Tag: श्री मद्भगवद्गीता

  • गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है। हे अर्जुन, अतएव मनुष्य को […]

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  • गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

        दोस्तों, गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे कुन्तीपुत्र, जो कोई भी मुझे संशयरहित होकर पुरुषोत्तम भगवान के रूप में जानता है, वह सब कुछ जानने वाला है, अतएव हे भरतपुत्र, वह व्यक्ति मेरी पूर्ण भक्ति में रत होता है। हे अनघ, यह वैदिक […]

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  • गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो समस्त परिस्थितियों में अविचलित भाव से पूर्ण भक्ति में प्रवृत्त होता है वह तुरंत ही प्रकृति के गुणों को लाँघ जाता है और इस प्रकार ब्रह्म के स्तर तक पहुँच जाता है। हे अर्जुन, […]

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  • गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१२ भक्तियोग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो इस भक्ति के अमर पथ का अनुसरण करते हैं, और जो मुझे ही अपना चरम लक्ष्य बनाकर श्रद्धा सहित पूर्णरूपेण संलग्न रहते हैं, वे भक्त मुझे अत्यधिक प्रिय हैं। इससे आगे गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग […]

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  • गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति सकाम कर्मों तथा मनोधर्म के कल्मष से मुक्त होकर, मेरी शुद्ध भक्ति में तत्पर रहता है, जो मेरे लिए ही कर्म करता है, जो मुझे ही जीवन लक्ष्य समझता है और जो प्रत्येक जीव […]

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  • गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल में हमने अध्याय-२ के (सांख्य योग) में अर्जुन के भ्रम के विश्लेषण और गीता के सार को जाना और अब इस आर्टिकल में गीता अध्याय-३ कर्म योग के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं और सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता की अमृतवाणी जो हर एक […]

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  • गीता अध्याय-२ सांख्य योग (अर्जुन के भ्रम का विश्लेषण)

    गीता अध्याय-२ सांख्य योग (अर्जुन के भ्रम का विश्लेषण)

    पहले अध्याय में हमने जाना कि कैसे अर्जुन ने अपने सगे-सम्बन्धियों के मायाजाल का हवाला देकर युद्ध करने से मना कर दिया अब हम दूसरे अध्याय में > गीता अध्याय-२ सांख्य योग (अर्जुन के भ्रम का विश्लेषण) के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं। गीता अध्याय-२ सांख्य योग (अर्जुन के भ्रम का […]

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  • गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)

    गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)

    गीता क्या है, गीता क्यों है, गीता किसके लिए है, गीता को भगवान विष्णु ने सबसे पहले किसको सुनाया था, गीता को कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत की लड़ाई के दौरान अर्जुन को ही क्यों सुनाया गया…..? सब कुछ बताएँगे, गीता में बताये गए हर एक श्लोक से (आगे आने वाले आर्टिकल में) आपको बखूबी […]

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