Tag: गीता का सार

  • गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१७ श्रद्धात्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१६ देव असुर संपदा विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है। हे अर्जुन, अतएव मनुष्य को […]

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  • गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१२ भक्तियोग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो इस भक्ति के अमर पथ का अनुसरण करते हैं, और जो मुझे ही अपना चरम लक्ष्य बनाकर श्रद्धा सहित पूर्णरूपेण संलग्न रहते हैं, वे भक्त मुझे अत्यधिक प्रिय हैं। इससे आगे गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग […]

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  • गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति सकाम कर्मों तथा मनोधर्म के कल्मष से मुक्त होकर, मेरी शुद्ध भक्ति में तत्पर रहता है, जो मेरे लिए ही कर्म करता है, जो मुझे ही जीवन लक्ष्य समझता है और जो प्रत्येक जीव […]

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  • गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, अपने मन को मेरे नित्य चिंतन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो, इस प्रकार मुझमे पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होंगे। इससे आगे गीता […]

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  • गीता अध्याय-६ ध्यानयोग || Operation Gita

    गीता अध्याय-६ ध्यानयोग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-५ (कर्म-सन्यास योग) अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि हे अर्जुन, मुझे समस्त यज्ञों तथा तपस्याओं का परम भोक्ता, समस्त लोकों तथा देवताओं का परमेश्वर एवं समस्त जीवों का उपकारी एवं हितैषी जानकर मेरे भावनामृत से पूर्ण पुरुष भौतिक दुखों से शांति लाभ करता है। इससे आगे श्री […]

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  • गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-५ कर्म-सन्यास योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-४ (ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग) के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे अर्जुन, अतएव तुम्हारे ह्रदय में अज्ञान के कारण जो संशय उठे हैं उन्हें ज्ञान रूपी शस्त्र से काट डालो। हे भारत, तुम योग से समन्वित होकर खड़े होवो और युद्ध करो। इससे आगे श्री कृष्ण और क्या कहते हैं […]

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  • गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-३ (कर्मयोग) में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि कोई भी जीवित प्राणी बिना कर्म किये रह ही नहीं सकता अब चाहे वह राजा हो या फिर रंक सभी को कोई ना कोई कर्म करना ही पड़ता है, भगवान श्री कृष्ण अपना उदाहरण भी देते हैं कि मै तो साक्षात् ईश्वर […]

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  • गीता अध्याय-१ अर्जुन विषाद योग (कुरुक्षेत्र में युद्ध की तैयारी)

    गीता अध्याय-१ अर्जुन विषाद योग (कुरुक्षेत्र में युद्ध की तैयारी)

    दौपर युग में हस्तिनापुर के राजघराने की लड़ाई के समय कुरुक्षेत्र के मैदान में एक तरफ कौरव तो दूसरे तरफ पांडव दोनों तरफ की सेनाएं युद्ध के लिए तैयार हैं, उधर हस्तिनापूर के राजमहल में बैठे धृतराष्ट्र युद्ध स्थल  के बारे में अपने सारथी संजय से ताजी जानकारी मांग रहे हैं और संजय धृतराष्ट्र को […]

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