Tag: गीता सार

  • गीता अध्याय-१८ मोक्षसंन्यास योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१८ मोक्षसंन्यास योग || Operation Gita

      दोस्तों, गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, परम सत्य भक्तिमय यज्ञ का लक्ष्य है और उसे सत्‌ शब्द से अभिहित किया जाता है, हे पृथापुत्र, ऐसे यज्ञ का सम्पन्नकर्ता भी ‘सत्‌’ कहलाता है, जिस प्रकार यज्ञ, तप तथा दान के सारे कर्म […]

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  • गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

        दोस्तों, गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे कुन्तीपुत्र, जो कोई भी मुझे संशयरहित होकर पुरुषोत्तम भगवान के रूप में जानता है, वह सब कुछ जानने वाला है, अतएव हे भरतपुत्र, वह व्यक्ति मेरी पूर्ण भक्ति में रत होता है। हे अनघ, यह वैदिक […]

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  • गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल में हमने अध्याय-२ के (सांख्य योग) में अर्जुन के भ्रम के विश्लेषण और गीता के सार को जाना और अब इस आर्टिकल में गीता अध्याय-३ कर्म योग के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं और सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता की अमृतवाणी जो हर एक […]

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  • गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)

    गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)

    गीता क्या है, गीता क्यों है, गीता किसके लिए है, गीता को भगवान विष्णु ने सबसे पहले किसको सुनाया था, गीता को कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत की लड़ाई के दौरान अर्जुन को ही क्यों सुनाया गया…..? सब कुछ बताएँगे, गीता में बताये गए हर एक श्लोक से (आगे आने वाले आर्टिकल में) आपको बखूबी […]

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