Tag: gita ka saar

  • गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे भरतपुत्र, जिस प्रकार सूर्य अकेले इस सारे ब्राह्मण को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार शरीर के भीतर स्थित एक आत्मा सारे शरीर को चेतना से प्रकाशित करता है। जो लोग ज्ञान के चक्षुओं से शरीर तथा […]

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  • गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१० विभूति योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे परन्तप, मेरी दैवी विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने तुमसे जो कहा, वह तो मेरी अनन्त विभूतियों का संकेत मात्र है। हे धनञ्जय, तुम जान लो कि सारा ऐश्वर्य, सौंदर्य तथा तेजस्वी सृष्टियाँ मेरे तेज के एक […]

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  • गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-७ (ज्ञान विज्ञान योग) के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि- हे धनञ्जय, जो मुझ परमेश्वर को मेरी पूर्ण चेतना में रहकर मुझे जगत का, देवताओं का तथा समस्त यज्ञविधियों का नियामक जानते हैं, वे अपनी मृत्यु के समय भी मुझ भगवान को जान और समझ सकते है, […]

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  • गीता अध्याय-७ ज्ञान विज्ञान योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-७ ज्ञान विज्ञान योग || Operation Gita

  • गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल में हमने अध्याय-२ के (सांख्य योग) में अर्जुन के भ्रम के विश्लेषण और गीता के सार को जाना और अब इस आर्टिकल में गीता अध्याय-३ कर्म योग के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं और सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता की अमृतवाणी जो हर एक […]

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