पैसा बोलता है || Motivational Article In Hindi

एक गरीब, कमजोर और लाचार इंसान को अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि वह ज्यादातर शांत स्वभाव का दिखेगा, सबकी हाँ में हाँ मिलायेगा, सामने वाले की ज्यादातर बातों में अपनी सहमति दिखायेगा लेकिन एक अमीर, मजबूत और ताक़तवर इंसान बात-बात पर अपनी शेखी दिखायेगा, अपनी हर बात पर हाँ कहलवायेगा और जब चाहेगा जिसको भी जो बोल जायेगा, आखिर क्यों…..? क्योंकि वह नहीं बल्कि उसका “पैसा बोलता है”

दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से हम पैसों के हर उस पहलु के बारे में बात करेंगे जिसके कारण एक इंसान दूसरे इंसान से अलग माना जाता है, साथ ही हम उन बातों पर भी फोकस करेंगे कि कैसे लोग पैसे वालों को महत्वपूर्ण बनाते हैं और एक गरीब को गन्दी नाली का कीड़ा बताते हैं। पैसा-पैसा-पैसा आखिर ये है क्या बला, तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पैसों के महिमा के बारे में…..

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पैसा बोलता है
पैसा बोलता है

 

पैसा बोलता है || Motivational Article In Hindi 

एक जमींदार क्यों बोलता है ?

जमींदार शब्द सुनते ही हमारी आँखों के सामने एक फ़िल्मी खलनायक का चेहरा घूमने लगता है अब शायद आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं, वॉलीवुड के महान खलनायक अमरीश पूरी जिन्होंने भारतीय फ़िल्मी दुनियाँ में सबसे ज्यादा जमींदार अर्थात ठाकुर का रोल किया है।

ज्यादातर ठाकुरों को विरासत में जमींदारी मिली होने के कारण उन्हें जमींदार के नाम से पुकारा जाता है, उनके इलाके में उनका अच्छा-खासा वर्चस्व होता है, सामान्य से लेकर निचले तबके के लोग उनके सामने पंगु बनकर रहते हैं।

हालाँकि समय के साथ-साथ इसमें काफी बदलाव भी हुआ है, औद्योगिक क्रांति और शैक्षणिक क्रांति ने जमींदारी प्रथा को काफी कमजोर किया क्योंकि गांव के कमजोर पृष्ठभूमि वाले लोगों ने शहरों की तरफ का रुख किया और अपने-आप को जमींदारों के चंगुल से बाहर निकाला है।

इसके बावजूद आज भी बहुत से ऐसे इलाके हैं जहाँ पर जमींदारों की ही चलती है, वे जो चाहते हैं, जैसा भी चाहते हैं, करते ही हैं, कोई भी उनके सामने आवाज़ उठाने की जुर्रत नहीं करता और इसी वजह से वे अपने वर्चस्व का पूरा फायदा उठाते हुए किसी से भी कुछ भी बोल जाते हैं, जानते हैं क्यों ? क्योंकि वे नहीं बोलते बल्कि उनका पैसा बोलता है

एक व्यापारी क्यों बोलता है ?

जहाँ व्यापार होता है वहां कर्मचारी होते हैं, कर्मचारियों में भी अलग-अलग तबके होते हैं जिसमें मैनेजर, अकाउंटेंट, सेल्समैन, सुपरवाइज़र से लेकर चपरासी तक होते हैं। इस कड़ी में हर ऊपर वाला कर्मचारी नीचे वाले पर अपना रोब झाड़ता है।

लेकिन इस कड़ी में जो सबसे ऊपर होता है आखिर उसके ऊपर भी तो कोई होता है और वह होता है उस व्यापार का मुखिया अर्थात वह व्यापारी जो उस कंपनी या फर्म का मालिक होता है जो सबको सैलरी देता है, और वह जरुरत पड़ने पर अपने किसी भी कर्मचारी की क्लास ले सकता है अर्थात किसी को भी काम के विषय में कुछ भी बोल सकता है, जानते हैं क्यों ? क्योंकि वहां पर वह नहीं बोलता है बल्कि उसका पैसा बोलता है

 

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एक नेता क्यों बोलता है ?

Image source : newsbharati.com
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कोई भी देश हो, किसी भी देश की सरकार हो, जो उसे चलाते हैं वे नेता होते हैं, उनके नीचे उनकी एक बड़ी कार्यकारिणी सेना होती है जो कि उनके नीतियों और योजनाओं तक को उनके जनता-जनार्दन तक पहुंचाती है।

शीर्ष पद पर बैठा नेता जो बोलता है नीचे वाले उसको फॉलो करते हैं, आखिर ऐसा क्यों होता है क्योंकि वहाँ पर सिर्फ वह नेता नहीं नहीं बोलता है बल्कि वो जिस पद पर बैठा होता है वो रुतबा बोलता है और वह रुतबा कैसे बनता है जाहिर सी बात है कि जो वह ढेर सारा पैसा लोगों के ऊपर पानी की तरह बहाता है वह पैसा बोलता है

एक अभिनेता क्यों बोलता है ?

एक अभिनेता तरह-तरह के अभिनय करता है, कभी फिल्मों में तो कभी स्टेज शो में तो कभी विज्ञापन में, जिसके बदले वह एक निर्धारित फीस लेता है। फिल्मों में फिल्म निर्माता से, स्टेज शो में स्टेज ऑर्गेनाइज़र से और विज्ञापन में उस कंपनी से जिसका वह प्रचार कर रहा है।

हालाँकि वह अभिनेता खुद अपने-आप में एक बड़ी शख्शियत होता है लेकिन वह जिसके लिए काम करता है और बोलता है उससे उस काम के बदले अच्छे-खाशे पैसे चार्ज करता है और तब तक उससे बंधा रहता है जब तक वह काम पूरा नहीं हो जाता है।

यहाँ पर भी अगर देखा जाए तो वह अभिनेता आखिर क्यों बोलता है, जाहिर सी बात है कि उसने अभिनय करने और बोलने के लिए किसी ना किसी से पैसे ले रखे होते हैं और वह नहीं बोलता बल्कि वहां पर जिसने पैसे खर्च किये हैं उसका पैसा बोलता है

 

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एक घर का मुखिया क्यों बोलता है ?

हर एक घर का एक मुखिया होता है जो उस घर को चलाता है, अब वह चाहे व्यापार करता हो, नौकरी करता हो या फिर कुछ भी करता हो लेकिन वह जो पैसे कमाकर अपने घर में लाता है उससे ही उसके घर का पूरा खर्च चलता है।

दिन भर घर का मुखिया घर से बाहर रहता है, काम करता है और शाम को घर में वापिस आता है, जब वह घर में वापिस आता है तो कई बार वह घर के अन्य लोगों पर अपने दिन भर की भड़ास निकालने लगता है जिसमें उसके भड़ास के शिकार उसकी पत्नी या बच्चे हो जाते हैं।

आखिर ऐसा क्यों होता है कि घर के सभी लोग उस मुखिया की बातों को झेलने पर मजबूर होते हैं, वे लोग उसकी बात का खुलकर जबाब क्यों नहीं दे पाते हैं और वह बोलता चला जाता है और उसकी बातों को सब बर्दास्त कर लेते हैं, जाहिर सी बात है कि वहाँ पर वह नहीं बोलता है बल्कि उसका पैसा बोलता है

एक अमीर क्यों बोलता है ?

आप लोगों ने सामान्यतः एक बात देखी होगी कि जिनके पास बहुत सारा पैसा होता है वे लोग ज्यादातर अपने रोब में रहते हुए लोगों से अहंकार में बात करते हैं। हालाँकि ऐसा भी नहीं है कि हर पैसे वाला ऐसा करता है लेकिन ज्यादातर अमीर लोगों में यह प्रवृत्ति देखी जाती है।

दोस्तों, सीधी सी बात है कि पैसा है ही ऐसी चीज जो इंसान को ना चाहते हुए भी बहुत कुछ करवाने पर मजबूर कर देती है। कहते हैं ना कि माल है तो ताल है, पैसे में इतनी ताक़त होती है कि ठंढे से ठंढे आदमी के अंदर भी गर्मी का एहसास करा देती है।

पैसा ज्यादातर इंसान को अहंकारी बना देता है जिसके कारण इंसान का स्वभाव कमजोर और गरीब लोगों के प्रति नकारात्मक हो जाता है परिणामतः वह सामने वाले को बात-बात पर बे-इज़्ज़त करने लगता है, आखिर वह भी क्या करे गलती उसकी नहीं होती है और वह जो बोलता है ना असल में वह नहीं बोलता बल्कि उसका पैसा बोलता है

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निष्कर्ष

दोस्तों, सारा खेल पैसों का है, जिसके पास पैसा है उसको बोली भी खूब आती है और लोग उसकी सुनते भी हैं, लेकिन जिसके पास पैसा नहीं है वह बेचारा क्या बोले, किसको बोले और कैसे बोले आखिर उसकी सुनेगा कौन…..?

इसी बात पर वह गाना याद आ गया कि…..कौन सुनेगा किसको सुनायें इसलिए चुप रहते हैं, हमसे अपने रूठ ना जायें इसलिए चुप रहते हैं।

वाकई में यह 100% सत्य है कि गरीब की कौन सुनेगा जबकि अमीर की तो हर कोई सुनने को तैयार है क्योंकि उसके पास पैसा है और वो जो बोलता है ना वह नहीं बोलता है बल्कि उसका “पैसा बोलता है”

इसलिए अगर आप भी चाहते हैं कि लोग आपकी सुनें, आपकी इज़्ज़त करें, आपकी हर एक बात पर हाँ में हाँ मिलायें तो आपको कुछ भी करके-कैसे भी करके पैसे वाला बनना होगा क्योंकि इंसान नहीं बल्कि उसका “पैसा बोलता है”

 दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले सेऔर बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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