दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार > पुरानी दिल्ली एक ऐसा बाजार है, जहाँ सब कुछ है मिलता, यहाँ वस्तुओं का भंडार है, पूरे भारत में होता यहाँ से व्यापार है, जिसने इसे नहीं देखा उसका दिल्ली आना बेकार है।।

पुरानी दिल्ली थोक बाज़ारों का समूह है।

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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार
दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

नमस्कार दोस्तों, मै अमित दुबे आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।

दोस्तों, पुरानी दिल्ली से मेरा बड़ा ही करीबी रिस्ता रहा है, क्योंकि 1993 में जब मै दिल्ली आया तो यहीं से मेरे कैरियर की शुरुआत हुई और 2003 तक मै इस क्षेत्र से जुड़ा रहा। 3 साल तक चावड़ी बाजार के पेपर मार्केट में नौकरी करने के बाद मैंने अपना एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया जिसके कारण सदर बाजार, खारी बावली और चाँदनी चौक समेत यहां की एक-एक गलियों से मै भली-भांति परिचित हूँ। पिछले सप्ताह मै किसी काम से चाँदनी चौक आया था, जब मै अपना काम पूरा करके वापिस जाने लगा तो लालकिले के सामने खड़े होते ही मेरे मन में एक विचार आया कि एक आर्टिकल तो पुरानी दिल्ली पर भी बनता है, उसी विचार से प्रभावित होकर मै पुरानी दिल्ली के बारे में जितना भी जानता हूँ वो सब आपके सामने इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।

दिल्ली-6 अर्थात पुरानी दिल्ली :

दिल्ली-6 अर्थात पुरानी दिल्ली ही वह दिल्ली है, जो सत्रहवीं शताब्दी में मुग़ल शासक शाहजहाँ द्वारा बसाया गया था, सैकड़ों सालों तक यह बसता और उजड़ता रहा तत्पश्चात 1911 में इसे भारत की राजधानी बनाया गया और उसी के साथ दिल्ली का एक और नाम भी पड़ा जिसे नई दिल्ली के नाम से जाना गया लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम सिर्फ और सिर्फ दिल्ली – 6 अर्थात पुरानी दिल्ली की ही बात करेंगे तो आइये आगे बढ़ते हैं और और जानते हैं कि क्या है पुरानी दिल्ली और इसकी खाशियत।

पुरानी दिल्ली को दिल्ली – 6 इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस जगह का पिन कोड है दिल्ली – 110006, संकरी गलियाँ एक बाजार को दूसरे बाजार से जोड़ती हैं, भीड़ इतनी कि जैसे प्रतिदिन मेला लगा हो, यहाँ के हर बाजार मानो अपने आप में बहार हों, यहाँ की गंगा जमुना संस्कृति लोगों को यह प्रेरणा देती है कि अगर मिल-जुल कर रहना सीखना हो तो कोई पुरानी दिल्ली के लोगों से सीखे।

पुरानी दिल्ली एक ऐसा इलाका है, जिसे किसी जमाने में दीवारों के अंदर बसाया गया था लालकिला के एक छोर से शुरू होती एक दीवार जो दिल्ली गेट, तुर्कमान गेट, अजमेरी गेट, लाहौरी गेट, मोरी गेट, कश्मीरी गेट होते हुये समूचे पुरानी दिल्ली को कवर करते हुए दोबारा लालकिला के दूसरे छोर पर आकर मिल जाती थी, बीच-बीच में गेट बने हुए थे जो शाम होते ही बंद हो जाते थे ताकि किसी भी बाहरी हमले से शहर को बचाया जा सके और लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस करे।

आज के समय में पुरानी दिल्ली के गेट इन नामों से जाने जाते हैं :

दिल्ली गेट, तुर्कमान गेट, अजमेरी गेट, लाहौरी गेट, मोरी गेट और कश्मीरी गेट लेकिन इतिहास के पन्ने हमें यह बताते हैं कि 1857 में दिल्ली के 14 दरवाजे हुआ करते थे फिलहाल तो हमें 6 ही नज़र आ रहें हैं जिनका जिक्र हमने ऊपर की लाइनों में किया है।

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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

पुरानी दिल्ली के बाजार :

सदर बाजार :

यह एक ऐसा थोक बाजार है, जहाँ सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक ही सिर्फ यहाँ की गलियों और पटरियों पर ही करोड़ों रूपये का व्यापार हो जाता है क्योंकि यह बाजार थोक सामानों के खरीदारों के लिए बड़ा ही मुनासिब है। दिल्ली के आस-पास और दूर-दराज के व्यापारी यहाँ पर सुबह-सुबह ही आकर अपने दुकान के जरुरत के सामान खरीद कर वापिस चले जाते हैं और उसके बाद यहाँ की दुकाने खुलनी शुरू होती हैं जो शाम के 8 बजे तक खुली रहती हैं।

सदर बाजार एक ऐसा थोक बाजार है, जहाँ सब-कुछ मिलता है वह भी थोक भाव में अगर आप एक दुकानदार हैं तो आपको दिल्ली में अपने दुकान के लिए सामान खरीदने के लिए इससे उपयुक्त बाजार नहीं मिलेगा। वैसे तो पुरानी दिल्ली में सभी वस्तुओं के अपने अलग-अलग थोक बाजार हैं लेकिन सदर बाजार एक ऐसा बाजार है जहाँ पर आपको सब-कुछ मिल जाता है।

सदर बाजार सिर्फ एक अकेला थोक बाजार ही नहीं, बल्कि यह एक बहुत बड़े थोक बाज़ारों का समूह है यहाँ की छोटी-छोटी गलियों में बहुत बड़े-बड़े बाजार हैं जिनमे से कुछ के नाम नीचे की लाइनों में दिए जा रहे हैं।

सदर के प्रसिद्द थोक बाजार :

तेलीवाड़ा, तांगा स्टैंड, प्रताप मार्केट, स्वदेशी मार्केट, गाँधी मार्केट, न्यू मार्केट, हनुमान मार्किट, रुई मंडी, पान मंडी, अनाज मंडी, गली मटके वाली, गली तौलिया वाली, बाड़ा हिन्दू राव, क़ुतुब चौक, बारा टूटी चौक, मिठाई पुल चौक, पुराना बहादुर गढ़ रोड डिप्टी गंज आदि।

सब-कुछ मिलता है यहाँ पर :

  • कॉस्मेटिक्स, होज़री, श्रंगार, और सजावट के सामान।
  • प्लास्टिक क्राकरी के सभी सामान और खिलौने आदि।
  • स्टील के बर्तन से लेकर जरुरत के सभी घरेलु सामान।
  • साबुन, तेल, शीशा, कंघी, पर्स, बेल्ट, टोपी, बैग आदि
  • स्टेशनरी, इलेक्ट्रिकल, कपड़े, अटैची, जूते-चप्पल आदि।
  • कुर्सी, टेबल, स्टूल, चारपाई, गद्दे, बेडशीट, तकिये, चटाई आदि।
  • प्लास्टिक की थैली, रस्सी, निवाड़, लकड़ी के सामान, गैस चूल्हा, स्टोव आदि।
  • चुनाव के सामान जैसे – झंडे, बैनर, बिल्ला, टोपी, गमछा, स्टीकर, आदि।
  • बर्थडे, पार्टी, शादी-समारोह और त्योहारों और पूजा-पाठ के सभी सामान।
  • स्पोर्ट, जिम, वीडियो गेम, सोने-चाँदी, लोहे और लकड़ी के सभी सामान आदि।

आज़ाद मार्केट :

यह बाजार सदर बाजार के पास ही पड़ता है, यहाँ पर आपको तिरपाल और उससे बनी सभी चीजें थोक भाव में मिल जायेंगी जैसे बड़े तिरपाल से लेकर छोटे तीरपाल, जैकेट आदि। इस बाजार में सेकेंड हैंड कपडे थोक भाव में मिलते हैं वह भी किलो के हिसाब से आपने दिल्ली शहर या फिर अन्य बाज़ारों में फुटपाथ और साप्ताहिक बाज़ारों में सस्ते दामों पर कपड़े बिकते देखे होंगे वे कपड़े आज़ाद मार्किट से ख़रीदे जाते हैं।

आज़ाद मार्केट जींस और जैकेटों का एक बड़ा थोक बाजार है, यहाँ पर आपको बेचने के लिए नए और सेकेंड हैंड दोनों प्रकार के कपड़े मिल जाएंगे। सेकेंड हैंड कपड़ों के बण्डल बने होते हैं जो आपको किलो के भाव से ही मिलते हैं आप बंडल में से कपड़े छांट नहीं सकते आपको पूरा बंडल ही खरीदना पड़ता है और बंडल खरीदने पर ही आपको पता चलता है कि इसमें कैसे कपडे हैं और आप उन्हें कितने में बेच सकते हैं। हो सकता है कि आपने एक बंडल कपड़ा 500 में ख़रीदा हो और बंडल खुलने के बाद आपको पता चलता है कि इसमें का कपड़ा 800 में बिकेगा या फिर 1200 में क्योंकि उसमे ठीक-ठाक से लेकर अच्छे क्वालिटी तक के कपड़े निकल सकते हैं लेकिन कुल-मिलाकर आपको उनमे नुकसान नहीं होता।

नया बाजार :

यह बाजार सदर बाजार के ही पास पीली कोठी के पास पड़ता है, यहाँ पर थोक भाव में सभी अनाज मिलते हैं यहाँ पर अनाज के बड़े-बड़े व्यापारी बैठे हुए हैं जो बड़ी तादात में अनाजों को दिल्ली से दूर-दराज के क्षेत्रों में सप्लाई देते हैं और ये व्यापारी देश के साथ-साथ विदेशी व्यापार भी अर्थात (Import-Export) करते हैं।

नया बाजार में बहुत सारे ट्रांसपोर्ट भी हैं, जिनके द्वारा बाहर के व्यापारी लोग जो सामान खरीदते हैं उन्हें उनके शहर तक पहुँचाया जाता है।

लाहौरी गेट :

यह बाजार नया बाजार के पास ही पड़ता है, और उसी का दूसरा रूप है यहाँ पर भी अनाज का ही थोक बाजार है साथ ही साथ यहाँ पर किराने की दुकान का सारा सामान थोक भाव में मिल जाता है यहाँ पर सभी अनाजों के साथ-साथ साबुन, तेल, घी, झाड़ू-पोंछा आदि थोक भाव में मिलता है।

श्रध्दानंद मार्ग (जी बी रोड) :

यह बाजार वैसे तो औद्योगिक मशीनों, मार्बल और टाइलों का बाजार है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी प्रसिद्धि रेड-लाइट एरिया की वजह से है, हाँ दोस्तों यही है दिल्ली का “GB ROAD” जहाँ पर जिस्म-फरोशी का धंधा होता है सदर बाजार से नया बाजार लाहौरी गेट होते हुए जब आप अजमेरी गेट या नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ जाते हैं तब बीच में ही पडेगा, यहाँ से गुज़रते समय आप देखेंगे कि नीचे तो मशीनरी की दुकानें होंगी लेकिन ऊपर की छतों पर की खिड़कियों से सेक्स वर्करों की झलकियाँ और आवाजें आ रही होंगी उनके ग्राहकों को बुलाने के लिए।

जी बी रोड से गुज़रते समय एक बात का खाश ध्यान रखना होता है, कि जाने-अनजाने में अधिकतर लोगों का ध्यान सेक्स वर्करों की तरफ चला ही जाता है इसका फायदा वहाँ के दलाल तो उठाते ही हैं साथ ही साथ जेबकतरे भी सक्रीय रहते हैं और पलक झपकते ही आपकी आँखों में धूल डालते हुए अपना काम कर जाते हैं। इसलिए जब कभी भी आप वहाँ से गुज़रें तो सावधानी जरूर बरतें अगर सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।

जी बी रोड के नाम के बारे में, लोगों को एक कन्फूजन सा रहता है कि इसका फुल फॉर्म क्या है, कोई कहता है गाज़ियाबाद रोड तो कोई कहता है गाँधी बापू रोड तो कोई कुछ और कहता है। लेकिन इसका वास्तविक नाम है GARSTIN BASTION ROAD अर्थात जी बी रोड।

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खारी बावली :

यह बाजार सदर बाजार से चाँदनी चौक के बीच पड़ता है, इसके बगल में ही पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भी है, यहाँ पर अनाज, मेवा, मशाला, जड़ी-बूटियाँ, चायपत्ती, तेल, घी, खोया, अचार, मुरब्बा डिस्पोजल आदि थोक भाव में मिलता है देश-विदेश में विख्यात MDH मशाले वालों की दुकान यहीं पर है।

खारी-बावली एक सड़क का नाम है जिस पर अनाज, मेवा, मशाले, अचार, मुरब्बा आदि की बहुत सारी दुकानें हैं जो थोक भाव में सामानें बेचती है लेकिन सड़क के दोनों तरफ कई गलियाँ भी हैं जो अलग-अलग बाज़ारों में विभाजित हैं जैसे –

गली बताशे वाली – साबुन, तेल, अचार, मुरब्बे, चीनी, गुड़, खांड, बूरा, आम-पापड़, टाफी, बिस्किट, धूपबत्ती, अगरबत्ती, चायपत्ती, नमकीन, पेठा, गज़क, पट्टी, गुड़ के सेब, बच्चों से सम्बंधित खाने की चीजें और खिलौने, चायपत्ती और नमकीन आदि को पैक करने वाली थैलियों आदि का थोक बाजार। इस गली के कोने पर ही “हरनारायन गोकुलचंद” की दुकान है जिनके अचार और मुरब्बे बहुत प्रसिद्द हैं और इसी गली के सामने कई सारे खोया की थोक दुकानें हैं।

तिलक बाजार – सभी प्रकार के केमिकल, धूपबत्ती, अगरबत्ती, चूरन, वरक, सभी प्रकार के रंग आदि का थोक बाजार।

गड़ोदिया मार्केट – सभी प्रकार के मशालों का थोक बाजार है यहाँ से पूरे भारत में मशाला सप्लाई किया जाता है यह एशिया का सबसे बड़ा मशाला बाजार है।

कटरा तम्बाकू – असली जड़ी बूटियों का थोक बाजार है यहाँ पर बड़े-बड़े Importer और Exporter बैठे हैं जो बड़ी मात्रा में देशी और विदेशी व्यापार में लिप्त रहते हैं।

तिलक बाजार :

जैसा कि हमने ऊपर की लाइनों में आपको बताया कि, तिलक बाजार केमिकल मार्केट के नाम से भी जाना जाता है यह खारी-बावली के गली बताशे वाली के सामने पड़ता है, यहाँ पर सभी प्रकार के केमिकल और उनसे तैयार होने वाले उत्पादों के बारदाने जैसे छोटी शीशियाँ बोतलें आदि, रंग-रोगन के सामान, सोने और चाँदी के वरक, धूपबत्ती और अगरबत्ती, हाजमे की गोलियाँ अर्थात चूरन आदि, सुगन्धित इत्र आदि थोक भाव में मिलते हैं।

नया बाँस :

यह बाजार खारी बावली से लालकुआँ की तरफ जाने वाली सड़क पर है, वैसे गली बताशे वाली से भी इसका रास्ता निकलता है यहाँ पर पान, गुटखा, सुपारी, सौंफ, इलाइची, बीड़ी, सिगरेट, आदि थोक भाव में मिलता है अर्थात पनवाड़ी के दुकान का सारा सामान यहाँ पर होलसेल रेट पर मिलता है। यहाँ पर मोमबत्तियाँ भी थोक भाव में मिलती है।

लालकुँआ :

यह बाजार नया बांस से चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन जाने वाले रास्ते पर पड़ता है, इसी बाजार में हमदर्द दवाखाना भी है जो विश्व-विख्यात है। यहाँ पर हार्डवेयर-सेनेटरी, बड़े बारदानें जैसे शादी-व्याह में इस्तेमाल होने वाले बर्तन, स्वरोजगार में इस्तेमाल होने वाले संसाधन, नई और पुरानी इमारतों में इस्तेमाल होने वाले सामान थोक भाव में मिलते हैं।

अजमेरी गेट :

यह बाजार चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ, जाने वाली सड़क पर पड़ता है, यहाँ पर हार्डवेयर, सेनेटरी, पेंट, एल्लुमिनियम, सभी प्रकार के प्लास्टिक के पाइप, लोहे की जालियाँ औद्योगिक मशीनों के पार्ट आदि थोक भाव में मिलते हैं।

सीताराम बाजार :

यह बाजार चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन से तुर्कमान गेट के बीच में पड़ता है, रिहायशी इलाके से सटा होने के कारण यहाँ पर मिली-जुली प्रकार की दुकानें हैं। यहाँ के हलवाई बड़े ही प्रसिद्द हैं यहाँ एक गली हे जिसका नाम कुचा-पाती राम है जिसमें हलवाइयों का गढ़ है, इसी गली में बारदानों की कई दुकाने हैं जो शादी-व्याहों में किराए पर दिए जाते हैं। यहाँ के छोले-कुल्चे बड़े प्रसिद्द हैं, यहाँ की कचौड़ी बड़ी प्रसिद्द है, यहाँ के सिकंदर आमलेट वाले काफी प्रसिद्द हैं, दिल्ली के मशहूर हलवाई मानसिंह यहीं के हैं।

तुर्कमान गेट :

सीताराम बाजार से आगे बढ़ते ही तुर्कमान गेट पड़ता है, जिसके सामने ही दिल्ली का रामलीला मैदान है जहाँ दिल्ली की बड़ी-बड़ी रैलियाँ होती हैं। तुर्कमान गेट मुश्लिम बहुल इलाका है, यहां पर मुश्लिम होटलों की भरमार है, यहाँ पर मुश्लिम आर्टिफीसियल ज्वेलरी से सम्बंधित सामान मिलता है। तुर्कमान गेट के बाद आसफअली रोड को पार करते ही नई दिल्ली की शुरुआत हो जाती है जिसे मिंटो रोड कहते हैं।

चितली काबर :

तुर्कमान गेट से जामा मस्जिद के रास्ते में यह बाजार पड़ता है, मुस्लिम बहुल रिहाइशी इलाका है मुस्लिम होटलों की भरमार है, कपड़ों की दुकानें और भी बहुत सारी मिली-जुली दुकानें भीड़-भाड़ से भरा हुआ संकरी गलियों वाला क्षेत्र है।

मटिया महल :

चितली काबर से आगे बढ़ते ही, जामा मस्जिद के दक्षिणी दरवाजे को जाने वाले रास्ते पर यह बाजार पड़ता है जब पूरी दिल्ली सो रही होती है तब भी यहाँ पर चहल-पहल का माहौल रहता है अर्थात यहाँ की कुछ दुकाने 24 घंटे खुली रहती हैं खाशकर चाय-नास्ते वगैरह की मुश्लिम बहुल इलाका होने के कारण यहाँ की ज्यादातर दुकानें मुश्लिमों की ही हैं इस बाजार को जामा मस्जिद की शान भी कह सकते हैं, नॉनवेज का भंडार है यहाँ, करीम होटल यहाँ की सबसे प्रसिद्द जगह है जहाँ की नॉनवेज दूर-दूर तक मशहूर है।

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जामा मस्जिद :

जामा मस्जिद लालकिले के सामने की तरफ पड़ता है, थोड़ा सा बायीं तरफ क्योंकि ठीक सामने तो चाँदनी चौक पड़ता है ना जिसका जिक्र हम बस नीचे की लाइनों में करने ही वाले हैं। जामा मस्जिद दिल्ली में मुशलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है यहाँ पर शुक्रवार अर्थात जुम्मे के दिन नमाज़ पढ़ने वालों की काफी भीड़ रहती है। यह मुशलमानों का बहुत बड़ा पर्यटन स्थल है, यहाँ पर मछली बाजार भी है जहाँ से मछलियों का बहुत बड़ा व्यापार होता है। यहां पर इस्लामिक पब्लिशरों की भरमार है जो इस्लामिक विषयों पर किताबें छापकर देश-विदेशों में सप्लाई करते हैं।

मीना बाजार :

जामा मस्जिद की गोद में बैठा यह बाजार, जिसे मीना बाजार के नाम से जाना जाता है यहां पर मिली-जुली दुकानें हैं जो लोग पर्यटन रूप में जामा मस्जिद की सैर करने आते हैं वे लोग मीना बाजार से ही सामान खरीदते हैं यहां पर इस्लाम धर्म से सम्बंधित वस्तुएं मिलती हैं। मीना बाजार में सेकेंड हैंड गाड़ियों के पार्ट, मशीनरी सम्बन्धी पार्ट, मशीनरी टूल्स, ऑडियो-वीडियो से सम्बन्धी सामान कपडे, अटैचियाँ आदि मिलते हैं, लेकिन याद रखें यह थोक बाजार नहीं है क्योंकि यह मुश्लिमों के धार्मिक स्थल का बाजार है, यहाँ पर मोल-भाव भी बहुत जबरदस्त होता हैं, आपको सावधानी बरतनी होगी।

चूड़ीवालान :

चूड़ीवालान नाम से तो ऐसा लगता है, कि यह चूड़ियों का बाजार होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, यह जामा मस्जिद से सटा हुआ मुश्लिम बहुल इलाका है, चावड़ी बाजार से भी सटा होने के कारण यहां पर कागज से जुड़ी गतिविधियाँ ज्यादा होती हैं जैसे – कागज के गोदाम, कागज के लिफाफों के कारखाने, शादी के कार्डों के कारखानें आदि।

चावड़ी बाजार :

यह एक ऐसा बाजार है, जहाँ से दिल्ली में मैंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। यह कागज का एक बहुत बड़ा बाजार है, यहाँ पर बड़े-बड़े कागज़ व्यापारी बैठे हुए हैं जो पूरी दुनियाँ से कागज का Import और Export तो करते ही है साथ ही साथ पूरे भारत में इनकी सप्लाई जाती है, यहाँ पर बड़े-बड़े कोपी और कंप्यूटर स्टेशनरी निर्माता भी हैं जैसे – Bitto, Nilgagan, Nilkamal और Century आदि।

चावड़ी बाज़ार में शादी के कार्डों का बहुत बड़ा बाजार है, जो पुरे भारत में अपनी पकड़ बनाये हुए है , शादी के कार्डों के बड़े-बड़े निर्माता यहाँ पर बैठे हुए हैं आपको जैसा भी शादी का कार्ड चाहिए ये आपको मुहैया कराएंगे।

चावड़ी बाजार में हार्डवेयर और सेनेटरी का बहुत बड़ा कारोबार है, यहाँ पर Manufacturer, Importer, Exporter समेत बड़े-बड़े व्यापारी बैठे हुए हैं जो दिल्ली समेत पूरे भारत तथा देश-विदेशों तक अपना व्यापार फैलाये हुए हैं।

हौजकाजी :

यह एक चौक का नाम है, जहाँ पर आज-कल चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन बना हुआ है इसके एक तरफ चावड़ी बाजार तो दूसरी तरफ अजमेरी गेट तो तीसरी तरफ लालकुआँ और चौथी तरफ सीताराम बाजार है यहाँ पर ईमारत बनाने से सम्बंधित सामान थोक भाव में मिलते हैं।

नई सड़क :

नई सड़क किताबों की मार्केट है, यह चावड़ी बाजार से चाँदनी चौक को जोड़ने वाली सड़क है, यहाँ पर बड़े-बड़े किताबों के निर्माता मौजूद हैं, जो किताब कहीं नहीं मिलेगी वह नई सड़क पर जरूर मिलेगी। चाँदनी चौक की तरफ थोड़ा सा आगे बढ़ते ही साड़ियों की मार्किट भी इसी रोड पर है अगर आपके घर में शादी पड़ी है और आप थोक भाव में साड़ी खरीदना चाहते हैं तो इससे अच्छी जगह आपको कहीं और नहीं मिलेगी।

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चाँदनी चौक :

लालकिले के ठीक सामने का यह बाजार, जहाँ मुग़ल काल की शहजादियाँ रथों पर सवार होकर बाजार में खरीदारी करने आती थीं वह बाजार पुरानी दिल्ली के दिल चाँदनी चौक के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर साड़ियाँ, कपड़े, घड़ियाँ जूते, चप्पल, रेडीमेड कपड़े, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स और मिठाई की बड़ी-बड़ी दुकानें हैं।

चाँदनी चौक की पटरी मार्केट बहुत ही प्रसिद्द है, किसी जमाने में चांदनी चौक की पटरियों का दौर था जब शाम होते ही यहाँ सड़कें लोगों की भीड़ से भर जाती थी लेकिन अब वह दिन नहीं रहे क्योंकि यहाँ की पटरी मार्केट अब बंद हो गयी है लेकिन फिर भी सड़कों पर हाथों में सामान लिए बेचने वाले घूमते रहते हैं थोड़ी बहुत पटरियाँ लगती भी हैं पर वो बात अब नहीं रही जो पहले थी।

चाँदनी चौक की शोभा बढ़ाने वाला, गुरुद्वारा शीशगंज और समूची चाँदनी चौक के सौंदर्यीकरण का काम तेजी पर है जिस दिन ये प्रोजेक्ट पूरा होगा चाँदनी चौक अपने शबाब पर होगा। यहाँ पर एक फोटो स्टूडियो मार्केट भी है जहाँ पर फोटो स्टूडियो और कैमरा आदि से सम्बंधित सभी चीजें मिलती हैं साथ ही सभी प्रकार के कैमरों को रिपेयर भी किया जाता है, अगर आप एक Youtuber हैं तो आपको आपके मतलब की सभी चीजें यहाँ पर मिल जाएगी।

दरीबा कलां :

चाँदनी चौक से जामा मस्जिद, के उत्तरी दरवाजे को जाने वाली सड़क को दरीबा कलां के नाम से जाना जाता हैं, यह दिल्ली की सबसे बड़ी और पुरानी ज्वेलरी मार्केट हैं यहाँ से पूरे भारत में ज्वेलरी का थोक व्यापार तथा विदेशों से आयात-निर्यात किया जाता है।

लाजपत राय मार्केट :

यह लालकिला के सामने, और चाँदनी चौक के कोने पर बनी मार्केट है, यह दिल्ली की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक एंड इलेक्ट्रिकल्स मार्केट है यहाँ पर ऑडियो-वीडियो से सम्बंधित सभी चीजें छोटी से लेकर बड़ी तक थोक भाव में मिलती हैं जैसे – टीवी, रेडिओ, टेपरिकॉर्डर, आयरन, साउंड बॉक्स, पंखे आदि।

भागीरथ पैलेस :

लाजपत राय मार्केट की सड़क क्रॉस करते ही, भागीरथ पैलेस आ जाता है यह इलेक्ट्रिकल्स सामानों का सबसे बड़ा थोक बाजार है यहाँ से पूरे भारत में व्यापार होता है। यहीं पर ही दवाइयों की थोक मार्केट भी है जहाँ सभी प्रकार की दवाइयाँ थोक भाव में मिलती हैं।

किनारी बाजार :

यह दरीबा कलां से नई सड़क, को जाने वाली गली सी सड़क है जहाँ जरी, गोटे, शादी के सामान, पूजा के सामान, त्योहारों के सामान, नाटक के सामान, रामलीला और दशहरे आदि समारोहों का सामान आदि मिलता है।

न्यू लाजपत राय मार्केट :

यह लालकिला के सामने, और चाँदनी चौक के दूसरे कोने के पास पड़ती है जहाँ पर घड़ियों का थोक व्यापार होता है, यहाँ से पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों से भी व्यापार होता है। यहीं पर साईकिल मार्किट भी है जहाँ बच्चो से लेकर बड़ों तक के साईकिल थोक भाव में मिलती है।

गली परांठे वाली :

किनारी बाजार से चाँदनी चौक, को जोड़ने वाली पतली सी गली जिसे परांठे वाली गली के नाम से जाना जाता है वहाँ पर वर्षों पुरानी और खानदानी पराठों की दुकानें हैं जहाँ पर आपको तरह-तरह के परांठों का स्वाद मिल जाएगा। “चाँदनी चौक की परांठें वाली गली” विदेशों तक मशहूर हैं क्योकि अपने अक्की अर्थात अक्षय कुमार भी यहीं के हैं।

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बल्ली मारान :

चाँदनी चौक से चावड़ी बाजार, को जोड़ने वाली सड़क की शुरुआत बल्लीमारान से होती है जहाँ पर सबसे पहले जूतों-चप्पल का बाजार है उसके बाद रेक्सीन के थोक व्यापारी हैं और आगे चलकर चश्मों का थोक बाजार है यह रास्ता चरखेवालान को जा रहा है।

चरखेवालान :

चावड़ी बाजार से सटा होने के कारण, यहाँ पर ज्यादातर कागज से जुड़ी गतिविधियाँ होती हैं जैसे कागज की दुकानें, शादी के कार्ड की दुकानें, चावड़ी बाजार हार्डवेयर सेनेटरी का भी मार्केट है चरखेवालान इन सभी बाज़ारों का पूरक है।

मोरी गेट :

यह बाजार मोटर पार्ट्स और मशीनरी के सामानों की है, यह नावल्टी सिनेमा के सामने रेलवे लाईन के ऊपर बने पुल सेे सिविल लाइन की तरफ जाने जाने वाली सड़क पर पड़ता है, इसके बगल में ही दिल्ली का तीस हजारी कोर्ट पड़ता है।

कश्मीरी गेट :

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पीछे, वाली सड़क पर बसा यह बाजार कश्मीरी गेट, मोटर पार्ट्स का थोक बाजार है यहाँ से देशी तथा विदेशी दोनों तरह के व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। सभी गाड़ियों के कल-पुर्जों का थोक बाजार है।

कटरा नील :

चाँदनी चौक से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, को जाने वाली गली को कटरा नील के नाम से जाना जाता है यहाँ कपड़े, साड़ियाँ, लेडीज़ सुट और चुन्नी थोक भाव में मिलता है।

कूंचा नटवा :

यह साड़ियों की मार्केट है, यहाँ सभी प्रकार की साड़ियाँ थोक भाव में मिलती हैं। देशी और विदेशी व्यापार होता है।

फ़तेहपुरी :

चाँदनी चौक से क्लॉथ मार्केट, जाने वाली सड़क को फतेहपुरी कहते हैं यहाँ पर एक मस्जिद है जिसे फतेहपुरी मस्जिद कहते हैं जिसका एक गेट चाँदनी चौक की तरफ और दूसरा गेट खारी बावली की तरफ है यहाँ पर क्राकरी आईटम, मेवे, मिठाइयाँ, आदि मिलती है।

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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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क्लॉथ मार्केट :

इसके नाम से ही पता चलता है, कि यह कपड़ों का थोक बाजार है लेकिन पहनने वाला कपड़ा नहीं बल्कि बिछाने और सोने वाला कपड़ा जैसे – बेडशीट, चादरें, रजाइयाँ, तकिये और उनके खोल, घर के पर्दे, कम्बल, डोरमैट आदि का व्यापार होता है।

पुल मिठाई :

यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, से आज़ाद मार्किट को जाने वाली सड़क है यहाँ नीचे से ट्रेने गुज़रती हैं ऊपर वाले पुल को मिठाई पुल के नाम से जाना जाता है।

बाड़ा हिन्दू राव :

सदर बाजार के बाराटूटी चौक, को पार करते ही सामने बाड़ा हिन्दूराव पड़ता है यह सदर बाजार से जुड़ा हुआ और उसका सहायक बाजार है।

चाँदनी महल :

यह मुश्लिम बहुल रिहायशी इलाका है, यह आसफअली रोड स्थित डिलाइट सिनेमा के पीछे की तरफ पड़ता है यहाँ पर कसाईखाना भी है रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरुरत की दुकानें, पतली गालियाँ, मुश्लिम ढाबे, बेकरियां, आदि यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं।

दरीबा पटाखा मार्केट :

यह बाजार जामा मस्जिद के उत्तरी दरवाजे पर पड़ता है, यहाँ सभी प्रकार के पटाखे थोक भाव में मिलती हैं यहाँ पर सालो पुरानी पटाखों की दुकाने हैं यहाँ से दूर-दराज के क्षेत्रों तक पटाखा सप्लाई किया जाता है।

तिराहा बेरहम खान :

यह इलाका दरियागंज स्थित गोलचा सिनेमा के पीछे पड़ता है, हिन्दू-मुश्लिम मिश्रित रिहायशी इलाका रोजाना के जरुरत की दुकानों से सजा बाजार स्थानीय निवासियों के जरुरत को पूरा करती है तिराहे से तीन सड़कें निकलती है पहली दरियागंज गोलचा सिनेमा, दूसरी जामा मस्जिद और तीसरी दिल्ली गेट की तरफ को जाती है।


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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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पुरानी दिल्ली के सिनेमा हाल :

रिट्ज सिनेमा हाल (कश्मीरी गेट)

मिनर्वा सिनेमा हाल (कश्मीरी गेट)

जुबली सिनेमा हाल (चाँदनी चौक)

कुमार सिनेमा हाल (चाँदनी चौक)

मोती सिनेमा हाल (चाँदनी चौक)

जगत सिनेमा हाल (जामा मस्जिद)

न्यू अमर सिनेमा हाल (अजमेरी गेट)

एक्सेल्सियर सिनेमा हाल (लालकुँआ)

नोवेल्टी सिनेमा हाल (तिलक बाजार)

वेस्ट एन्ड सिनेमा हाल (सदर बाजार)

ऊपर की लाइनों में, जितने भी सिनेमा हालों के नाम दिये गये हैं ये सभी लगभग बन्द हो गये हैं। वैसे दिल्ली के अधिकतर सिनेमा हाल बन्द हो चुके हैं, इसका क्या कारण है यह मुझे नहीं पता, शायद सरकारी मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे होंगे। दिल्ली में सिनेमा हालों का माल कल्चर ज्यादा चल रहा है, जितने भी बड़े शोपिंग माल हैं उनमें जो सिनेमा हाल हैं वही इस समय ज्यादा चल रहे हैं।


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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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पुरानी दिल्ली के खान-पान :

हल्दीराम भुजिआ वाले (चाँदनी चौक) :

यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं, चाँदनी चौक के मेन सड़क पर गुरुद्वारा शीशगंज के पास दिल्ली का सबसे माने-जाने मिठाई और नमकीन के निर्माता हल्दीराम स्वीट्स जो विश्व-विख्यात है। वैसे तो दिल्ली में हल्दीराम की कई शाखायें हैं लेकिन चाँदनी चौक वाली दुकान ही सबसे अहम् है।

घंटे वाला स्वीट्स (चाँदनी चौक) :

हल्दीराम केे सामने, और उससे भी प्रसिद्ध और पुरानी मिठाई की दुकान घंटे वाला फिलहाल अब बन्द हो गया है लेकिन किसी जमाने में इनकी तूती बोलती थी। भारत की भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी को घंटे वाला की मिठाई बहुत पसंद था।

अन्नपूर्णा स्वीट्स (चाँदनी चौक) :

इन दोनों के पास ही, चाँदनी चौक फौवारे के कोने पर स्थित अन्नपूर्णा स्वीट्स की मिठाईयों में संदेश मिठाई काफी उमदा होता है।

जलेबी वाला (चाँदनी चौक) :

चाँदनी चौक से दरीबा कलां, जाने वाली सड़क पर कोने पर ही जलेबी वाले की दुकान है जो शुद्ध देशी घी की जलेबी बनाते हैं, अगर आप कभी यहाँ आयें तो यहाँ की जलेबी खाना ना भूलें।

कँवर जी स्वीट्स (चाँदनी चौक) :

चाँदनी चौक से गली परांठे वाली, में जाने से पहले कोने पर ही इस नाम से दो दुकानें हैं जो कभी एक ही हुआ करती थीं लेकिन दो भाइयों के बंटवारे में इनका विभाजन हो गया। कंवर जी की दालबीजी और गुलाब जामुन काफी प्रसिद्ध है।

चायनाराम स्वीट्स (फतेहपुरी) :

लालकिले के ठीक सामने, नाक की सीध पर चलने पर पूरा चाँदनी चौक पार करके सामने ही फतेहपुरी मस्जिद है जिसके दरवाजे के पास ही चायनाराम स्वीट्स पड़ता है, चायनाराम के घेवर बड़े ही प्रसिद्ध हैं।

स्टैंडर्ड स्वीट्स (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन के पास ही स्टैन्डर्ड स्वीट्स पड़ता है, इनके यहाँ शुद्ध देशी घी से निर्मित मिठाईयाँ मिलती हैं, हाँ एक बात और कि इनके पनीर के पकौड़े बड़े प्रसिद्ध हैं। यह दुकान पहले तो मेन सड़क पर थी लेकिन इन्होने अपना फ्रंट किसी और को दे दिया और अपनी दुकान को उसी गली में बैक में चलाते हैं।

श्याम स्वीट्स (चावड़ीबाज़ार ) :

चावड़ी बाजार के बड़शाहबुला चौक पर, और देहाती पुस्तक भंडार के पीछे श्याम स्वीट्स के मटर की कचौरी, दाल की कचौरी, गुलाब जामुन, दुध की बोतल आदि बड़े फेमस हैं।


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अशोका चाट भंडार (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार मेट्रो से बाहर, निकलते ही कोने पर ही अशोका चाट भंडार है इनके गोल-गप्पे, दही-सोंठ की पापड़ी खाने के लिये आपको लाईन मे लगना पड़ेगा।

कुल्फी फालूदा (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार मेट्रो से बाहर, निकलते ही स्टैंडर्ड स्वीट्स से पहले कुल्फी फलूदा वाला बहुत ही बेहतरीन कुल्फी फालूदा बनाता है जिसे चखने के बाद आप यह कहते नज़र आयेंगे कि “क्या स्वाद है जिंदगी का” वाकई में क़ाबिले तारीफ़ होता है।

गुजराती नमकीन भंडार (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार से चरखेवालान, जाने वाली सड़क के कोने पर ही गुजराती नमकीन भंडार है यहाँ ढोकला, पापड़ी, फाफड़ा, समेत सभी नमकीनें आपको मिल जायेंगी जो आपके तबियत को नमकीन बना देंगे।

लोटन के छोले (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार के गली छत्ताशाह जी में, सुबह-सुबह लोग इनके छोले-कुल्चे खाने के लिये ऐसे झपटते हैं मानो अगर नहीं खाने को मिला तो पता नहीं कौन सा पहाड़ टूट जायेगा।

गली बजरंग बली के पकौड़े (चावड़ी बाजार) :

चावड़ी बाजार सेनेटरी मार्केट, की एक गली है जिसका नाम गली बजरंग बली है, उसमे सामने ही टी प्वाइंट पर एक पकौड़े वाले की दुकान है जिसके मुंग के दाल के पकौड़े बड़े ही फेमस हैं कभी यहाँ आना हो तो चखिएगा जरूर।

गणेश कचौड़ी वाला (सीताराम बाजार) :

दिल्ली के किसी भी इलाके में “पुरानी दिल्ली की मशहूर कचौड़ी” यदि किसी भी कचौड़ी की दुकान पर लिखा हो तो आप समझ जाना कि सीताराम बाजार से मशहूर हुआ ये नाम, अब वहाँ नहीं है बल्कि दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर फ़ैल गया है, कहीं कचौड़ी वाला, तो कहीं शिव कचौड़ी भंडार तो कहीं गणेश कचौड़ी भंडार, इनकी सबकी जड़ें सीताराम बाजार स्थित चौरासी घंटा के सामने कचौड़ी वाले से ही निकली हैं।

होटल करीम (जामा मस्जिद) :

जब बात हो नॉनवेज की, तो पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद को कैसे भूल सकते हैं, और जब बात हो जामा मस्जिद की तो वहाँ के करीम होटल का नाम ना आये ये हो ही नहीं सकता। जामा मस्जिद के दक्षिणी दरवाजे के सामने मटिया महल में एंट्री करते ही बाएं हाथ पर यह होटल है, बेहतरीन सुविधाओं से युक्त लज़ीज मुग़ल खान-पान का एक नायाब रेस्तरां है ये जिसे होटल करीम कहते हैं।

चिकन चंगेजी वाला (चूड़ी वालान) :

चावड़ी बाजार से मटिया महल, की तरफ जाने वाली यह छोटी सी सड़क चूड़ीवालान कही जाती है इसी सड़क पर चिकन चंगेजी वाला है जिसका चंगेजी पूरी पुरानी दिल्ली में मशहूर है। यहाँ पर लोग बड़ी सिद्दत से आते हैं खुद भी खाते हैं और घर वालों के लिये पैक कराके भी ले जाते हैं।

सिकंदर आमलेट वाला (सीताराम बाजार) :

चौरासी घंटा से चावड़ी बाजार, की तरफ बढ़ते ही रास्ते में बाएं हाथ को सिकंदर आमलेट वाला है जिसके यहाँ अंडे के आमलेट खाने वालों की भीड़ कुछ इस कदर होती है कि मानो वह फ्री में खिलाता हो। बटर में बना हुआ आमलेट खाकर लोग अपनी तृप्ति करते हैं।

दौलत के चाट (दरीबा कलां) :

चाँदनी चौक से जामा मस्जिद, की तरफ जाने वाली सड़क को दरीबा कलां कहते हैं यहां पर खाने-पीने की चीजों का भंडार है यहाँ की दौलत की चाट बड़ी मशहूर है अगर कभी यहाँ आना हो तो स्वाद जरूर लीजियेगा बड़ा ही उमदा होता है।

नॉनवेज का भंडार (जामा मस्जिद) :

नानवेज खाना हो तो पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद, से बेहतर जगह और क्या हो सकती है। चिकन, मटन, फ़िश कुछ भी उनके किसी भी रूप में अगर आप खाना चाहते हैं तो यहाँ मछली मार्केट, मटिया महल, चितली काबर के बाज़ारों में तमाम ढाबे, रेस्तरां मौजूद हैं चाहे रुमाली रोटी हो या तंदूरी रोटी “सब कुछ मिलता है यहाँ, फिर आपकी नज़र है कहाँ”।

छोले-कुल्चे (नई सड़क) :

चाँदनी चौक से चावड़ी बाजार, जाने वाली सड़क जो टाउन हाल के सामने पड़ती है जिसको नई सड़क के नाम से जाना जाता है यह साड़ियों और किताबों की मार्केट है, इस पर आगे बढ़ते ही आपको सड़क के दोनों किनारे ढेर सारे छोले-कुल्चे वाले खड़े होंगे जो काफी टेस्टी होते हैं।

छोले-कुल्चे (हौज़काज़ी) :

हौजकाज़ी चौक पर सीताराम बाजार, की तरफ मुड़ते ही ऊँचे-ऊँचे छोले-कुल्चे के स्टाल दिखेंगे जो सीताराम बाजार के मंझे हुए कारीगरों की कारीगरी को छोले-कुल्चे के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जाता है, गारंटीड कहता हूँ कि आप अपनी उँगलियाँ चाटते रह जायेंगे।

छोले-कुल्चे (चाँदनी चौक) :

चाँदनी चौक वैसे तो खाने-पीने का गढ़ है ही, खाशकर मिठाइयों के मामले में, लेकिन यहाँ के छोले-कुल्चे भी लाजवाब होते हैं सड़क के दोनों तरफ खोमचे पर बिकते हुए छोले-कुल्चे हज़ारों लोगों के पेट की भूख को समाप्त करती है।

छोले-कुल्चे (सदर बाजार) :

वैसे तो पूरा पुरानी दिल्ली ही खान-पान के मामले में अव्वल है, इसलिए सदर बाजार की भी अपनी विशेषतायें हैं यहाँ पर भी स्वादिस्ट, चटपटे, मिर्च-मशालों से भरपूर छोले-कुल्चे की ढेर सारे रेहड़ी-खोमचे हैं जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

पुरानी दिल्ली के मेट्रो स्टेशन :

चावड़ी बाजार

चाँदनी चौक

कश्मीरी गेट

लालकिला

जामा मस्जिद

दिल्ली गेट


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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें :

लालकिला :

जब दिल्ली की बात होती है, तो लालकिले का नाम लिये बिना अधूरा सा लगता है, यह इमारत भी मुगल शासनकाल की देन है उनकी कई पिढ़ियों ने यहीं से अपना शासन चलाया है। भारत केे प्रधानमंत्री हर साल 15 अगस्त के दिन यहाँ से तिरंगा लहराने के साथ ही भाषण देकर पूरे देश को संबोधित करते हैं।

लालकिले के सामने, पुरानी दिल्ली का दिल चाँदनी चौक है, इसके पीछे रिंग रोड और उसके किनारे-राज घाट, किसान घाट, शांति वन, विजय घाट जैसे देश के बड़े नेताओं के समाधि स्थल हैं और उन्ही के पीछे सेे दिल्ली की यमुना नदी बह रही है जो दिल्ली को पूर्वी दिल्ली अर्थात जमनापार से विभाजित करती है। लालकिला के पीछे से ही दो पुल पहला लोहे का पुल और दूसरा शांति वन से गीता कालोनी जाने वाला पुल है जिनके द्वारा पूर्वी दिल्ली का तरफ जाया जाता है।

जामा मस्जिद :

मुगलों द्वारा बनाया गया यह इमारत, लालकिला के सामने थोड़ा सा बायें हटकर है, यह मुशलमानों की आस्था का स्थान है, दिल्ली का एक बड़ा पर्यटन स्थल है, इसकी गोद में ही दिल्ली का मीना बाजार और नेता जी सुभाष पार्क है, इसके ठीक पीछे चावड़ी बाजार का पेपर मार्केट है, इसके उत्तरी दरवाजे पर दरीबा पटाखा बाजार और दछिणी दरवाजे पर मटिया महल बाजार है।

टाउन हाल :

चाँदनी चौक के बीचों-बीच स्थित, यह इमारत दिल्ली नगर निगम के अन्तर्गत आती है पहले दिल्ली के सभी नगर निगम के पार्षद यहीं बैठते थे लेकिन जब से रामलीला मैदान के सामने दिल्ली की सबसे ऊँची इमारत सिविक सेन्टर बना है जो नगर निगम के अन्तर्गत आता है, तभी से टाउन हाल के अधिकतर विभाग यहीं स्थानान्तरित हो गये हैं, दिल्ली केे निगम पार्षद भी।

जी पी ओ :

GPO (General Post Office), इस इमारत मे पुरानी दिल्ली का सबसे बड़ा डाकखाना है, यहीं सेे पूरे पुरानी दिल्ली के डाक का आदान-प्रदान होता है, वैसे तो पुरानी दिल्ली के हर एक इलाके के अपने डाक घर हैं लेकिन वे सभी इसी इमारत जुड़े हुये हैं और उनका लेखा-जोखा भी यहीं से होता है।

पुरानी दिल्ली के धार्मिक स्थल :

  • दिगम्बर जैन लाल मन्दिर (चाँदनी चौक)
  • गौरी शंकर मन्दिर (चाँदनी चौक)
  • चर्च चाँदनी चौक (चाँदनी चौक)
  • चर्च क्लाथ मार्केट (क्लाथ मार्केट)
  • गुरुद्वारा शीशगंज (चाँदनी चौक)
  • हनुमान मन्दिर (जमुना बाजार)
  • फतेहपुरी मस्जिद (फतेहपुरी)
  • जामा मस्जिद (लालकिला के सामने)
  • चौरासी घंटा मन्दिर (सीताराम बाजार)

पुरानी दिल्ली के धार्मिक उत्सव :

पुरानी दिल्ली के धार्मिक उत्सवों में, सबसे ज्यादा लोकप्रिय यहाँ की रामलीलायें होती हैं, लालकिले के मैदान में दो रामलीलायें, परेड ग्राउंड के मैदान में एक रामलीला, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने एक रामलीला और रामलीला मैदान में एक रामलीला होती है, इन रामलीलाओं में बड़े-बड़े राजनेता से लेकर वालीवुड की नामी गिरामी हस्तियाँ भी शामिल होती हैं, इनमें करोड़ों रुपये खर्च भी होते हैं। पूरे नवरात्र के दौरान लालकिले से लेकर चाँदनी चौक, नई सड़क, चावड़ी बाजार, अजमेरी गेट, कमला मार्केट होते हुए रामलीला मैदान तक प्रतिदिन झाँकियाँ निकाली जाती हैं।

दशहरे से लेकर दिवाली तक, लालकिला के मैदान में मेले जैसा माहौल रहता है, दिल्ली वाले अपने परिवार के साथ यहाँ पर घूमने और मौज-मस्ती करने आते हैं। इन त्योहारों के अलावा यहाँ पर बाकी सभी हिन्दुओं के त्योहार भी धूमधाम से मनाये जाते हैं। पुरानी दिल्ली में एक बड़ी आबादी मुश्लिमों की है और सिक्ख समुदाय भी रहता है इन लोगों के जितने भी त्यौहार है वे सभी बड़ी धूम-धाम से मनाये जाते हैं

पुरानी दिल्ली की पार्किंग :

पुरानी दिल्ली के थोक व्यापारी जिनकी दुकाने यहाँ हैं, उनकी कोठियाँ या फ्लैट यहाँ से दूर होते हैं, जैसे – किसी की दुकान चाँदनी चौक में है उसका घर प्रीत विहार में है तो वह प्रीत विहार से अपनी कार में जायेगा, अपनी कार को लालकिला के सामने परेड ग्राउंड पार्किंग में पार्क करेगा और वहाँ से रिक्शा लेकर अपने चाँदनी चौक स्थित दुकान तक जायेगा।

पुरानी दिल्ली के 10 पार्किंग स्थल नीचे दिये जा रहे हैं :

परेड ग्राउंड पार्किंग

मीना बाजार पार्किंग

महावीर वाटिका पार्किंग

डिलाइट सिनेमा पार्किंग

लाजपत राय मार्केट पार्किंग

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पार्किंग

पुल मिठाई पार्किंग

सदर बाजार तांगा स्टैंड पार्किंग

गाँधी मैदान पार्किंग

श्रद्धानन्द मार्ग पार्किंग


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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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पुरानी दिल्ली की खाशियत :

पुरानी दिल्ली की सबसे बड़ी खाशियत यह है, कि इसका ज्यादातर हिस्सा थोक बाजारों का है बाहर मेन सड़क पर तो दुकानें हैं ही गलियों यहाँ तक की ऊपर की मंजिलें भी व्यावसायिक गतिविधियों के काम में आती हैं।

दिल्ली के दो सबसे बड़े रेलवे स्टेशन, “नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली” इसके बिल्कुल पास ही हैं। दिल्ली का दिल कहा जाने वाला कनाटप्लेस (राजीव चौक) पुरानी दिल्ली के अजमेरी गेट से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है।

पुरानी दिल्ली, खाने-पीने की चीजों का गढ़ है यहाँ के छोले-भटुरे, कचौरी, परांठे, पकौड़े, ढोकला, चिल्ला, मिठाईयाँ और नानवेज आदि काफी मशहूर हैं।

पुरानी दिल्ली के समस्यायें :

पुरानी दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या है, यहाँ की सँकरी गलियाँ और उनकी वजह से पैदा भीड़-भाड़ जिसकी वजह से बाहर के लोग यहाँ आने से बचना चाहते हैं लेकिन इसके बावजूद भी लोग यहाँ आते हैं क्योंकि यहाँ के थोक बाजारों में मिलने वाले सामानों के दाम अन्य जगहों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं।

यहाँ की समस्या में एक बहुत बड़ी समस्या है, खुलापन का इसकी कमी यहाँ पर खलती है, एक तो पतली गलियााँ, ऊपर सेे एक मकान का दूसरे पर निर्भर रहना इसके कारण पुरानी दिल्ली में मकान का नवीनीकरण कराना भी बड़ा मुश्किल काम है।

पुरानी दिल्ली में, अगर गर्मी में बिजली चली जाये तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है, क्योंकि एक तो हवा की समस्या दूसरे यहाँ के दुकानदारों के जनरेटर चल जाते हैं जिसके कारण यहाँ का प्रदुषण स्तर काफी भयानक रूप धारण कर लेता है।

पुरानी दिल्ली में पार्किंग, एक बहुत ही बड़ी समस्या है, रिक्शा या बाईक तो फिर भी लाया जा सकता है लेकिन कार लेकर यहाँ आना मुश्किलों से भरा सफर साबित हो सकता है, वैसे तो यहाँ के ज्यादातर व्यापारियों के घर दिल्ली के बड़़े़े रिहायशी इलाकों में हैं और जब वे यहाँ आते हैं तो अपनी गाड़ी को पुरानी दिल्ली से सटे पार्किंगों में पार्क करके आते हैं और जो लोग पुरानी दिल्ली में ही रहते हैं वे अपनी गाड़ियों को हमेशा के लिये ही पार्किंगों में ही रखते हैं जिसके लिये उन्हें अच्छी-खासी कीमत अदा करनी होती है।

पुरानी दिल्ली की अहमियत :

अगर हम पुरानी दिल्ली की अहमियत की बात करें, तो यह सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि समस्त भारत के व्यापारियों के लियेे अच्छा-खासा अहमियत रखता हैं और सिर्फ भारत ही क्या यह तो पूरे एशिया के लिये भी अहमियत रखता है क्योंकि यहाँ की ज्यादातर मार्किटें एशिया के सबसे बड़े मार्किटों में शुमार हैं।


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दिल्ली-6 | पुरानी दिल्ली | पुरानी दिल्ली के 40 बाजार

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पुरानी दिल्ली में सावधानियाँ :

पुरानी दिल्ली में आने से पहले यह सुनिश्चित कर लें, कि आपके पास पर्याप्त समय हो, जल्दीबाजी में हैं तो सोच-समझकर आयें, क्योंकि पता नहीं कब, कहाँ पर, कितनी बड़ी जाम का आपको सामना करना पड़े क्योंकि अगर आप जाम में फंस गये तो निकलने का कोई रास्ता आपको नहीं मिलेगा जब तक कि सामने का रास्ता ना खुले।

पुरानी दिल्ली के कुछ इलाके नशेड़ियों के गढ़ माने जाते हैं, यहाँँ पर स्मैकियों का बड़ा प्रकोप है वे कब आपके जेब या बैग से माल उड़ालें कुछ पता नहीं इसलिये जब भी आप यहाँ आयें तो इनसे सावधानी बरतें।

पुरानी दिल्ली का इतिहास :

पुरानी दिल्ली से पहले हम दिल्ली के इतिहास के बारे में जानेंगे :

दिल्ली का इतिहास :

महाभारत काल के दौरान, पांडवों की राजधानी रहा इंद्रप्रस्थ ही आज की दिल्ली है। दिल्ली का इतिहास सिंधु सभ्यता से भी जुड़ा हुआ है, 300 ईसा पूर्व मौर्यकाल के दौरान यहाँ नगरों का विकास होना शुरू हुआ था, दिल्ली में 900 से 1200 के बीच तोमर शासकों का राज था। दिल्ली 7 बार उजड़ और बस चुका है। पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान उन्होने दिल्ली को ही अपना राजधानी बनाया।

बाद में ख़िलजी, तुगलक और मुगलों ने, सैकड़ो साल तक दिल्ली पर राज किया। मोहम्मद गौरी के 1192 विजय के साथ ही दिल्ली पर अफगानी राज हो शुरु हो गया और ख़िलजी, तुगलक, मुग़लों के बहादुरशाह जफर तक राज किया तत्पश्चात दिल्ली पर अंग्रेजों का राज हो गया और 1947 में जब भारत आजाद हुआ तब नई दिल्ली को भारत का राजधानी बनाया गया। वैसे दिल्ली सल्तनत की नींव 1206 में रखी गई थी।

पुरानी दिल्ली का इतिहास :

सत्रहवीं शताब्दी में, मुगल शासक शाहजहाँ ने उस समय के शाहजहाँनाबाद को पुरानी दिल्ली का नाम दिया। यह शहर लालकिले के सामने बसाया गया, इसके चारों तरफ ऊँची दीवारों का निर्माण करवाया गया ताकि शहर को बाहरी हमलों से सुरक्षित रखा जा सके। शुरुआती दौर में पुरानी दिल्ली के कुल 14 दरवाजे थे लेकिन समय के साथ-साथ वे लुप्त हो गये और इस समय पुरानी दिल्ली के फिलहाल छ: ही दरवाजे हमें दिखाई देते हैं।

पुरानी दिल्ली, पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ फैलाये हुये है, यहाँ की अधिकतर बाजारें एशिया के सबसे बड़े बाजारों में गिने जाते हैं, पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों की पकड़ वैसे तो पूरे भारत में हैं लेकिन जब चार बड़े महानगरों को विभाजित करते हैं तो पुरानी दिल्ली केे हिस्से उत्तर भारत आता है इसलिये समूचे उत्तर भारत पर इसका ज्यादा प्रभाव है।

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Thanking You / धन्यवाद / शुक्रिया / मेहरबानीं ………जय हिन्द – जय भारत

आपका दोस्त / शुभचिन्तक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com


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