Tag: श्री मद्भगवद्गीता अध्याय-१

  • गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-४ (ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग) के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे अर्जुन, अतएव तुम्हारे ह्रदय में अज्ञान के कारण जो संशय उठे हैं उन्हें ज्ञान रूपी शस्त्र से काट डालो। हे भारत, तुम योग से समन्वित होकर खड़े होवो और युद्ध करो। इससे आगे श्री कृष्ण और क्या कहते हैं […]

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  • गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-३ (कर्मयोग) में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि कोई भी जीवित प्राणी बिना कर्म किये रह ही नहीं सकता अब चाहे वह राजा हो या फिर रंक सभी को कोई ना कोई कर्म करना ही पड़ता है, भगवान श्री कृष्ण अपना उदाहरण भी देते हैं कि मै तो साक्षात् ईश्वर […]

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  • गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल में हमने अध्याय-२ के (सांख्य योग) में अर्जुन के भ्रम के विश्लेषण और गीता के सार को जाना और अब इस आर्टिकल में गीता अध्याय-३ कर्म योग के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं और सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता की अमृतवाणी जो हर एक […]

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