भगवान विष्णु जी सृष्टि के पालनकर्ता हैं, ब्रह्मा जी सृष्टि के निर्माता हैं और शिव जी संहारक हैं, इन तीनों देवताओं के अपने अपने कर्त्तव्य क्षेत्र हैं, जिसमें सबसे बड़ी भूमिका भगवान विष्णु की है, जिसमें पृथ्वी और मानव की रक्षा का दायित्व भी शामिल है और उन्हीं दायित्वों को पूरा करने के लिए समय-समय पर भगवान ने अनेकों अवतार लिए हैं, आखिर कौन से हैं वे अवतार..? आइये जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से > “भगवान विष्णु के 10 अवतार और उनकी कहानियाँ“।
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भगवान विष्णु के 10 अवतार और उनकी कहानियाँ
गीता के अध्याय 4 के श्लोक 7 और 8 में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि…..
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। (7)
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। (8)
भावार्थ
हे भरतवंशी, जब भी और जहाँ भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है तब तब मै अवतार लेता हूँ। हे अर्जुन, भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मै हर युग में प्रकट होता हूँ।
भक्तों, गीता का यह श्लोक हालाँकि महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था, लेकिन इससे पहले भी विष्णु भगवान ने यह श्लोक बहुत बार बोला है, विष्णु पुराण में भगवान ने कहा है कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म धर्म पर हावी होने लगेगा तब-तब मै अवतार लूंगा और धर्म की रक्षा करूँगा।
और अपने उसी दायित्व को निभाने के लिए भगवान ने समय-समय पर जो भी 10 मुख्य अवतार लिए हैं हम उन्हीं 10 मुख्य अवतारों को इस आर्टिकल के माध्यम से आपके समक्ष लेकर आये हैं, तो आइये अब शुरू करते हैं और जानते हैं उन अवतारों के बारे में…..
1. मत्स्य अवतार
मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का सबसे पहला अवतार है, जिसमें भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण करके उस समय के बहुत बड़े दैत्य हयग्रीव का वध किया था। हालाँकि इसके पीछे एक बड़ी कहानी भी है और उस कहानी पर हम आगे जब मत्स्य अवतार पर एक पूरा आर्टिकल लेकर आयेंगे तब चर्चा करेंगे, क्योंकि इस आर्टिकल में हमें दशों अवतारों के बारे में बात करनी है, वह भी संक्षेप में, तो आइये आगे बढ़ते हैं…..
यह घटना सतयुग की है, जब हयग्रीव नामक दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र की गहराई में छिपा दिया था, जिसके कारण संसार में ज्ञान के प्रकाश पर अंधकार का खतरा मंडराने का डर था, साथ ही पृथ्वी पर महा जलप्रलय भी होने वाला था। इन दोनों समस्याओं के समाधान के लिए भगवान विष्णु ने मछली का अवतार लेकर पृथ्वी को महा जलप्रलय से बचाया और दैत्य हयग्रीव का वध करके पृथ्वी की रक्षा की।
2. कूर्म अवतार
यह घटना भी सतयुग का ही है, जब भगवान विष्णु का दूसरा अवतार कच्छप अवतार अर्थात (कूर्म अवतार) होता है, जिसमें समुद्र मंथन के दौरान भगवान कछुआ का रूप धारण करके अपनी पीठ पर मदिरांचल पर्वत को उठा लेते हैं, ताकि देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करके अमृत प्राप्त कर सकें।
3. वराह अवतार
यह भी सतयुग की ही घटना है, जब भगवान विष्णु का तीसरा अवतार वराह अवतार होता है, जिसमें भगवान आधा मानव और आधा सूअर का रूप लेकर प्रकट होते है और हिरण्यकशिपु के भाई हिरण्याक्ष का वध करके प्रथ्वी को उसके चंगुल से मुक्त कराते हैं, क्योंकि हिरण्याक्ष ने माता पृथ्वी का अपहरण करके समुद्र की गहराई में छिपा दिया था।
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4. नरसिंह अवतार
सतयुग की यह घटना काफी प्रचलित है, जब भगवान विष्णु ने अपना चौथा अवतार लिया जो नरसिंह अवतार के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान ने अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा के लिए आधा मानव और आधा शेर अर्थात नरसिंह अवतार लेकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकशिपु का वध किया।
5. वामन अवतार
यह घटना त्रेतायुग के प्रारम्भ की है, जब भगवान विष्णु ने अपना पाँचवाँ अवतार ऋषि कश्यप और देवमाता अदिति के पुत्र के रूप में लिया जिसे वामन अवतार के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान एक बटुक ब्राह्मण का रूप लेकर पृथ्वी पर प्रकट हुए और भक्त प्रह्लाद के पौत्र दानवीर राजा बलि से तीन पग भूमि की मांग की।
भगवान विष्णु ने पहली बार वामन अवतार के रूप में मानव रूप धारण किया, और यह रूप लेने का मुख्य कारण था दैत्यराज बलि द्वारा जीता गया देवराज इंद्र का सिंहासन अथवा स्वर्गलोक को वापिस लेना और इसके लिए वे ब्राह्मण का रूप लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने जाते हैं, दैत्य गुरु शुक्राचार्य के मना करने के बावजूद भी राजा बलि भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि नाप लेने की अनुमति दे देते हैं।
वामन देव ने पहले ही पग में पूरी धरती और दूसरे पग में स्वर्गलोक को नाप लिया, और जब तीसरे पग के लिए कुछ भी नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया, और वामन देव को अपने सिर पर पैर रखने को कहा और इस तरह से भगवान विष्णु ने राजा बलि का घमंड तोड़ दिया। लेकिन राजा बलि की वचनबद्धता से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उसे पाताललोक का राजा बना दिया।
6. परशुराम अवतार
यह घटना भी त्रेतायुग का है जब भगवान का छठवाँ अवतार शिवभक्त परशुराम के रूप में होता है, और इस अवतार में उन्होंने राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगवंशीय जमदग्नि के पुत्र के रूप में जन्म लिया, जिसमें उन्होंने संसार को क्षत्रियों के अहंकारी विध्वंश से बचाया।
भगवान के परशुराम अवतार को जनक दरबार में सीता के स्वयंवर के समय में बहुत ही क्रोधित ब्राह्मण के रूप में दिखाया गया है, जब श्री राम ने शिव के धनुष को तोड़ा था, और उस समय परशुराम और लक्ष्मण के बीच काफी देर तक वाद-विवाद भी हुआ था, जिसे श्री राम के बीच-बचाव से शांत कराया गया था।
द्वापरयुग में भी भगवान परशुराम को एक क्रोधित ऋषिमुनि के रूप में दिखाया गया है, जब उन्होंने कुन्तीपुत्र कर्ण जो कि उनके शिष्य थे को झूठ बोलकर शिक्षा प्राप्त करने का दोषी मानकर श्राप दे दिया था कि जब भी तुम्हें मेरी दी हुई शिक्षा की आवश्यकता पड़ेगी तो तुम उन्हें भूल जाओगे।
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7. श्रीराम अवतार
त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने अपना सातवाँ अवतार श्रीराम के रूप में लिया, जिसमें वे अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लेते हैं, इस अवतार में श्रीराम ने लंका के राजा रावण और उसके भाई कुम्भकर्ण का वध करके संसार को उनके प्रकोप से मुक्त कराया।
भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन ही मर्यादा की सीमा में रखा, वे भगवान होते हुए भी कभी भी अपने-आप को भगवान नहीं समझा, बल्कि एक साधारण मानव के रूप में ही स्वयं को प्रस्तुत किया।
8. श्रीकृष्ण अवतार
त्रेतायुग के बाद द्वापर युग आता है, जिसमें भगवान ने श्रीकृष्ण अवतार लिया, जिसमें उन्होंने वासुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में जन्म लिया, इस अवतार में उन्होंने मथुरा के राजा (मामा कंश) तथा शिशुपाल का वध किया, तत्पश्चात महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की तरफ से अर्जुन के सारथि बने, और अर्जुन को माध्यम बनाकर समस्त मानव जाति के लिए गीता का उपदेश सुनाया।
श्री कृष्ण रूप में उन्होंने राधा संग प्रेम प्रसंग को परिभाषित किया, अपना बाल रूप दिखाया जिसमें माखनचोरी, ग्वालों संग शरारतें, ग्वालिनों को परेशान करना, माता यसोदा से झूठ बोलना और उन्हें सताना, कालिया नाग के सिर पर नृत्य करना, पूतना नामक राक्षसी का वध करना, गोवेर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लेना
9. बुद्ध अवतार
सतयुग में 5 अवतार, त्रेतायुग में 2 अवतार और द्वापरयुग में 1 अवतार लेने के पश्चात् भगवान विष्णु ने कलयुग में अपना आठवाँ अवतार गौतम बुद्ध के रूप में लिया, जिसमें उनका नाम सिद्धार्थ था, बाद में वे गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए, भगवान बुद्ध के अवतार में उन्होंने मानव को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का राह दिखाया, भगवान बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है।
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10. कल्कि अवतार
भगवान विष्णु का दसवाँ अवतार फ़िलहाल अभी होना बाकी है, जो कि कल्कि अवतार होगा, धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान विष्णु का दसवाँ और अंतिम अवतार कल्कि अवतार होगा, जिसमें भगवान कलयुग के अंत में प्रकट होंगे, इस अवतार में भगवान विष्णु देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर हाथ में तलवार लिए हुए दुष्टों का संहार करते हुए अंत में माता वैष्णो देवी से मिलेंगे।
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निष्कर्ष
भक्तों, हमारा इस आर्टिकल को लिखने और आपको पढ़वाने का जो मुख्य ध्येय है, वह यह है कि हम सभी सनातनी भाई अपने उस प्रभु को और उनकी लीलाओं से भली-भांति परिचित हों और अपने आने वाली पीढ़ी खाशकर हमारे और आपके बच्चे भी हमारे भगवान के बारे में जाने और उन्हें समझें।
आज आधुनिकरण के दौर में अगर गौर से देखा और सोचा जाए तो कहीं ना कहीं हम अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा की रेस में शामिल कर रहे हैं ताकि वे पैसे कमाने की मशीन बन सकें लेकिन इस रेस में हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, जो कहीं ना कहीं हमें अध्यात्म से दूर ले जा रही है।
भक्तों, भगवान विष्णु हमारे आराध्य हैं, हम सभी कहीं ना कहीं उनकी छत्र-छाया में ही पल रहे हैं, इसलिए उनके बारे में जानना और उन्हें समझना सिर्फ हमारा कर्त्तव्य ही नहीं बल्कि दायित्व भी है, और इस बात से हम अंजान ना रहें तो हमारे लिए यह बेहतर होगा।
भगवान की भक्ति में बड़ी शक्ति होती है, लेकिन उस शक्ति को महसूस करने के लिए हमें उनके बारे में जानना होगा, उन्हें समझना होगा और उन पर विश्वास करना होगा, क्योंकि विश्वास में ही भगवान हैं और अगर आप उन पर विश्वास करेंगे तो आपको यह महसूस होने लगेगा कि आपके आस-पास भगवान अदृश्य रूप में मौजूद हैं और आवश्यकता पड़ने पर आपकी मदद भी करेंगे।
वैसे तो भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं, जिनके बारे में हम किसी और आर्टिकल में आपको बताएँगे, फ़िलहाल उनके मुख्य 10 अवतार हैं, जिनके बारे में हमने आपको इस आर्टिकल में बताया है, अब अगले आर्टिकल से हम इन्हीं दशों अवतारों को एक-एक करके विस्तारपूर्वक अलग-अलग आर्टिकल के माध्यम से आपके समक्ष लेकर आएंगे।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल “भगवान विष्णु के 10 अवतार और उनकी कहानियाँ” आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही साथ आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द – जय भारत
लेखक परिचय
इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।
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