Tag: gita in hindi

  • गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१५ पुरुषोत्तम योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१४ गुण त्रय विभाग योग के अंत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे धनञ्जय, जो समस्त परिस्थितियों में अविचलित भाव से पूर्ण भक्ति में प्रवृत्त होता है वह तुरंत ही प्रकृति के गुणों को लाँघ जाता है और इस प्रकार ब्रह्म के स्तर तक पहुँच जाता है। हे अर्जुन, […]

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  • गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१२ भक्तियोग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो इस भक्ति के अमर पथ का अनुसरण करते हैं, और जो मुझे ही अपना चरम लक्ष्य बनाकर श्रद्धा सहित पूर्णरूपेण संलग्न रहते हैं, वे भक्त मुझे अत्यधिक प्रिय हैं। इससे आगे गीता अध्याय-१३ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग […]

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  • गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१२ भक्तियोग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति सकाम कर्मों तथा मनोधर्म के कल्मष से मुक्त होकर, मेरी शुद्ध भक्ति में तत्पर रहता है, जो मेरे लिए ही कर्म करता है, जो मुझे ही जीवन लक्ष्य समझता है और जो प्रत्येक जीव […]

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  • गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-११ विश्वरूप दर्शन योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-१० विभूति योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे परन्तप, मेरी दैवी विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने तुमसे जो कहा, वह तो मेरी अनन्त विभूतियों का संकेत मात्र है। हे धनञ्जय, तुम जान लो कि सारा ऐश्वर्य, सौंदर्य तथा तेजस्वी सृष्टियाँ मेरे तेज के एक […]

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  • गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-१० विभूति योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, अपने मन को मेरे नित्य चिंतन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो, इस प्रकार मुझमे पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होंगे। इससे आगे गीता […]

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  • गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-९ राजगुह्य योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि हे अर्जुन, जो व्यक्ति भक्तिमार्ग स्वीकार करता है, वह देवाध्ययन, तपस्या, दान, दार्शनिक तथा सकाम कर्म करने से प्राप्त होने वाले फलों से वंचित नहीं होता, वह मात्र भक्ति संपन्न करके इन समस्त फलों की प्राप्ति करता […]

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  • गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-८ अक्षर ब्रह्मं योग || Operation Gita

    दोस्तों, गीता अध्याय-७ (ज्ञान विज्ञान योग) के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि- हे धनञ्जय, जो मुझ परमेश्वर को मेरी पूर्ण चेतना में रहकर मुझे जगत का, देवताओं का तथा समस्त यज्ञविधियों का नियामक जानते हैं, वे अपनी मृत्यु के समय भी मुझ भगवान को जान और समझ सकते है, […]

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  • गीता अध्याय-७ ज्ञान विज्ञान योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-७ ज्ञान विज्ञान योग || Operation Gita

  • गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-४ ज्ञान-कर्म-सन्यास-योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल अध्याय-३ (कर्मयोग) में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि कोई भी जीवित प्राणी बिना कर्म किये रह ही नहीं सकता अब चाहे वह राजा हो या फिर रंक सभी को कोई ना कोई कर्म करना ही पड़ता है, भगवान श्री कृष्ण अपना उदाहरण भी देते हैं कि मै तो साक्षात् ईश्वर […]

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  • गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    गीता अध्याय-३ कर्म योग || Operation Gita

    दोस्तों, पिछले आर्टिकल में हमने अध्याय-२ के (सांख्य योग) में अर्जुन के भ्रम के विश्लेषण और गीता के सार को जाना और अब इस आर्टिकल में गीता अध्याय-३ कर्म योग के बारे में जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं और सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता की अमृतवाणी जो हर एक […]

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