली मकसद है वह यह है कि हम जिस किसी भी क्षेत्र में हों उस क्षेत्र में हम अपनी कुल्हाड़ी की धार को तेज करें अर्थात “दिमाग की धार” को तेज करें, निरंतर सीखने पर बल दें, कुछ न कुछ नया करने पर बल दें, ऊपर वाले ने हमें दिमाग दिया है सोचने के लिए, अविष्कार करने के लिए, चमत्कार करने के लिए, सिर्फ गधों की तरह से काम करने वाला इंसान जिंदगी भर गधा ही रह जाता है और जो अपनी कुल्हाड़ी की धार को निरंतर तेज करता रहता है वह एक न एक दिन आगे जरूर बढ़ता है, शिखर पर जरूर चढ़ता है।
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Thanking You…………धन्यवाद…………शुक्रिया………….मेहरबानी…………जय हिन्द – जय भारत
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com
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