Tag: geeta saar

  • गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है। हे अर्जुन, अतएव मनुष्य को […]

    Read More

  • गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति भक्तिमार्ग स्वीकार करता है, वह देवाध्ययन, तपस्या, दान, दार्शनिक तथा सकाम कर्म करने से प्राप्त होने वाले फलों से वंचित नहीं होता, वह मात्र भक्ति संपन्न करके इन समस्त फलों की प्राप्ति करता […]

    Read More

  • गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-४ (ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग) के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे अर्जुन, अतएव तुम्हारे ह्रदय में अज्ञान के कारण जो संशय उठे हैं उन्हें ज्ञान रूपी शस्त्र से काट डालो। हे भारत, तुम योग से समन्वित होकर खड़े होवो और युद्ध करो। इससे आगे श्री कृष्ण और क्या कहते हैं […]

    Read More