Tag: operation gita by amit dubey

  • गीता अध्याय-१८ मोक्षसंन्यास योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१८ मोक्षसंन्यास योग || Operation Gita

      दोस्तों, गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, परम सत्य भक्तिमय यज्ञ का लक्ष्य है और उसे सत्‌ शब्द से अभिहित किया जाता है, हे पृथापुत्र, ऐसे यज्ञ का सम्पन्नकर्ता भी ‘सत्‌’ कहलाता है, जिस प्रकार यज्ञ, तप तथा दान के सारे कर्म […]

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  • गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है। हे अर्जुन, अतएव मनुष्य को […]

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  • गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग || Operation Gita

        दोस्तों, गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे कुन्तीपुत्र, जो कोई भी मुझे संशयरहित होकर पुरुषोत्तम भगवान के रूप में जानता है, वह सब कुछ जानने वाला है, अतएव हे भरतपुत्र, वह व्यक्ति मेरी पूर्ण भक्ति में रत होता है। हे अनघ, यह वैदिक […]

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  • गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो समस्त परिस्थितियों में अविचलित भाव से पूर्ण भक्ति में प्रवृत्त होता है वह तुरंत ही प्रकृति के गुणों को लाँघ जाता है और इस प्रकार ब्रह्म के स्तर तक पहुँच जाता है। हे अर्जुन, […]

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  • गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे भरतपुत्र, जिस प्रकार सूर्य अकेले इस सारे ब्राह्मण को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार शरीर के भीतर स्थित एक आत्मा सारे शरीर को चेतना से प्रकाशित करता है। जो लोग ज्ञान के चक्षुओं से शरीर तथा […]

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  • गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१२ भक्तियोग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो इस भक्ति के अमर पथ का अनुसरण करते हैं, और जो मुझे ही अपना चरम लक्ष्य बनाकर श्रद्धा सहित पूर्णरूपेण संलग्न रहते हैं, वे भक्त मुझे अत्यधिक प्रिय हैं। इससे आगे गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग […]

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  • गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति सकाम कर्मों तथा मनोधर्म के कल्मष से मुक्त होकर, मेरी शुद्ध भक्ति में तत्पर रहता है, जो मेरे लिए ही कर्म करता है, जो मुझे ही जीवन लक्ष्य समझता है और जो प्रत्येक जीव […]

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  • गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१० विभूति योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे परन्तप, मेरी दैवी विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने तुमसे जो कहा, वह तो मेरी अनन्त विभूतियों का संकेत मात्र है। हे धनञ्जय, तुम जान लो कि सारा ऐश्वर्य, सौंदर्य तथा तेजस्वी सृष्टियाँ मेरे तेज के एक […]

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  • गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, अपने मन को मेरे नित्य चिंतन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो, इस प्रकार मुझमे पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होंगे। इससे आगे गीता […]

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  • गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति भक्तिमार्ग स्वीकार करता है, वह देवाध्ययन, तपस्या, दान, दार्शनिक तथा सकाम कर्म करने से प्राप्त होने वाले फलों से वंचित नहीं होता, वह मात्र भक्ति संपन्न करके इन समस्त फलों की प्राप्ति करता […]

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