नीम करोली बाबा की पूरी कहानी
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नीम करोली बाबा कौन हैं, कहाँ के रहने वाले हैं, आखिर वे कैसे बने नीम करोली बाबा और कैसे रहे हैं उनके अद्भुत चमत्कार…..? सब कुछ बताएँगे, उनके जीवन के  एक-एक पहलु से आपको रूबरू कराएँगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ, क्योंकि हम नहीं करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं > “नीम करोली बाबा की पूरी कहानी”

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2 नीम करोली बाबा की पूरी कहानी

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नीम करोली बाबा की पूरी कहानी (Image source : welcomewriter.com)
नीम करोली बाबा की पूरी कहानी (Image source : welcomewriter.com)

नीम करोली बाबा की पूरी कहानी

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प्रारंभिक जीवन

(Image source : Jagran)
(Image source : Jagran)

नीम करोली बाबा जिनका असली नाम (लक्ष्मी नारायण शर्मा) था, का जन्म सन 1900 के आस-पास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में एक धनवान और संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता जी का नाम दुर्गा प्रसाद था।

महज 11 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया था, और 17 वर्ष की आयु में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। बाबा जी बचपन से ही हनुमान जी के परम भक्त थे, एक आध्यात्मिक हिन्दू गुरु थे, उनके अनुयायी उन्हें महाराज जी के नाम से सम्बोधित करते थे,

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पारिवारिक जीवन

(Image source : Life Wingz)
(Image source : Life Wingz)

अगर हम बाबा जी के पारिवारिक जीवन की बात करें तो उनके दो बेटे और एक बेटी है जिनमें उनके बड़े बेटे का नाम अनेक सिंह है जो अपने परिवार के साथ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहते हैं, उनके छोटे बेटे का नाम धर्म नारायण शर्मा था जो कि वन विभाग में रेंजर के पद पर कार्यरत थे फ़िलहाल कुछ समय पहले उनका देहांत हो  गया था।

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आध्यात्मिक जीवन

(Image source : Amar Ujala)
(Image source : Amar Ujala)

वैसे तो बाबा नीम करोली को ज्ञान की प्राप्ति महज 17 वर्ष की ही आयु में हो गई थी और तभी से उनके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत मानी जा सकती है, लेकिन सही मायने में 1958 में जब वे 58 वर्ष की आयु के थे तब उन्होंने पूर्ण रूप से सन्यासी जीवन की राह पकड़ते हुए अपना घर-बार छोड़ उत्तर भारत की पहाड़ियों की तरफ का रुख किया और साधुओं की तरह भ्रमण करने लगे।

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नीम करोली बाबा के अद्भुत चमत्कार

Image source : TV9 Bharat varsh
Image source : TV9 Bharat varsh

नीम करोली बाबा हनुमान जी के परम भक्त हैं, उन्हें हनुमान जी का अवतार भी बताया जाता है, बाबा को विश्व के प्रसिद्द संतो में से एक माना जाता  है, उनके चाहने और  मानने वालों की लिस्ट में विश्व की बड़ी-बड़ी हस्तियाँ शामिल हैं जैसे – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुगरबर्ग और एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स समेत विश्व की नामी-गिरामी हस्तियाँ बाबा की महिमा का लोहा मानते हैं।

बाबा के चमत्कारों की लिस्ट भी बड़ी लम्बी है, आइये जानते हैं उनके चमत्कारों के बारे में…..

नीम करोली बाबा ने जब ट्रेन को रोक दिया

एक समय की बात है, जब बाबा जी ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर कर रहे थे, तभी टीटी आया और उनसे टिकट मांगने लगा जो कि बाबा जी के पास था ही नहीं, इस बात को लेकर टीटी ने बाबा को अगले स्टेशन पर जिसका नाम “नीम करोली” था पर बाबा को ट्रेन पर से नीचे उतार दिया।

उसके बाद जो हुआ वो वाकई में बहुत ही आश्चर्यजनक था, बाबा जी वहीँ पास में अपना चिमटा जमीन में गाड़कर बैठ गए, और जैसे ही ऑफिशल्स के आदेश पर गार्ड ने ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी दिखाई ट्रेन चल ही नहीं पाई और चलने की बात तो दूर ट्रेन एक इंच भी हिल ही नहीं पाई।

इस घटना की बात वहां के लोकल मजिस्ट्रेट को जैसे ही पता चली वे फ़ौरन घटनास्थल पर पहुंचे और ऑफिशल्स को बाबा से माफ़ी मांगने को कहा क्योंकि मजिस्ट्रेट साहेब  बाबा की चमत्कारी शक्तियों से भलीभाँति परिचित थे साथ ही वहां मौजूद अन्य लोग भी मजिस्ट्रेट साहेब के समर्थन में बोले, और जैसे ही ऑफिशल्स ने बाबा से माफ़ी माँगा और इज़्ज़त के साथ दोबारा बाबा को ट्रेन के डिब्बे में बिठाया वैसे ही ट्रेन चलने लगी और तभी से बाबा का नाम “नीम करोली बाबा पड़ गया।

नीम करोली बाबा ने जब नदी के पानी को घी बना दिया

एक समय की बात है, जब कैंची धाम आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया था, भक्तों की भीड़ भारी थी, उसी दौरान जब बाबा को यह पता चला कि घी कम पड़ गया है तो बाबा ने भक्तों से कहा कि चिंता मत करो पास के गंगा नदी से दो कनस्तर पानी भरकर लाओ, और जब भक्त पानी लेकर आये तो बाबा ने कहा इस पानी को कढ़ाई में डालो और जैसे ही भक्तों ने पानी को कढ़ाई में डाला देखते ही देखते बाबा जी की कृपा से पानी घी में बदल गया।

उस घी में गरमा-गरम पूड़ियाँ छानी गईं और दूसरे दिन दो कनस्तर घी मंगवाकर बाबा जी ने गंगा जी में प्रवाहित करवा दिया, अर्थात गंगा जी को वापिस कर दिया, इस घटना ने उनके भक्तों की आस्था को उनके प्रति और भी मजबूत बनाया।

मित्रों, इस तरह के बहुत सारे चमत्कार समय-समय पर जैसी जरुरत पड़ी है बाबा जी ने दिखाया है, तभी तो उनके भक्तों ने उन्हें अपने सर आँखों पर बिठाया है।

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नीम करोली बाबा का आश्रम कहाँ है ?

Image source : Trek alone
Image source : Trek alone

नीम करोली बाबा के आश्रम का नाम कैंची धाम है, जो कि उत्तराखंड के नैनीताल से कुछ दुरी पर स्थित है, बाबा जी 1961 में पहली बार वहां पहुंचे थे और अपने खाश और पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ विचार-विमर्श करके आश्रम बनाने का प्रस्ताव रखा था और 1964 में आश्रम की स्थापना की थी।

15 जून 1964 को बाबा ने कैंची धाम में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की थी और तभी से हर साल 15 जून को वहाँ पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है जिसमे उनके भक्त बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

बाबा नीम करोली के आश्रम कैची धाम के बारे में मान्यता है कि यहाँ पर आने वाले भक्तों की बाबा जी के प्रताप और आशीर्वाद से हर मुराद पूरी होती है, कोई भी भक्त यहाँ से खाली हाथ नहीं जाता, बल्कि झोलियाँ भरकर ही जाता है।

हाल ही में भारतीय प्रसिद्द क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा भी बाबा जी के आश्रम कैची धाम जाकर दर्शन करके आये हैं, इसके बाद से यह आश्रम और भी सुर्ख़ियों में है, हालाँकि हम पहले भी बता चुके हैं कि बाबा जी के भक्तों की लिस्ट में विश्व के बड़े-बड़े धुरंधरों का नाम रहा है, और बाबा जी के भक्त भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत बड़ी संख्या में हैं।

कैंची धाम आश्रम की देखभाल बाबा नीम करोली की प्रमुख शिष्या श्री माँ के सानिध्य में होता है, जो कि बाबा जी की परम शिष्य रही हैं, और उन्हीं की उपस्थिति में यह धाम लोगों के लिए खुला रहता है।

नीम करोली बाबा के आश्रम उत्तराखंड के कैंची धाम के अलावा – ऋषिकेश, वृंदावन, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर के पास नीम करोली गांव, हनुमानगढ़ी, दिल्ली, और ताओस, न्यू मैक्सिको, अमेरिका में भी हैं।

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नीम करोली बाबा की मृत्यु कब और कैसे हुई ?

Image source : Kafal Tree
Image source : Kafal Tree

11 सितम्बर 1973 की रात को बाबा का निधन हुआ था, उस समय वे अपने वृन्दावन आश्रम में थे, रात के समय अचानक उनकी तवियत बिगड़ने लगी, भक्त लोग तत्काल उन्हें अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीज़न मास्क लगाया लेकिन उन्होंने उसे लगाने से इंकार कर दिया।

बाबा अपने भक्तों से बोले कि अब मेरे जाने का समय आ गया है, उन्होंने भक्तों से गंगाजल और तुलसी मंगाया, उन्हें ग्रहण किया और अपना शरीर त्याग दिया, वैसे उनकी मृत्यु का सही कारण मधुमेह कोमा बताया जाता है।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही साथ आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द – जय भारत

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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